केंद्र सरकार द्वारा आवंटित सरकारी आवास पर कब्जे के लिए कोर्ट का रुख करने वाले आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्डा को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने उन्हें आवंटित किए गए टाइप-7 बंगले को तत्काल खाली करने का आदेश दिया है। गुरुवार को सुनाए गए फैसले में कोर्ट ने कहा कि वादी को दिया गया सरकारी आवास एक विशेषाधिकार की तरह है जो उन्हें संसद सदस्य के रूप में प्रदान किया गया है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि राघव चड्ढा राज्यसभा से सांसद हैं और इसलिए उन्हें केवल टाइप-6 बंगला आवंटित किया जा सकता है। इसके साथ ही दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने राघव चड्ढा के आवास खाली करने पर लगी रोक को भी हटा दिया है, जिससे अब राज्यसभा सचिवालय उनसे टाइप-7 बंगले को खाली करवा सकता है। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जब राघव चड्डा का 3 मार्च 2023 को ही आवंटन रद्द कर दिया गया था, तो बंगले पर उनका कब्जा नियमों के खिलाफ है।
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गौरतलब है कि पिछले साल 2022 में पंजाब से राज्यसभा सांसद राघव चड्डा को राज्यसभा सचिवालय ने टाइप-6 बंगला आवंटित किया था, लेकिन आम आदमी पार्टी के सांसद राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को टाइप-7 बंगले को आवंटित करने के लिए एक प्रतिवेदन सौंपा था।
किन लोगों को मिलता है टाइप-7 बंगला
उल्लेखनीय है कि जिस टाइप-7 बंगले पर कब्जे को लेकर राघव चड्डा कोर्ट चले गए थे, नियम के तहत वो उन्हें नहीं मिलना चाहिए। राज्यसभा सचिवालय के मुताबिक, बंगला आवंटन के नियमों के तहत किसी भी पूर्व केंद्रीय मंत्री, राज्यपाल या फिर मुख्यमंत्री को ही टाइप-7 बंगला आवंटित किया जा सकता है। वहीं राघव चड्ढा न तो कहीं के राज्यपाल रहे, न ही केंद्रीय मंत्री रहे और न वो मुख्यमंत्री जैसे पदों पर रहे। वो एक सांसद हैं और इसके लिए उन्हें टाइप-6 ही आवंटित होना चाहिए।
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राघव चड्डा का विलाप
कोर्ट के फैसले के बाद आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्डा ने टाइप-7 बंगला आवंटन मामले में अपनी हार को लेकर बीजेपी पर हमला किया है। उन्होंने कोर्ट के फैसले को असंवैधानिक करार दिया। चड्डा ने कहा कि बीते 70 सालों में पहली बार ऐसा हो रहा है कि संसद के चुने हुए सदस्य को उनके बंगले से निकाला जा रहा है, वो भी तब जब वो चार साल से उसी बंगले में रह रहा है। उन्होंने कोर्ट के फैसले को मनमाना और अप्रत्याशित बताया है।
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