कनाडा की संसद में कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो के विस्फोटक बयान के बाद भारत और कनाडा के बीच पारंपरिक रूप से शांत चले आ रहे संबंधों में खटास आ गई है।
कनाडा की संसद में कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो के विस्फोटक बयान के बाद भारत और कनाडा के बीच पारंपरिक रूप से शांत चले आ रहे संबंधों में खटास आ गई है। ट्रूडो ने संसद में दावा किया कि उनके पास ऐसे विश्वसनीय आरोप हैं जो बताते हैं कि 18 जून को ब्रिटिश कोलंबिया में हुई सिख अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार का हाथ हो सकता है।
भारत ने इन दावों का तुरंत खंडन किया। यह भी खुलासा किया कि निज्जर को जुलाई 2020 में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत भारत द्वारा ‘आतंकवादी’ नामित किया गया था। भारत में उसकी संपत्ति सितंबर 2020 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा जब्त कर ली गई थी। और 2016 में उसके खिलाफ इंटरपोल द्वारा एक रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था। इसके अलावा, सरे में खुद स्थानीय पुलिस ने निज्जर को आतंकवादी संलिप्तता के संदेह में 2018 में अस्थायी तौर पर घर में नजरबंद कर दिया था, हालांकि बाद में उसे रिहा कर दिया गया था।
भारत-कनाडा संबंधों के भविष्य को लेकर अनिश्चितता बढ़ रही है। इसके महत्वपूर्ण आर्थिक और कूटनीतिक परिणाम सामने आ रहे हैं। जिस समय यूरोप में दूसरा युद्ध शुरू होने से बस बाल-बाल बचा है, विश्व में पहले ही भारी आर्थिक और खाद्यान्न संकट चल रहा है, उस समय भारत-कनाडा तनाव को विश्व समुदाय भी बारीकी से देख रहा है।
ट्रूडो के पास कोई सबूत नहीं है, फिर भी उन्होंने सदन में ऐसा क्यों कहा? विश्लेषकों का अनुमान है कि ट्रूडो का आक्रोश हाल के घोटालों से ध्यान हटाने का एक प्रयास हो सकता है, जिसमें उनके विमान में कथित नशीली दवाओं से संबंधित घटनाएं और तलाक की याचिका में उनकी पत्नी द्वारा दावा किया गया है कि वह नशीली दवाओं के आदी हैं। इसके अलावा ट्रूडो अपनी अल्पमत सरकार के लिए समर्थन सुरक्षित करने के लिए एनडीपी के जगमीत सिंह सहित सिख नेताओं को खुश करना चाह रहे होंगे।
भारत की निंदा करने और अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करने के ट्रूडो के प्रयासों के उत्साहजनक परिणाम नहीं मिले हैं। हालांकि उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन, ब्रिटिश प्रधान मंत्री ऋषि सुनक, आस्ट्रेलियाई प्रधान मंत्री एंथनी अल्बानीज और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन सहित विश्व नेताओं को जानकारी दी, लेकिन भारत ने आरोपों का दृढ़ता से खंडन किया और ट्रूडो को कोई अंतरराष्ट्रीय समर्थन नहीं मिल सका। इस कूटनीतिक टकराव के बाद दोनों देशों ने अपने नागरिकों को एक-दूसरे के क्षेत्रों की यात्रा न करने की सलाह दे दी।
दोनों देशों के बीच व्यापक व्यापार समझौते पर बातचीत रोक दी गई है।
उच्च पदस्थ राजनयिकों को निष्कासित कर दिया गया है, और कनाडा में भारतीय दूतावासों ने कनाडाई नागरिकों को वीजा जारी करना बंद कर दिया है। यह एक बड़ी कार्रवाई है, क्योंकि कनाडा चाहकर भी इसकी जवाबी कार्रवाई नहीं कर सकता है। इसका कारण यह है कि भारत से आने वाले लोग कनाडा के लिए पैसों का बड़ा स्रोत हैं और भारतीयों को वीजा देना धीमा करने से भी उसका खालिस्तानी कार्ड कमजोर पड़ सकता है। यह भी कहा जा रहा है कि भारत सरकार ने संभवत: बैंकों को भी कनाडा जाने वाले छात्रों के लिए ऋण में तेजी न लाने की सलाह दी है, जो कनाडाई विश्वविद्यालयों के लिए अंतरराष्ट्रीय छात्रों का, और आमदनी का, एक महत्वपूर्ण स्रोत है। महिंद्रा जैसे भारतीय निगमों ने कनाडा में अपने डिवीजनों को बंद कर दिया है, और प्रायोजन वापस ले लिया गया है।
इसके अतिरिक्त, सिख फॉर जस्टिस नामक अलगाववादी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू द्वारा संचालित आनलाइन गतिविधियों से और भी खराब हो गई है, जिन्होंने ‘‘इंडो हिंदू लीव कनाडा’’ शीर्षक से एक अभियान शुरू किया है और उनके खिलाफ धमकियां जारी की हैं। खालिस्तानी गुर्गों ने कनाडा में भारतीय राजनयिक मिशनों के बाहर प्रदर्शन का आह्वान किया है, जिससे भारतीय वाणिज्य दूतावासों के कामकाज पर चिंता पैदा हो गई है। उधर कनाडा के एक सिंगर का भारत में होने वालाकार्यक्रम रद्द हो गया है।
जैसे-जैसे तनाव बढ़ता जा रहा है, भारत-कनाडा संबंधों के भविष्य को लेकर अनिश्चितता बढ़ रही है। इसके महत्वपूर्ण आर्थिक और कूटनीतिक परिणाम सामने आ रहे हैं। जिस समय यूरोप में दूसरा युद्ध शुरू होने से बस बाल-बाल बचा है, विश्व में पहले ही भारी आर्थिक और खाद्यान्न संकट चल रहा है, उस समय भारत-कनाडा तनाव को विश्व समुदाय भी बारीकी से देख रहा है।
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