देहरादून। वर्षों बात रेलवे प्रशासन ने अपनी जमीन की सुध ली है। पहाड़ों की रानी मसूरी में रेलवे की 317 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा है, जिसे खाली करवाने के लिए कारवाई शुरू हो गई है।
ब्रिटिश काल में मसूरी और नैनीताल में नॉर्दन रेलवे को जमीन सरकार द्वारा आबंटित की गई थी। योजना कुछ ऐसी थी कि शिमला की तरह यहां भी रेल लाइन पहुंचाई जाए। लेकिन देश आजाद होने के बाद रेलवे प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चले गए। किंतु यहां रेलवे द्वारा पर्यटकों की सुविधा के लिए बुकिंग काउंटर खोल दिए गए। मसूरी में रेलवे टिकट बुकिंग काउंटर और विश्राम गृह बनाया गया। इसी बीच यहां नॉर्दन रेलवे की जमीन पर सफेदपोश भू माफिया तंत्र को नजर पड़ी और यहां धीरे धीरे कब्जे होने लगे।
यहां तक कि नगर पालिका मसूरी ने भी रेलवे की जमीन पर गोशाला और फ्लैट्स तक बना डाले। ऐसा जानकारी में आया है कि नगर पालिका और वन विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत करके सफेदपोश भूमि माफिया ने कब्जे किए।
इधर राजग सरकार ने अपने विभागो की संपतियों का आंकलन मूल्याकन का काम शुरू करवाया। इसी क्रम में रेल मंत्रालय की भू संपत्तियों को तलाशा गया तो मसूरी में 317 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे मिले। रेलवे प्रशासन ने अपनी भूमि से इस अतिक्रमण को हटा कर अपना कब्जा लेने की कारवाई शुरू कर दी है। एक बड़े भूभाग पर रेलवे ने बुल्डोजर चलाकर अपनी जमीन मुक्त करा ली है।
रेलवे प्रशासन ने अवैध रूप से बनी सड़क और पुश्तों को ध्वस्त करते हुए अपनी बाउंड्री लगाने का काम शुरू कर दिया है। अतिक्रमण करने वाले 17 लोगों को नोटिस देते हुए एक हफ्ते का समय दिया गया है। रेलवे प्रशासन ने नगर पालिका मसूरी को भी नोटिस देते हुए अपना कब्जा मांगा है। कब्जा नहीं देने की दशा में बलपूर्वक अपनी भूमि खाली कराने की बात कही है।
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