गुरु का गुरुत्व उसके ज्ञान और चरित्र में है। गुरु बनना एक सतत् प्रक्रिया है, जिसमें जीवन भर सीखना होता है। यह उद्गार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने नागपुर में अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ द्वारा आयोजित शिक्षा भूषण शिक्षक सम्मान कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए। होसबाले ने कहा भारत कि गुरु-परंपरा संपूर्ण मनुष्य बनने की शिक्षा का उदाहरण प्रस्तुत करती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का लक्ष्य भी इससे प्रेरित है, लेकिन किसी भी नीति की सफलता उसके कार्यान्वयन पर निर्भर करती है।
अभिनंदन-समारोह में आशीर्वचन देते हुए स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि भारत की परंपरा में साधनों का नहीं साधना का महत्व है। भारत का भविष्य संस्कृति और प्रकृति के संरक्षण में है। उन्होंने शिक्षा भूषण से सम्मानित विभूतियों से प्रेरणा लेकर कर्म पथ पर बढ़ने का उपस्थित शिक्षकों से आह्वान किया।
दरअसल, अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ,जो देश के 12 लाख से अधिक शिक्षकों का संगठन है, प्रतिवर्ष तीन ऐसे कर्मयोगी शिक्षाविदों को, जिनका जीवन निस्वार्थ भाव से राष्ट्र और समाज को समर्पित रहा है, अखिल भारतीय शिक्षा भूषण सम्मान द्वारा सम्मानित करता है। सम्मान में अभिनंदन पत्र, रजत चिन्ह और एक लाख रुपए की नगद राशि दी जाती है। इस बार जिन तीन प्रतिष्ठित और मूर्धन्य शिक्षाविदों का अभिनंदन किया गया, उनमें माननीय प्रो. कुलदीप चंद्र अग्निहोत्री, हिमाचल प्रदेश, माननीया डॉ. संजीवनी केलकर महाराष्ट्र और पद्मश्री से विभूषित माननीया डॉ. मीनाक्षी जैन, दिल्ली शामिल हैं।
नागपुर में हेडगेवार स्मारक समिति के व्यास सभागार में आयोजित इस भव्य कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह बौद्धिक प्रमुख सुनील भाई मेहता, शैक्षिक महासंघ के संगठन मंत्री महेंद्र कपूर, सह संगठन मंत्री जी. लक्ष्मण, वरिष्ठ उपाध्यक्ष महेंद्र कुमार, निर्मला यादव, महामंत्री शिवानंद सिंदनकेरा सहित देश के विभिन्न राज्यों के विश्वविद्यालय महाविद्यालय एवं विद्यालय शिक्षा के 600 से अधिक शिक्षक उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन विद्यापीठ शिक्षक मंच नागपुर की अध्यक्ष डॉ कल्पना पांडे ने किया। कार्यक्रम में शैक्षिक फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘राष्ट्र संवर्धन बनाम वाम विखंडन’ का विमोचन भी अतिथियों द्वारा किया गया।
इन शिक्षकों को किया गया सम्मानित
डॉ.संजीवनी केलकर
व्यवसाय से मूलतः चिकित्सक डॉ.संजीवनी केलकर ने वंचित समुदाय की बस्तियों के गरीब बच्चों के पठन-पाठन की सामग्री का वितरण कर उनमें शिक्षा, स्वच्छता और कर्म योग की अलख जगाकर नेतृत्व क्षमता विकसित करने का सर्वोतम कार्य किया है। संजीवनी केलकर ने ग्रामीण महिलाओं के सशक्तीकरण में भागीदारी करते हुए आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों में लगभग 12000 विद्यार्थियों को स्थानीय भाषा (मराठी) माध्यम से शिक्षा व्यवस्था, जल संकट से ग्रस्त क्षेत्र में लगभग 45000 लोगों की क्षमता के जल संरक्षण हेतु टैंकों का निर्माण और टैंकों में जल भराव की समुचित व्यवस्था का बीड़ा उठाया है।
डॉ.मीनाक्षी जैन
डॉ.मीनाक्षी जैन मध्यकालीन और औपनिवेशिक भारत की एक प्रसिद्ध इतिहासकार हैं। भारतीय संस्कृति के आधार राम और उनकी साकेत नगरी अयोध्या पर सूक्ष्म और परिष्कृत कार्य करने वाली राजनीतिक विज्ञान की शिक्षिका तथा इतिहासकार, औपनिवेशिक भारत में सती प्रथा के उन्मूलन के साथ सुधारवाद की साधिका, डॉ जैन ने अनेक चर्चित पुस्तकों का लेखन किया है। 2020 में भारत सरकार ने भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘पद्मश्री’ से डा.जैन को सम्मानित किया गया।
प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री
प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री सीमांत तथा पर्वतीय प्रदेशों के समग्र अध्येता, हिंदी भाषा और साहित्य के मूर्धन्य मनीषी, सचेतन साहित्यकार, भारतीय संस्कृति के प्रबल साधक, राष्ट्रवादी विचारक, प्रखर विधि विशेषज्ञ और मानवता के प्रबल पक्षधर रहें हैं। प्रो. अग्निहोत्री को भारत तिब्बत सहयोग मंच के संयोजक के रूप में ‘तिब्बत को चीन से मुक्ति’ आंदोलन का नेतृत्व करने पर एवं आपातकाल में बंदी बनाया गया था। उन्होंने पूर्व में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में अंबेडकर पीठ के चेयरपर्सन, विश्वविद्यालय के धर्मशाला स्थित केंद्र में निदेशक और हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय में कुलपति के रूप में अनुकरणीय कार्य किया है। अब तक उनकी 16 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
बता दें कि अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ द्वारा देश के तीन प्रतिष्ठित ,ख्यातिलब्ध और मनीषी शिक्षाविदों को आग्रह पूर्वक मनोनयन के आधार पर दिए जाने वाले प्रतिष्ठित शिक्षा-भूषण सम्मान का समारोहपूर्वक आयोजन डॉक्टर हेडगेवार स्मारक समिति नागपुर के महर्षि व्यास सभागृह में 2 अक्टूबर 2023 को किया गया। समारोह में मंच पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर कार्यवाह माननीय दत्तात्रेय होसबाले, परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश के परम श्रद्धेय स्वामी चिदानंद सरस्वती, अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ निर्मला यादव, अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय संगठन मंत्री महेंद्र कपूर, राष्ट्रीय महामंत्री शिवानंद सिंदनकेरा उपस्थित रहे।
राष्ट्र के हित में शिक्षा, शिक्षा हित में शिक्षक और शिक्षक हित में समाज के ध्येय पर कार्य करने वाला अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद’ के भाव की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहता है । महासंघ द्वारा वर्ष 2015 से प्रतिवर्ष शैक्षिक एवं सामाजिक दृष्टि से देश में असाधारण तथा उत्कृष्ट कार्य करने वाले तीन प्रतिष्ठित शिक्षाविदों को ‘शिक्षा भूषण’ अखिल भारतीय शिक्षक सम्मान प्रदान करता है, जिसमें एक लाख रुपये की धनराशि, रजत चिह्न, अभिनंदन पत्र, शॉल तथा श्रीफल सादर भेंट करता है। यह धनराशि महासंघ के देश भर में बने सदस्यों द्वारा ( ₹100 प्रत्येक सदस्य) दी गई राशि से बनी अक्षय निधि में से दी जाती है।
वर्ष 2015 में पहला शिक्षा भूषण परम श्रद्धेय डॉक्टर हेडगेवार तथा परम सम्माननीय गुरु जी की पावन कर्मभूमि डॉक्टर हेडगेवार स्मारक समिति नागपुर में आयोजित हुआ था। 2 अक्टूबर 2023 को देशभर से अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के शिक्षक बंधु-बहिनों को आठवें शिक्षा भूषण सम्मान समारोह में राष्ट्र-आराधन की इस पावन धरा पर पुनः पधारने का पुनीत अवसर सुलभ हुआ है।
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