इस्लाम को कट्टरता के चंगुल से बाहर निकालने वाले इस्लामिक विद्वान सीएच मुस्तफा मौलवी, जो मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के आलोचक हैं एवं इस्लाम में लैंगिक भेदभाव को समाप्त करने की बात करते हैं, उन्हें इन दिनों धमकियां मिल रही हैं। यह मामला है केरल का। उन्हें अपशब्द कहे जा रहे हैं और इतना ही नहीं अजनबी लोग उन्हें देखकर फब्तियां कस रहे हैं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि आखिर उनका दोष क्या है? उनके साथ यह क्यों हो रहा है और इसके पीछे किसका हाथ है?
भारत के कथित प्रगतिशीलों से जब इस्लाम में पनप रही कट्टरता के विषय में प्रश्न किया जाता है तो उनका कहना होता है कि आवाज उन्हीं में से उठने दीजिये। जब वहां के लोग आवाज उठाएंगे तो हम साथ देंगे। मगर जब भी कोई सुधारवादी आवाज उठती है, तो उसके विषय में प्रगतिशील चर्चा ही नहीं करते और इतना ही नहीं उन्हें चुप कराने वाली धमकियों पर भी बात नहीं करते हैं।
केरल के मुस्तफा मौलवी ने onmanorama से बात करते हुए कहा कि उन्हें केवल फेसबुक पर ही धमकियां दी जा रही थीं, मगर अब उन्हें लोग आकर व्यक्तिगत रूप से धमका रहे हैं। मुस्तफा मौलवी एक ऐसे संस्थान के सहायक हैं, जो इस्लाम में लैंगिक न्याय पर जोर देता है। वह सेंटर फॉर इन्क्ल्युसिव इस्लाम एंड हुमेनिज्म के साथ जुड़े हुए हैं।
मुस्तफा अपना अनुभव बताते हुए कहते हैं कि 19 सितम्बर को वह कोझिकोड से कोट्टयम तक गरीब रथ से यात्रा कर रहे थे, तभी उनके पास एक व्यक्ति आता है और उनका परिचय जानकर उनपर तंज कसता है और वह श्री नारायण गुरु में उनके विश्वास पर प्रश्न उठाता है। इतना ही नहीं वह व्यक्ति मुस्तफा पर आरोप लगाता है कि वह इस्लाम को नष्ट कर रहे हैं और वह उन्हें याद दिलाता है कि चेकन्नुर मौलवी के साथ क्या हुआ था? चेकन्नुर मौलवी भी एक उदारवादी आवाज थे, जो इस्लाम में औरतों के अधिकारों की वकालत करते थे और फिर एक दिन वह गायब हो गए थे।
मौलवी को इसी प्रकार धमकी दी गयी और स्थिति तब और गंभीर हो गयी जब मुस्तफा मौलवी से बात करने वाले उस्ताद के साथी ने उन दोनों की एक तस्वीर ले ली और वह भी मौलवी की बिना मर्जी के। उस तस्वीर को लेकर मुस्तफा का जीवन कठिनाई में पड़ गया क्योंकि कट्टरपंथी उस्ताद “अमीन” ने उनके साथ ली गयी तस्वीर को फेसबुक पर साझा किया और लिखा कि अमीन यह पता लगाना चाहता था कि क्या मुस्तफा एक हदीस को नकारने वाले हैं। बाद में पता चला कि वह तो कुरआन को ही नहीं मानते हैं।
इस पोस्ट ने ही तहलका मचा दिया क्योंकि कथित उस्ताद अमीन के फेसबुक पर 15,000 से अधिक फॉलोअर्स हैं। इस पोस्ट पर 350 प्रतिक्रियाएँ, 19 शेयर और 69 टिप्पणियाँ आईं। इसके बाद उनके पास उनके परिजनों और शुभचिंतकों के कॉल आने लगे और जब वह बाहर निकले तो लोगों ने कहा कि “अमीन ने जो आपके साथ किया है, आप उसी के हकदार हैं!” मुस्तफा मौलवी ने पुलिस पर भी निष्क्रियता का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि पुलिस ने उनकी रिपोर्ट नहीं लिखी और रेलवे पुलिस के पास जाने के लिए कहा है। सेंटर फॉर इन्क्ल्युसिव इस्लाम से जुड़े हुए मुस्तफा मौलवी ने यहाँ तक कहा कि यदि उन्हें कुछ होता है तो उसके लिए वह सभी शोक संदेश भेजेंगे, संवेदना जताएंगे जो आज साथ नही दे रहे हैं, उन्होंने यह भी कहा कि वह मरने से नहीं डरते हैं, मगर पुलिस को किसी व्यक्ति की सुरक्षा तो सुनिश्चित करनी ही चाहिए।
वह जिस सेंटर से जुड़े हैं, वह लगातार मुस्लिम महिलाओं की बेहतरी के लिए आवाज उठाता है और उनका कहना है कि उनका मानना है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भारत में कुरआन की शिक्षाओं के विपरीत कार्य कर रहा है और उसे इस्लाम में दिए गए इन्साफ और इंसानियत पर बात करनी चाहिए। मुस्लिम देशों तक में ऐसे बदलाव हो गए हैं, मगर भारत में मौलवी इस मांग का विरोध कर रहे हैं।
इस सेंटर की ओर से 4 मार्च को नालंदा ऑडिटोरियम में मुस्लिम महिला कांफ्रेंस का भी आयोजन कराया गया था। परन्तु दुर्भाग्य की बात यही है कि इस्लाम में महिलाओं के अधिकारों के लिए, उनके लिए समानता के लिए और उनकी बेहतरी के लिए उठाई जा रही आवाजों को चुप कराने का प्रयास किया जा रहा है और वह कट्टरपंथी आवाजें जो मुस्लिम महिलाओं को बुर्के में रखना चाहती हैं, उन्हें अभिव्यक्ति की आजादी की आड़ में बढ़ावा दिया जा रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि मुस्लिम महिलाओं के बुर्के के अधिकार का समर्थन करने वाली लॉबी कब इस्लाम में सुधारवादी आवाज के समर्थन में आती है।
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