भारतवर्ष के उद्गम काल से लेकर चंद्रयान अवतरण तक की ऐतिहासिक, भौगोलिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक यात्रा का दिग्दर्शन किया गया।
कोलकाता की सुप्रतिष्ठित सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था ‘परिवार मिलन’ इन दिनों अपना स्वर्ण जयंती वर्ष मना रही है। इसके अंतर्गत गत दिनों ‘आदीश्वर’ नृत्य नाटिका की प्रस्तुति दी गई। इसमें भारतवर्ष के उद्गम काल से लेकर चंद्रयान अवतरण तक की ऐतिहासिक, भौगोलिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक यात्रा का दिग्दर्शन किया गया।
विभिन्न दृश्य-श्रव्य माध्यमों द्वारा प्रस्तुत इस अनूठे कार्यक्रम में विभिन्न विधाओं के कलाकारों ने अपनी कला के प्रदर्शन से दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया। अरुण चूड़ीवाल ने काशी तमिल संस्कृति संगम से प्रेरित होकर इसकी परिकल्पना की थी। इसमें उनके सहयोगी रहे रवि प्रभा बर्मन, डॉ. प्रेम शंकर त्रिपाठी, ईश्वरी प्रसाद टॉटिया एवं श्रीमती दुर्गा व्यास।
400 जिलों में रोजगार सृजन केंद्र
गत दिनों उदयपुर में ‘दीनदयाल जी के सपनों का भारत’ विषय पर एक कार्यक्रम आयोजित हुआ। स्वदेशी जागरण मंच एवं भारत विकास परिषद द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में नागरिकों और युवा उद्यमियों का सम्मान भी हुआ। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता और स्वावलंबी भारत अभियान के राष्ट्रीय समन्वयक सतीश कुमार ने दीनदयाल जी को याद करते हुए बताया कि वे समाज के अंतिम व्यक्ति की समृद्धि को ही राष्ट्र की समृद्धि मानते थे।
उन्होंने कहा कि भारत अंग्रेजों के आने से पहले नौकरी को हीन-भावना या कर्तव्य परायणता से ही देखता रहा था, क्योंकि अंग्रेजों को अपने काम के लिए ‘सर्वेंट्स’ की आवश्यकता बनी रहती थी। इसलिए शिक्षा पद्धति में ‘सर्विस’ को आधार बना दिया। देश के युवाओं को स्वावलंबन के लिए तैयार करने, उनको साधन, तकनीकी, बैंकिंग आदि की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए स्वावलंबी भारत अभियान ने भारत के 400 जिलों में रोजगार सृजन केंद्र स्थापित किए हैं।
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