देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि राज्य में सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा करके बनाए गए मस्जिदों और मदरसों की जाँच की जाएगी। लेकिन जब तक लालफीताशाही पर लगाम नहीं लगाई जाएगी, सरकार की इस कार्रवाई के सकारात्मक परिणाम आने पर संशय बना हुआ है।
जानकारी के मुताबिक, राज्य सरकार ने पहले भी इस तरह के निर्देश दिए थे। उत्तराखंड में चल रहे सभी मदरसों की जांच पड़ताल की जाएगी। बड़ा सवाल ये है कि ये घोषणा पहले भी की गई लेकिन लालफीताशाही ने ये जांच पहले भी दबा दी थी और इस बार भी सकारात्मक परिणाम आने की संभावना कम ही है।
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उत्तराखंड में अगर मदरसों की बात की जाए तो वक्फ बोर्ड से केवल 115 मदरसे पंजीकृत है, 415 मदरसों की मान्यता मदरसा बोर्ड से मिली हुई है। प्रदेश में करीब 200 मदरसे बिना अनुमति के चल रहे है, इन्हें कौन फंडिंग कर रहा है? इनकी क्या क्या गतिविधियां हैं? यहां पढ़ने वाले बच्चे कौन हैं, मदरसे से उन्हें क्या तालीम मिल रही है? ऐसे कई सवाल हैं जो सालों से पूछे जा रहे हैं, लेकिन इनके जबावों वाली फाइल आज तक सीएम दफ्तर की चौखट के अंदर तक नहीं पहुँच सकी है।
राज्य में चल रहे अवैध मदरसों में से एक एक मदरसा नैनीताल जिले के ज्योलिकोट के पास वीरभट्टी में सामने आया था, जिसके बाद एक्शन में आए सीएम धामी को सभी मदरसों के सत्यापन का कदम उठाना पड़ा। मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ़्ती समन कुरैशी ने मुख्यमंत्री के द्वारा सभी मदरसों के सत्यापन के जांच के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने ये भी कहा कि यदि कहीं पर कोई लापरवाही उजागर होती है तो ऐसे मदरसों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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वहीं कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता शीश पाल का कहना है कि प्रदेश में 7 साल से बीजेपी की सरकार है,बार -बार मदरसों की जांच की बात तो कही जाती है, लेकिन होता कुछ नहीं है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुरेश भट्ट का कहना है कि मदरसों की जांच होनी चाहिए,इनकी संपत्ति दस्तावेज भी जांच के दायरे में आने चाहिए। वैदिक मिशन के जगवीर सैनी मुख्यमंत्री धामी की घोषणा का स्वागत किया है।
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