अफगानिस्तान में ’60 और ’70 के दशक में महिलाएं स्वाभिमान के साथ आजाद हवा में सांस लेते हुए समाज में एक अहम स्थान रखती थीं। लेकिन आज वही देश महिलाओं के लिए जहन्नुम से कम नहीं रह गया है। अगस्त 2021 में तालिबान के वहां बंदूक के दम पर कुर्सी हथिया लेने के बाद तो जैसे महिलाओं के लिए पाषाण युग जैसा आ गया है। उनके लगभग सभी अधिकार छीनकर गुलामी की जिंदगी जीने को विवश कर दिया गया है। तालिबान ने उन्हें बुर्के में सिर से पांव तक ढके रहने से लेकर उनका कहीं आना—जाना तक दूभर कर दिया है। महिलाओं के प्रति ताजा जहर उगला है तालिबान के मंत्री नेदा मोहम्मद नदीम ने। उसने कहा है,”कुदरत के कायदे के हिसाब से मर्द औरतों आला है। कोई कुछ भी कहे, इसे झूठ साबित नहीं कर सकता।”
अफगानिस्तान में ’60 और ’70 के दशक में महिलाएं स्वाभिमान के साथ आजाद हवा में सांस लेते हुए समाज में एक अहम स्थान रखती थीं। लेकिन आज वही देश महिलाओं के लिए जहन्नुम से कम नहीं रह गया है। अगस्त 2021 में तालिबान के वहां बंदूक के दम पर कुर्सी हथिया लेने के बाद तो जैसे महिलाओं के लिए पाषाण युग जैसा आ गया है।
अफगानिस्तान में आज महिलाओं की क्या स्थिति है उसे बताने के लिए तालिबानी मंत्री, और वह भी ‘शिक्षा’ मंत्री का यह बयान ही काफी है। इस ‘शिक्षा’ मंत्री ने आगे कहा, ”औरतों को यह अल्लाह का फरमान है, इसलिए मर्दों की गुलामी तो करनी होगी।”
काबुल में बैठा यह ‘उच्च शिक्षा’ मंत्री नेदा मोहम्मद नदीम ने कल खुलकर महिलाओं के प्रति अपनी या कहें शरियाई तालिबान की सोच उजागर की। नदीम ने ‘अल्लाह का यह फरमान’ बागलान विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम में सुनाया। उसने कहा कि ‘इस्लामी शरिया कानून कहता है कि मर्द और औरतें एक समान नहीं हैं।’ टोलो न्यूज की रिपोर्ट है कि नदीम ने साफ कहा कि ‘तालिबान औरतों को लेकर जो भी तंत्र है, उसे तालिबान खत्म करने की तरफ बढ़ रहे हैं।’
तालिबान के पसंदीदा और अक्सर जिक्र किए जाने वाले विषय, पश्चिमी देशों पर भी नदीम ने टिप्पणी की। उसने कहा पश्चिम के देश पुरुषों तथा महिलाओं के एक समान होने को लेकर खूब बोलते हैं, लेकिन दरअसल दोनों एक से नहीं हैं। ‘उच्च शिक्षा’ मंत्री ने महिलाओं के विरुद्ध उठाए जा रहे तालिबान सरकार के कदमों को जायज बताया और कहा, ”जब अल्लाह ने दोनों में फर्क किया है तो औरतें और मर्द समान नहीं हो सकते।”
नदीम नाम के इस ‘उच्च शिक्षा’ में 22वीं सदी की तरफ बढ़ रही दुनिया को लगभग हैरान करने वाली बात की। उसने कहा कि कुदरत के कायदे के हिसाब से पुरुष बेशक महिलाओं से उच्च दर्जे के हैं। कोई तर्क इस बात को झूठ नहीं ठहरा सकता। उसके हिसाब से पुरुष हुकूमत करने वाले हैं इसलिए वे महिलाओं पर हक जमा ही सकते हैं। उसने कहा कि महिला को पुरुष के हर फरमान को मानना चाहिए और उससे नीचे बनकर रहना चाहिए।
नदीम नाम के इस ‘उच्च शिक्षा’ में 22वीं सदी की तरफ बढ़ रही दुनिया को लगभग हैरान करने वाली बात की। उसने कहा कि कुदरत के कायदे के हिसाब से पुरुष बेशक महिलाओं से उच्च दर्जे के हैं। कोई तर्क इस बात को झूठ नहीं ठहरा सकता। उसके हिसाब से पुरुष हुकूमत करने वाले हैं इसलिए वे महिलाओं पर हक जमा ही सकते हैं। उसने कहा कि महिला को पुरुष के हर फरमान को मानना चाहिए और उससे नीचे बनकर रहना चाहिए।
इतना ही नहीं, नदीम ने आगे कहा कि ‘विज्ञान जैसे विषय महिलाओं के हिसाब से ठीक नहीं हैं, क्योंकि विश्वविद्यालयों में ये जो विज्ञान के विषय पढ़ाए जा रहे हैं, वे इस्लाम उसूलों के खिलाफ हैं।’
सोचिए, इस जैसे मध्ययुगीन सोच के ‘शिक्षा’ मंत्री के होते अफगानिस्तान में शिक्षा का क्षेत्र किस हद तक पिछड़ रहा होगा। तालिबान इस देश को वापस मध्ययुग में लौटा रहे हैं, इसलिए दुनिया इसे लेकर चिंतित तो हैं, लेकिन इसमें सुधार का कोई विशेष प्रयास भी नहीं दिख रहा है।
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