नई दिल्ली। फ्रांस से भारत को मिला पहला सी-295 परिवहन विमान सोमवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विधि-विधान से पूजा करके वायु सेना के बेड़े में शामिल किया। इससे सेना की रसद तथा अन्य क्षमताओं में बढ़ावा होगा। यह भव्य कार्यक्रम एयर फ़ोर्स के हिंडन एयरबेस पर वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी की मौजूदगी में हुआ। उन्होंने रक्षा मंत्री को विमान की इंडक्शन चाबी सौंपी। इसी तरह के 15 और विमान फ्रांस से ‘फ़्लाइंग मोड’ में आयेंगे और 40 सैन्य परिवहन विमान टाटा कंपनी भारत में ही निर्माण करेगी।
एयर फ़ोर्स के हिंडन एयरबेस पर आज सुबह भारत ड्रोन शक्ति-2023 कार्यक्रम में विभिन्न क्षमताओं वाले ड्रोन का प्रदर्शन किया गया। इस कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री जनरल विजय कुमार सिंह (सेवानिवृत्त), वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी के साथ शामिल हुए। यहां 50 किलो से 100 किलो तक वजन ले जाने की क्षमता वाले ड्रोन का अद्भुत प्रदर्शन किया गया। इसके अलावा किसानों को खेती में काम आने वाले, चिकित्सा सहायता के लिए एक जगह से दूसरी जगह मेडिकल सामग्री पहुंचाने, युद्ध के दौरान बमबारी करने वाले, सीमा पर सैनिकों की अग्रिम चौकियों तक खाद्य एवं रसद सामग्री पहुंचाने वाले ड्रोन का प्रदर्शन किया गया।
भारत ड्रोन शक्ति-2023 के दौरान प्रदर्शित ड्रोन की एक कॉम्पैक्ट प्रणाली दिखाई गई, जिसे मोटरसाइकिल पर ले जाया जा सकता है। विशेष मोटरसाइकिलों को बिना असेंबल किए ड्रोन ले जाने के लिए अनुकूलित किया गया है। आधुनिक कृषि पद्धतियों को शुरू करने के लिए किसान ड्रोन को ग्रामीण इलाकों में मोटरसाइकिलों का उपयोग करके ले जाया जा सकता है। भारतीय ड्रोन उद्योग की ताकत का यह अब तक का सबसे बड़ा प्रदर्शन रहा, जिसमें 50 से अधिक लाइव हवाई प्रदर्शन और ड्रोन के 75 से अधिक स्थिर प्रदर्शन शामिल रहे। इस प्रदर्शन में भारत की ड्रोन तकनीक में बढ़ती ताकत दिखी, जिसका मौजूद लोगों ने तालियां बजाकर और ‘भारत माता की जय’ का उद्घोष करके स्वागत किया।
इस भव्य कार्यक्रम के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने फ्रांस से भारत को मिला पहला सी-295 परिवहन विमान औपचारिक रूप से वायु सेना के बेड़े में शामिल किया। राजनाथ सिंह ने विधि-विधान से पूजा करके विमान ‘स्वास्तिक’ का निशान बनाया। यह सैन्य परिवहन विमान फ्रांस की एयरबस कंपनी ने 13 सितम्बर को भारतीय वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी को स्पेन के सेविले में सौंपा था। इस विमान को वायु सेना के ग्रुप कैप्टन पीएस नेगी फ्रांस से मिस्र और बहरीन होते हुए उड़ाकर 20 सितंबर को भारत लाये और वडोदरा के वायु सेना स्टेशन पर उतारा। यह विमान सी -295 विमान आगरा एयरबेस पर तैनात होगा। वहां पर इसका ट्रेनिंग सेंटर भी बनाया जा रहा है। सी-295 एयरक्राफ्ट के लिए आगरा एयरबेस को इसलिए चुना गया है, क्योंकि इसे खासतौर पर पैराट्रूपर्स के लिए बनाया गया है।
फ़्रांसीसी कंपनी एयरबस डिफेंस एंड स्पेस के साथ पिछले साल 24 सितंबर को 56 सी-295 सैन्य परिवहन विमानों का सौदा फाइनल हुआ था। इसी सौदे के तहत यह पहला विमान स्पेन में ही तैयार किया है। समझौते के मुताबिक़ कंपनी को 16 विमान स्पेन में तैयार करके भारत को ‘फ्लाइंग मोड’ में आपूर्ति करना है जबकि अन्य 40 विमानों का निर्माण दस वर्षों के भीतर टाटा कंसोर्टियम भारत में ही करेगा। भारत को पहला विमान मिलने के साथ ही अन्य 15 विमानों के ‘फ्लाइंग मोड’ में आपूर्ति होने का रास्ता साफ़ हो गया है। यह अपनी तरह की पहली परियोजना है, जिसमें निजी सभी 56 विमानों को स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट के साथ स्थापित किया जाएगा। यह मीडियम लिफ्ट सामरिक विमान बिना तैयार लैंडिंग ग्राउंड से उड़ान भरने और उतरने में सक्षम है।
सी-295 सैन्य परिवहन विमान की खासियत
इस विमान को दो लोग उड़ाते हैं और इसकी क्षमता 73 सैनिक या 48 पैराट्रूपर्स या 12 स्ट्रेचर इंटेसिव केयर मेडवैक या 27 स्ट्रेचर मेडवैक के साथ 4 मेडिकल अटेंडेंट ले जाने की है। यह अधिकतम 9250 किलोग्राम तक वजन उठा सकता है। इसकी गति अधिकतम 482 किलोमीटर प्रति घंटा है और अधिकतम 13,533 फीट की ऊंचाई पर उड़ सकता है। इसे टेक ऑफ करने के लिए 844 मीटर से 934 मीटर लंबाई वाला और उतरने के लिए सिर्फ 420 मीटर का रनवे चाहिए। हथियार लगाने के लिए इसमें छह हार्ड प्वाइंट्स होते हैं। यानी हथियार और बचाव प्रणाली लगाने के लिए दोनों विंग्स के नीचे तीन-तीन जगह होती हैं, जिसमें 800 किलोग्राम के हथियार लगाए जा सकते हैं। सी-295 के शामिल होने से भारतीय वायु सेना की मध्यम लिफ्ट सामरिक क्षमता बढ़ेगी।
टाटा कंसोर्टियम वडोदरा में बना रहा है फैक्ट्री
भारत में 40 विमानों का निर्माण करने के लिए टाटा कंसोर्टियम वडोदरा में फैक्ट्री बना रहा है, जो 2026 तक बन जाएगी। टाटा ने पिछले साल नवंबर से 40 सी-295 विमानों के लिए मेटल कटिंग का काम शुरू कर दिया है। हैदराबाद फिलहाल इसकी मेन कांस्टीट्यूट एसेंबली है, जहां कई पार्ट्स बनाए जाएंगे। हैदराबाद फैसिलिटी एयरक्राफ्ट के प्रमुख हिस्सों को फैब्रिकेट करेगी। इसके बाद उसे वडोदरा भेजा जाएगा, जहां इंजन और इलेक्ट्रॉनिक्स सेट लगाकर सी-295 विमान को अंतिम रूप दिया जाएगा। भारतीय वायुसेना के लिए ट्रांसपोर्ट विमान बेहद जरूरी हैं, ताकि सैनिकों, हथियारों, ईंधन और हार्डवेयर को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचा सकें। यह विमान इंडियन एयरफोर्स के पुराने एचएस एरोस विमानों की जगह लेंगे। इसके अलावा यूक्रेन से आए एंतोनोव एएन-32 को बदला जाएगा।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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