10 घंटे की लंबी पूछताछ के बाद आखिर शाम होते-होते दिल्ली शराब घोटाले के मामले में संजय सिंह की गिरफ्तारी हो गई। पहले यह खबर आम आदमी पार्टी के हवाले से चलाई गई। थोड़ी ही देर में इस खबर पर मुहर लग गई। बताया यह भी जा रहा है कि संजय सिंह पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहे थे। उनके खिलाफ कुछ पुख्ता सबूत और पक्के गवाह ईडी के पास हैं। सिंह की गिरफ्तारी धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत हुई है। गिरफ्तार करने के बाद ईडी की टीम उन्हें दिल्ली स्थित ईडी के हेडक्वार्टर लेकर गई है।
आबकारी घोटाले पर ‘आप’ की चुप्पी
शराब घोटाले पर अब आम आदमी पार्टी के नेता बात करने को तैयार नहीं होते। कोई तो डर होगा। कुछ ऐसी बात है जो छुपाई जा रही है। उनके पास सिर्फ एक ही तर्क है कि यह कोई घोटाला नहीं है और इसमें ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) के हाथ कुछ नहीं लगा। यदि मामला इतना ही साफ सुथरा है फिर मनीष सिसोदिया की जमानत क्यों नहीं हो पा रही? अब संजय सिंह की इसी घोटाले में जेल जाने की नौबत क्यों आ गई? सवाल यह भी है कि, पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है। वहां उन्होंने भ्रष्टाचार के आरोप में जिन लोगों को गिरफ्तारी किया था। उनके घर से भी कुछ नहीं मिला था। फिर भी मामला तो दर्ज हुआ। भ्रष्टाचार के आरोपी जेल भी गए।
भ्रष्टाचार के खिलाफ आए थे लड़ने, आकंठ डूब गए
बात आम आदमी के नेताओं का एक के बाद एक करके सिर्फ जेल जाने तक नहीं है। अरविन्द केजरीवाल की जिम्मेवारी दूसरे राजनीतिक दलों के मुकाबले कहीं अधिक बड़ी है। वे इंडिया अगेन्स्ट करप्शन से निकले राजनीतिक दल का नेतृत्व कर रहे हैं। जो घूस को घूंसा जैसे उद्देश्य के साथ बना था। उन दिनों अरविन्द दिल्ली की गलियों की खाक छानते थे और लोगों को विश्वास दिलाते थे कि भ्रष्टाचारमुक्त शासन संभव है। दिल्ली ने उन पर विश्वास भी किया। अब दिल्ली देख रही है कि उनके नेता तब तक ईमानदारी का चोला लपेटे घूम रहे थे, जब तक उनके पास अवसर नहीं था। अवसर आते ही जितनी आमदनी उन्होंने चुनाव आयोग के सामने घोषित की है। उससे कई गुना अधिक वे अपनी शादी और नव विवाहिता को उपहार देने पर खर्च कर देते हैं।
सांसद संजय सिंह के संबंध में जानकारी प्राप्त करने के लिए जब थोड़ा सा इंटरनेट पर सर्च का सहारा लिया तो इस बात का उल्लेख कई जगह मिला कि वे राजनीति में आने से पहले सिनेमा हॉल के बाहर टिकट ब्लैक करते थे। यदि यह सच है तो उनके संघर्ष और सफलता की कहानी एक मिसाल बन सकती है। आम आदमी पार्टी के पास एक से बढ़कर एक योग्य नेता थे, जिसे राज्य सभा भेजा जा सकता था। अरविन्द ने ऐसा कोई व्यक्ति राज्य सभा जाने के लिए क्यों नहीं चुना जिसका जीवन बेदाग हो? अब इसका जवाब आम आदमी पार्टी से नाराज एक स्थानीय नेता देते हुए कहते हैं – अरविन्द को बेदाग लोग नहीं चाहिए। पार्टी चलाने के लिए आज के समय में एक, दो का चार करने वाला व्यक्ति ही सबकी पसंद होगा। संजय सिंह इस खेल के पुराने खिलाड़ी हैं और वे एक दो का चार नहीं, चार, आठ का सोलह करते हैं। शराब घोटाल उसकी बानगी भर है।
जेल जाते-जाते मां याद आई
संजय सिंह जब ईडी हेडक्वार्टर के लिए घर से निकल रहे थे। उन्होंने अपने मां के पैर छूए। यह अच्छी बात है कि जेल जाने से पहले उन्हें मां याद आई। वे नेता हैं। अपराधियों को तो जेल जाकर नानी याद आती हैं। लेकिन एक सवाल यहां भी है, जो विजुअल सोशल मीडिया पर संजय सिंह की सहमति से ही जारी हुआ होगा, उस फुटेज में उनकी मां सहज नहीं दिखीं। संभव है कि पैर छूने का अभिनय सिर्फ संजय सिंह ने कैमरे में आने के लिए और समाचार में अपने लिए जगह बनाने के लिए किया हो। इस बात पर सोशल मीडिया पर संजय सिंह ट्रोल भी हुए। रश्मि मंडापे नाम की सोशल मीडिया यूजर ने लिखा — ”संजय सिंह ने गिरफ्तारी से पहले मां का आशीर्वाद लेने की नौटंकी की। मां ने अनदेखा करके मुंह फेर लिया। क्योंकि वो मां हैं, सब जानती हैं।”
जिह्वा पर कभी-कभी विराजती हैं मां सरस्वती
पूर्व केन्द्रीय मंची डॉ हर्ष वर्धन ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर संजय सिंह का एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा — ”मां अक्सर कहा करती थी। हमारी जिह्वा पर कभी-कभी मां सरस्वती विराजती हैं और तब जो हम कहते हैं….वो सच हो जाता है।” संजय सिंह 19 सकेंड के इस वीडियो में कह रहे हैं — ” मोदीजी बड़ा अफसोस हुआ, आप इतने ताकवर आदमी हैं। आप मुझे पकड़ कर डाल दीजिए जेल में। हमारे साथ में रहने वाले लोगों को पर आप मुकदमे डाल रहे हैं। आप मुझे बुलाइए ना। ईडी वालों को कहिए वे मुझे बुलाएं।”
सब भ्रष्टाचारी एक हो गए
इस बात में अब किसी को संदेह नहीं होना चाहिए कि बीते नौ सालों में भ्रष्टाचार के खिलाफ नरेन्द्र मोदी सरकार ने सख्त कार्रवाई की है। ईडी और सीबीआई के जांच के दायरे में बड़े छोटे सभी तरह के नेता आए। इस बात के लिए किसी को रियायत नहीं मिली की, वे बड़े या छोटे नेता हैं। बड़ी संख्या में लोग इसलिए राजनीति में आने लगे थे कि यहां रहकर तमाम तरह के काले धंधे करेंगे और उन पर किसी तरह का एक्शन नहीं होगा। दशकों से ऐसा होता आ रहा था। इस परंपरा को नरेन्द्र मोदी ने बदला है। कई जिम्मेवार पदों पर बैठे नेताओं पर भी कार्रवाई की गाज गिरी और वे जेल गए।
भ्रष्टाचार के खिलाफ पीएम मोदी की जीरो टालरेंस की नीति ने चोट खाए भ्रष्टाचार में लिप्त नेताओं को एक कर दिया है। विपक्षी एकता के नाम पर एक साथ इकट्ठी हुई अधिकांश पार्टियां भ्रष्टाचार की कार्रवाई की चोट खाई हुई हैं। दुख की बात यह है कि जिस पार्टी का निर्माण भ्रष्टाचार को खत्म करने की शर्त पर हुआ था, सबसे अधिक उसी पार्टी के नेता भ्रष्टाचार के मामले में जेल जा रहे हैं। आने वाले समय में कार्रवाई की आंच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के शीश महल तक पहुंच जाए तो बहुत आश्चर्य की बात नहीं होगी।
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