भारत सरकार के अथक प्रयासों से आखिरकार खालिस्तानी उग्रपंथी गुट बब्बर खालसा इंटरनेशनल के आतंकवादी करणवीर सिंह के विरुद्ध रेड कॉर्नर नोटिस जारी हो गया है। बताया जाता है कि करणवीर सिंह संभवत: पाकिस्तान में आईएसआई की पनाह में छुपा है।
38 साल का खालिस्तानी आतंकी करणवीर सिंह आईएसआई के नेटवर्क में रहा है और वह भारत विरोधी षड्यंत्रों को अंजाम देने के लिए काम कर रहा है। वह मूलत: पंजाब के कपूरथला का रहने वाला है। सूत्रों के अनुसार, करणवीर पाकिस्तान में छुपा बैठा है।
बताते हैं करणवीर सिंह बब्बर खालसा के उग्रपंथियों वाधवा सिंह तथा हरविंदर सिंह संधू उर्फ रिंदा का विश्वासपात्र है और उनके बहुत नजदीक है। इस बात की पुष्टि इससे भी होती है कि ये दोनों आतंकी, वाधवा तथा रिंदा भी पाकिस्तान में ही कहीं छुपे बताए जाते हैं।
इंटरपोल को तथ्य मिले हैं कि ये तीनों पाकिस्तान में बैठे वहां की गुप्तचर एजेंसी आईएसआई के एजेंडे के अनुसार भारत में विस्फोटक और आतंकवादी हरकतों पर काम करते हैं। इसके बदले में आईएसआई उन्हें मोटा पैसा और ड्रग्स देती है। इन नशीले पदार्थों के जरिए ये खालिस्तानी संभवत: भारत के पंजाब प्रांत के युवाओं को नशे की अंधेरी दुनिया में डूबाकर अपने मंसूबे पूरे कराते हैं।
उल्लेखनीय है कि करणवीर सिंह के विरुद्ध हत्या, विस्फोट, आतंकी फंडिंग, हथियार रखने तथा आतंकी षड्यंत्र रचने के गंभीर आरोप दर्ज हुए हैं। ऐसे दुर्दांत और पकड़ से दूर अपराधियों को अंतरराष्ट्रीय सहयोग से पकड़ा जाता है। इसके लिए उनके विरुद्ध पहले इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस जारी करता है।
दरअसल रेड कॉर्नर नोटिस इंटरपोल संधि से जुड़े देशों के कानून प्रवर्तन की दृष्टि से एक अनुरोध होता है। इसके अंतर्गत प्रत्यर्पण, आत्मसमर्पण अथवा ऐसी ही कोई कानूनी प्रक्रिया के पूरे होने तक किसी अपराधी को खोजने तथा उसे अस्थायी तौर पर हिरासत में रखने का प्रावधान शामिल है।
पिछले कुछ साल में इस गुट ने भारत तथा पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि कनाडा, अमेरिका तथा यूरोप सहित दुनिया के कई हिस्सों तक अपना संजाल बिछा लिया है। बताते हैं यह इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन सहितज कई अन्य प्रतिबंधित गुटों के साथ भी तालेमल करके चलता है। ऐसे कट्टर उग्रपंथी गुट को भारत, कनाडा, यूके, ईयू, जापान, मलेशिया तथा अमेरिका में प्रतिबंधित किया जा चुका है।
खालिस्तानी उग्रपंथी गुट बब्बर खालसा इंटरनेशनल 13 अप्रैल 1978 को अमृतसर में हुई हिंसक झड़पों के बाद अस्तित्व में आया था। उन झगड़ों में अखंड कीर्तनी जत्था तथा उसके विरोधी निरंकारी संलिप्त थे। बब्बर खालसा का हैडक्वार्टर पाकिस्तान के लाहौर शहर में बताया जाता है। इसमें संदेह नहीं है कि इसका गठन और बाद में इसका संचालन भारत में विस्फोटक और आतंकी कार्रवाइयों को करवाने वाली आईएसआई की देखरेख में होता आया है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को ऐसे प्रमाण मिले हैं जो बताते हैं कि आजकल इस गुट का सरगना 69 साल का वाधवा सिंह है। करणवीर इसी वाधवा सिंह का खासमखास बताया जाता है।
असल में यह बब्बर खालसा इंटरनेशनल गुट सबसे पुराने खालिस्तानी गुटों में से एक माना जाता है। अमृतसर के सुखदेव सिंह बब्बर तथा कपूरथला के तलविंदर सिंह परमार ने इस गुट को खड़ा किया था। ये दोनों 1970 के मई माह में कनाडा जा बसे थे। वहां से इन्होंने हत्याओं, पुलिस बलों पर हमलों तथा भीड़भाड़ वाली जगहों बम धमाकों को अंजाम दिया।
पिछले कुछ साल में इस गुट ने भारत तथा पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि कनाडा, अमेरिका तथा यूरोप सहित दुनिया के कई हिस्सों तक अपना संजाल बिछा लिया है। बताते हैं यह इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन सहितज कई अन्य प्रतिबंधित गुटों के साथ भी तालेमल करके चलता है। ऐसे कट्टर उग्रपंथी गुट को भारत, कनाडा, यूके, ईयू, जापान, मलेशिया तथा अमेरिका में प्रतिबंधित किया जा चुका है।
इसी बब्बर खालसा गुट के आतंकवादी रिंदा तथा लखबीर सिंह संधू उर्फ लांडा की जानकारी देने वाले को 10 लाख रुपये का ईनाम भी घोषित किया गया है।
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