वेदों का सार है विश्व-कल्याण। आज इस विचार को सारा विश्व मान रहा है। अद्वैत के सिद्धांतों से देश का विकास होगा और भारत जल्द विश्व गुरु बन सकेगा। जब हम इतिहास पढ़ते हैं तो पता चलता है कि केरल से जब दीक्षा लेने के लिए भगवान् शंकराचार्य ओंकारेश्वर पहुंचे थे, वहां पर बाढ़ आई हुई थी। लेकिन उनके द्वारा नर्मदा का स्मरण करते ही बाढ़ का प्रकोप कम हो गया। 21 सितंबर को अनुराधा नक्षत्र है। इस नक्षत्र के देवता पितृ देवता होते हैं।
सभी के लिए सौहार्द के साथ शिवराज जी के द्वारा यह बहुत अच्छा कार्य हुआ है। इन सब कार्यों से जनता का कल्याण हो, इसके लिए अद्वैत दर्शन की जरूरत आज भी है। सभी प्रकार का विकास होना चाहिए। सभी प्रकार का आनंद होना चाहिए। शंकराचार्य जी का उपदेश है कि किसी के साथ झगड़ा मत करो। सबके साथ मिल-जुल कर काम करना। बौद्धिक विकास, अध्यात्मिक प्रगति, सनातन धर्म का प्रचार प्रसार होता रहे। भारतवर्ष के सभी मंदिरों में पूजा-पाठ की व्यवस्था हो।
शंकराचार्य जी के उपदेश को जन-जन तक पहुंचाने की जो प्रकल्पना है, उसे देखकर प्रसन्नता होती है। ओंकारेश्वर में शंकराचार्य जी के उपदेशों से लोगों को जो स्फूर्ति मिली है, हम भगवान से प्रार्थना करेंगे कि वह भारत को विश्व गुरु बनने में सफल बनाए। सबके कल्याण के लिए हम भगवान से प्रार्थना करेंगे। धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, प्राणियों में सद्भावना हो, विश्व का कल्याण हो, गोमाता की रक्षा हो, सनातन धर्म का प्रगति एवं विस्तार हो। हर हर शंकर, जय जय शंकर।
– जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी विजयेंद्र सरस्वती कांची कामकोटि पीठ, कांचीपुरम्
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