पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम बादल फटने के कारण लोनार झील के ओवर फ्लो होने से आई बाढ़ ने राज्य में हर जगह तबाही मचाई है। इस सैलाब ने सेना के 7 जवानों समेत 40 जिंदगियों को निगल लिया है, जबकि 100 लोग अभी भी लापता है। उनका अभी तक कुछ पता नहीं चल सका है। एनडीआरएफ, सेना और वायुसेना लगातार राहत और बचाव के कार्यों में लगी हुई है। तीस्ता नदी से ही अब तक 22 लोगों के शवों को बरामद किया जा सका है।
इस बाढ़ से सबसे ज्यादा उत्तरी सिक्किम प्रभावित हुआ है। लोगों को राहत शिविरों में सुरक्षित रखा गया है, उनके मकान और गाड़ियां सब कुछ मलबे के ढेर के नीचे दफन हो गए हैं। बड़ी-बड़ी मशीनें मलबे के नीचे दब गई हैं। राजधानी गंगटोक और उसके आसपास के इलाकों में कई जगह पुल और सड़कें सैलाब की चपेट में आने के कारण तबाह हो गई हैं।
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तीस्ता नदी पर पानी का इतना अधिक दबाव था कि मजबूत पुल भी ताश के पत्ते की तरह बिखर गए। हर जगह केवल मलबे का ढेर बचा हुआ है।
पश्चिम बंगाल में भी आया जल सैलाब
सिक्किम में तबाही मचाने के बाद तीस्ता नदी का जल सैलाब पश्चिम बंगाल में घुस गया, जहाँ जलपाइगुड़ी जिले में इससे भारी तबाही मची। इस सैलाब की चपेट में आने से 2 लोगों की मौत हो गई औऱ 4 अन्य घायल हो गए। उधर सेना का बेस भी इससे सुरक्षित नहीं था, बाढ़ के पानी के साथ सेना का मोर्टार से भरा एक बॉक्स पानी में बहकर जलपाइगुड़ी पहुँच गया। स्थानीय लोगों ने जैसे ही इसे छुआ तो इसमें जोरदार धमाका हो गया।
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सेना ने जारी की एडवाइजरी
इस बीच भारतीय सेना ने बाढ़ को लेकर एक एडवाइजरी जारी करते हुए लोगों को सतर्क रहने का सुझाव दिया है। बताया जाता है कि सिक्किम के बारदांग में सेना का एक कैंप था, जहाँ पर सेना की 41 गाड़ियाँ खड़ी थीं। माना जा रहा है कि हो सकता है कि इसी कैंप से मोर्टार का गोला बहकर जलपाईगुड़ी पहुँचा हो। इस बीच सेना ने लोगों से गोला-बारूद मिलने पर उसे खुद से छूने की जगह स्थानीय प्रशासन को सूचित करने को कहा है। गौरतलब है कि सिक्किम भूकंप के सीस्मिक जोन-5 में आता है और इस कारण यहाँ पर भूकंप का खतरा बना रहता है। वैज्ञानिक भी इस तबाही से चिंतित हैं। क्योंकि, इस क्षेत्र में हमेशा 8 से 9 रिक्टर स्केल के भूकंप की आशंका बनी रहती है।
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