खालिस्तानियों की कनाडा, अमेरिका और आस्ट्रेलिया में बढ़ती जा रहीं भारत और हिन्दू विरोधी हरकतों के विरुद्ध अमेरिका में बसे भारतीयों ने बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया है। इन आक्रोशित अमेरिकी—भारतीयों ने कनाडा में खालिस्तानी उग्रपंथी गुरपतवंत पन्नू की हिंदुओं को देश से चले जाने की धमकी वाले वीडियो के संबंध में चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि खालिस्तानी तत्वों का बार-बार हिंदुओं को धमकी देना किसी सूरत में स्वीकार्य नहीं है। हिन्दुओं की सुरक्षा के लिए वहां की सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाई है।
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन त्रूदो द्वारा भारत पर अनर्गल आरोप लगाए गए थे, उसके बाद से लगातार यह बहस बढ़ती गई है। ऐसे में उस देश में हिंदुओं को खालिस्तानी तत्व धमकी दे रहे हैं। इसके विरोध में भारतीय-अमेरिकियों ने कनाडा में बसे हिंदुओं के विरुद्ध नफरत का माहौल बनाने को अस्वीाकर करते हुए ऐसी घटनाओं की भर्त्सना की है। आप्रवासी भारतीयों ने कनाडा सरकार से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर आतंकवाद को खुली छूट न देने की अपील की है। उन्होंने मांग की है कि भारत और भारतीयों के विरुद्ध खालिस्तानी हरकतों पर चुप बैठे रहने की बजाय कड़ी कार्रवाई की जाए।
बात सिर्फ कनाडा में हिंदुओं को धमकी देने की घटनाओं तक सीमित नहीं है। वहां बसे खालिस्तानी उग्रपंथी भारतीय दूतावासों के सामने भारत विरोधी हरकतें कर रहे हैं, झंडे जला रहे हैं, भारत सरकार के लिए अपमानजनक शब्द बोल रहे हैं, हिन्दुओं को भाग जाने को कह रहे हैं। ऐसे में भारतीय-अमेरिकियों ने वहां बसे भारतीय समुदाय को सुरक्षा देने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि यह चिंता की बात है कि खालिस्तानी आतंकी कनाडा में हिन्दू मंदिरों को क्षतिग्रस्त कर रहे हैं और वहां श्रद्धालुओं को धमका रहे हैं।
कनाडा की घटनाओं के संदर्भ में अमेरिका स्थित हिंदू विश्वविद्यालय की प्रोफेसर इंदु विश्वनाथन का कहना है कि यह चिंता की बात है कि खालिस्तानी आतंकी हिन्दुओं के आस्था केन्द्रों, मंदिरों को नुकसान पहुंचाकर उन्हें बार-बार धमकिया दे रहे हैं। ऐसे तत्वों को चुप रहकर देखते रहना उन्हें शह देने जैसा ही है।
प्रधानमंत्री त्रूदो की इस चुप्पी पर फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज से जुड़े श्री खांडेराव का कहना है कि कनाडा के प्रधानमंत्री अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर आतंकवाद को खुली छूट नहीं दे सकते। उन्हें उग्रपंथियों पर लगाम लगानी चाहिए। त्रूदो को कूटनीतिक रास्तों से हालात को संभालने की जरूरत है।
इसी तरह, अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडियन ओरिजिन के वरिष्ठ पदाधिकारी डॉ. संपत शिवांगी ने अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन तथा वहां के सांसदों से इस मामले में दखल देने तथा कनाडा के रह रहे भारतीयों, हिंदुओं तथा छात्रों को संभावित खतरों से छुटकारा दिलाने के लिए कनाडा सरकार पर दबाव बनाने की मांग की है।
भारतीय-अमेरिकी समुदाय के नेता श्री भरत बरई को संदेह है कि कहीं यह नफरत का माहौल अमेरिका का वातावरण न खराब कर दे। पाकिस्तानी गुप्तचर संस्था आईएसआई के इशारे पर खालिस्तानी गुर्गे मासूम लोगों को अपने जाल में फंसाकर उनसे मादक दवाओं की तस्करी, मानव तस्करी तथा दूसरी हिंसक गतिविधियों कराते हैं।
अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडियन ओरिजिन के वरिष्ठ पदाधिकारी डॉ. संपत शिवांगी ने अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन तथा वहां के सांसदों से इस मामले में दखल देने तथा कनाडा के रह रहे भारतीयों, हिंदुओं तथा छात्रों को संभावित खतरों से छुटकारा दिलाने के लिए कनाडा सरकार पर दबाव बनाने की मांग की है।
कनाडा के प्रधानमंत्री त्रूदो ने गत 18 सितंबर को भारत पर खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या के बिना प्रमाण दिए आरोप लगाए थे। उसके कुछ ही दिन बाद खालिस्तानी उग्रपंथी पन्नू ने वीडियो जारी करके वहां बसे हिन्दुओं को धमकाया है। हालांकि कनाडा का सभ्य भारतीय समाज ऐसी धमकियों को सुनकर पन्नू की अक्ल पर तरस ही खा रहा है और उसे एक मसखरा तक बता रहा है। लेकिन यह चिंता की बात तो है। हैरानी की बात है कि कनाडा सरकार की तरफ से ऐसे उकसावे वाले खालिस्तानी वीडियो के विरुद्ध कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हुई है।
भारत पर झूठे आरोप लगाते हुए त्रूदो ने यह जरूर कहा था कि कनाडा की सुरक्षा एजेंसियों के पास ऐसा मानने की पर्याप्त वजहें हैं। लेकिन भारत द्वारा बार बार ठोस सबूत मांगे जाने और मदद का आश्वासन देने के बावजूद कनाडा सरकार ने कोई विश्वसनीय सबूत अभी तक सामने नहीं रखा है। कहना न होगा कि त्रूदो अपने देश में अपनी गिरती साख से बौखलाए हुए हैं और खालिस्तानियों की बैसाखी की मदद से कुछ वक्त और कुर्सी पर बने रहना चाहते हैं। लेकिन अधिकांश कनाडाई उन्हें सत्ता से बाहर देखना चाहते हैं।
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