चीन से करोड़ों रुपए अवैध तरीके से फंडिंग लेने और न्यूज कंटेंट की आड़ में देश के खिलाफ साजिश भरे चीनी प्रोपेगेंडा को आगे बढ़ाने के मामले में फंसे न्यूज पोर्टल ‘न्यूज क्लिक’ के खिलाफ कार्रवाई के बाद हड़कंप मच गया है। देश का वामपंथी मीडिया गिरोह मगरमच्छ के आंसू बहा रहा है। उसे देश में एक बार फिर से लोकतंत्र खतरे में दिखने लगा है। लेकिन सच ये है कि न्यूज क्लिक पर एक्शन से पहले दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने प्रॉपर तैयारी की थी। स्पेशल सेल ए, बी और सी ग्रुप बनाकर पिछले 45 दिनों से कोवर्ट ऑपरेशन चलाकर न्यूज क्लिक की फाइनैशियल और टेक्निकल गतिविधियों की छानबीन कर रही थी।
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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, प्रवर्तन निदेशालय से प्राप्त दस्तावेजों के बेस पर दिल्ली पुलिस ने बीते 17 अगस्त को इस मामले में यूएपीए के तहत एफआईआर दर्ज कर मामले की जाँच शुरू की थी। हालाँकि, जैसे-जैसे जाँच ईडी के अधिकार क्षेत्र से आगे बढ़ी तो मामला भारत की संप्रभुता के लिए खतरे जैसे अपराधों से जुड़ गया। मामले की जाँच को आगे बढ़ाने के लिए स्पेशल सेल ने एक विशेष टीम गठित कर मामले की तकनीकी निगरानी और अन्य उपकरणों की जाँच शुरू कर दी।
दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने कहा कि गिरफ्तार किए गए न्यूज़क्लिक के प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और इसके मानव संसाधन प्रमुख, अमित चक्रवर्ती- ‘ए’ कैटेगरी में रखे थे, जिसमें अभी भी कम से कम चार और संदिग्ध हैं। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि जो टीम वित्तीय जाँच पर ध्यान केंद्रित कर रही थी, वह कुछ ‘अनौपचारिक भुगतान’ और संदिग्धों की यात्राओं के अलावा कॉर्पोरेट फाइलिंग और बैंक लेनदेन सहित हजारों पन्नों के दस्तावेजों की जाँच कर चुकी है।
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चीनी साठगाँठ की जाँच था मुख्य उद्देश्य
दिल्ली पुलिस मुख्यालय के एक अधिकारी के मुताबिक, दिल्ली पुलिस की जाँच का मुख्य केंद्र न्यूज क्लिक को मिल रही चीनी फंडिंग और उसके जरिए देश की संप्रभुता पर हो रहे खतरे पर केंद्रित था। पोर्टल के कंटेंट का अध्ययन करने, वीडियो और लेखों का विश्लेषण करने और यह पता लगाने के लिए कि क्या कोई डेटा डिलीट दिया गया है, इसकी जाँच के लिए एक टीम गठित की गई है। पिछले सप्ताह ही इसकी प्रारंभिक जाँच पूरी हुई थी और कार्रवाई के बारे में पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा के साथ चर्चा की गई। फाइनली रविवार को लोधी कॉलोनी स्थित सेल के मुख्यालय में एक बंद कमरे में बैठक हुई, जिसके बाद सोमवार शाम को शीर्ष पुलिस अधिकारी के साथ अंतिम ब्रीफिंग हुई, जिसके बाद छापेमारी की योजना बनाई गई।
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एक सूत्र के मुताबिक, इस ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए लगभग 400-450 पुलिसकर्मी लगे हुए थे और उन्हें संदिग्ध की प्रोफ़ाइल के अनुसार टीमों में विभाजित किया गया था। उदाहरण के लिए, श्रेणी ए के संदिग्धों के लिए लगभग 8-10 पुलिसकर्मियों को नियुक्त किया गया था। टीम को मंगलवार सुबह तक उनके काम के बारे में कोई जानकारी नहीं थी और उन्हें केवल सुबह 5 बजे रिपोर्ट करने को कहा गया था।
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