संयुक्त राष्ट्र में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा- आतंकवाद पर दोहरा रवैया और मनमाने नियम थोपने के दिन लद गए
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संयुक्त राष्ट्र में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा- आतंकवाद पर दोहरा रवैया और मनमाने नियम थोपने के दिन लद गए

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र में कहा कि क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान और दूसरों देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप जैसे मुद्दों पर दोहरा रवैया नहीं अपनाया जाना चाहिए

by WEB DESK
Sep 26, 2023, 08:53 pm IST
in दिल्ली
एस. जयशंकर, विदेश मंत्री

एस. जयशंकर, विदेश मंत्री

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नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कनाडा और पश्चिमी देशों को स्पष्ट संदेश देते हुए संयुक्त राष्ट्र में कहा कि राजनीतिक नफा-नुकसान के आधार पर आतंकवाद के बारे में रवैया तय नहीं किया जाना चाहिए। वे दिन लद गए हैं जब कुछ देश नियम-कानून तय करते थे तथा उन्हें दूसरे देशों पर थोपते थे।

संयुक्त राष्ट्र महासभा की आम चर्चा में ‘नमस्ते फ्रॉम भारत’ से अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान और दूसरों देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप जैसे मुद्दों पर दोहरा रवैया नहीं अपनाया जाना चाहिए। कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी की हत्या के बाद कनाडा और भारत के बीच जारी टकराव की सीधे रूप से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि नियमों और कानूनों का पालन करना सभी देशों पर समान रूप से लागू होता है। उन्होंने कहा कि आजकल नियम आधारित विश्व व्यवस्था की अकसर चर्चा होती है। संयुक्त राष्ट्र चार्टर का सम्मान करने की दुहाई भी दी जाती है, लेकिन इस प्रलाप के बावजूद यह एक सच्चाई है कि कुछ देश एजेंडा और नियमों को तय करते हैं। यह ढर्रा अनिश्चितकाल तक नहीं चल सकता और इन्हें चुनौती भी दी जाएगी।

विदेश मंत्री ने जी-20 शिखरवार्ता के दौरान अफ्रीकी महाद्वीप की आवाज बुलंद करते हुए उसे संगठन का स्थाई सदस्य बनाए जाने का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इस कदम का अनुसरण करते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी समय के अनुरूप सुधार होना चाहिए। जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत के मेल-मिलाप के रवैये की चर्चा करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि आज दुनिया में पूर्व और पश्चिम के बीच ध्रुवीकरण का माहौल है तथा उत्तर (पश्चिमी देश) और दक्षिण (विकासशील– कम विकसित देश) के बीच असमानता है। हमारा प्रयास है कि मतभेदों को दूर किया जाए और आम राय कायम की जाए। उन्होंने कहा कि गुटनिरपेक्ष आंदोलन के बाद भारत अब ‘विश्व मित्र’ (फ्रेंड्स ऑफ वर्ड) की नीति पर अमल कर रहा है। हम अपने विभिन्न साझेदार देशों के साथ सहयोग को बढ़ावा दे रहे हैं। विभिन्न देशों को साथ लाना और उनके हितों में सामन्जस्य स्थापित करना हमारा प्रयास है।

जयशंकर ने कोविड वैक्सीन और पर्यावरण संकट का मुकाबला करने में पश्चिमी देशों के पाखंडपूर्ण रवैये को उजागर करते हुए कहा कि हमें भविष्य में वैक्सीन के वितरण में हुए अन्याय को आगे नहीं दोहराने देना चाहिए। इसी तरह पर्यावरण संरक्षण की भी योजना के संबंध में अमीर देशों को अपनी ऐतिहासिक जिम्मेदारी से भागना नहीं चाहिए। विदेश मंत्री ने कहा कि बाजार की ताकत के आधार पर अमीर देश खाद्यान और ऊर्जा हथिया नहीं सकते। उनपर गरीब देशों का भी बराबर का हक है। जयशंकर ने अपने संबोधन में यूक्रेन युद्ध का कोई जिक्र नहीं किया, लेकिन दुनिया में चल रहे टकराव, संघर्ष और मतभेदों की सामान्य रूप से चर्चा की।

कूटनीतिक हल्कों में यह कयास लगाया जा रहा था कि विदेश मंत्री अपने संबोधन में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बेबुनियाद आरोपों का बिन्दुवार जवाब देंगे। विदेश मंत्री ने राजनयिक शालीनता के साथ ही साफगोई के साथ कनाडा और उसके सहयोगी देशों को स्पष्ट संदेश दिया कि आतंकवाद पर पर दोहरे रवैये तथा विश्व व्यवस्था के नियम सबके लिए समान रूप से लागू होते हैं। यह नहीं हो सकता कि कुछ शक्तिशाली देश नियम बनाएं, स्वयं उसपर अमल न करें और अन्य देशों पर थोपें। इसके दिन अब लद गए हैं।

(सौजन्य सिंडिकेट फीड)

Topics: terrorismएस जयशंकर का बयानविदेश मंत्री का बयानमनमाने नियमसंयुक्त राष्ट्र में एस. जयशंकरarbitrary rulesstatement of Foreign MinisterS. Jaishankar statementएस जयशंकरS Jaishankar in United NationsS Jaishankarआतंकवाद
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