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बहुविवाह पर प्रतिबंध की तैयारी

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा राज्य में बहुविवाह पर प्रतिबंध की तैयारी में हैं। इस सिलसिले में गठित फूकन समिति सरकार को हरी झंडी दिखा चुकी है। जल्द ही इस विधेयक को अंतिम रूप दिये जाने की उम्मीद

by अरविंद कुमार राय
Sep 14, 2023, 07:46 am IST
in भारत, विश्लेषण, असम
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा

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एक सर्वदलीय बैठक के बाद मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि राज्य सरकार अगले 45 दिनों में राज्य में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने वाले विधेयक को अंतिम रूप दे देगी।

असम में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने के लिए राज्य सरकार असम विधानसभा में एक विधेयक लाने की तैयारी में है। इसी सप्ताह तिनसुकिया में एक सर्वदलीय बैठक के बाद मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि राज्य सरकार अगले 45 दिनों में राज्य में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने वाले विधेयक को अंतिम रूप दे देगी। यानी सरकार दिसंबर में होने वाले विधानसभा सत्र में यह विधेयक ला सकती है।

लोकसभा चुनाव के मौसम में आने वाले इस विधेयक को लेकर असम विधानसभा में काफी हंगामा होने के आसार दिख रहे हैं। लेकिन, विपक्षी दल कांग्रेस या फिर एआईयूडीएफ इस मसले पर सरकार को घेर नहीं सकते क्योंकि, यह मसला महिलाओं की अस्मिता से जुड़ा है। भाजपा सरकार द्वारा लाये जा रहे कानूनों का विरोध विशेष रूप से न तो कांग्रेस कर पाती है और न ही एआईयूडीएफ। बीते समय में भाजपा सरकार द्वारा लाए गए कानूनों के सिलसिले में ऐसा ही देखा गया है। चाहे वह गो-रक्षा का कानून हो या फिर एनआरसी आदि का मामला-विपक्ष किंकर्तव्यविमूढ़ बनकर रह जाता है।

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि राज्य सरकार बहुविवाह पर प्रतिबंध लगा सकती है या नहीं, इसको लेकर कोई दो राय नहीं है। इसकी समीक्षा करने के लिए न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रूमी कुमारी फूकन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था। समिति इस सिलसिले में सरकार को हरी झंडी दिखा चुकी है। इस समिति को राज्य में बहुविवाह को समाप्त करने संबंधी कानून बनाने के लिए राज्य विधानसभा के अधिकार का विश्लेषण करने और समान नागरिक संहिता के लिए राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांत के संबंध में भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 के साथ मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) अधिनियम, 1937 का विश्लेषण करना था। समिति को 60 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस दिशा में हर तरफ से सकारात्मक सुझाव आ रहे हैं। सरकार ने बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रस्तावित विधेयक पर राज्य की जनता से भी सुझाव आमंत्रित किए थे। इसको लेकर सरकार ने सार्वजनिक नोटिस जारी किया था। इस नोटिस के जवाब में सरकार के समक्ष कुल 149 सुझाव भेजे गये हैं। ज्ञात हो कि इनमें से तीन को छोड़ शेष सभी सुझाव विधेयक के पक्ष में हैं। इन सुझावों के जरिए लोगों ने बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने का समर्थन किया है।

राज्य सरकार बहुविवाह पर प्रतिबंध लगा सकती है या नहीं, इसको लेकर कोई दो राय नहीं है। इसकी समीक्षा करने के लिए न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रूमी कुमारी फूकन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था। समिति इस सिलसिले में सरकार को हरी झंडी दिखा चुकी है। इस समिति को राज्य में बहुविवाह को समाप्त करने संबंधी कानून बनाने के लिए राज्य विधानसभा के अधिकार का विश्लेषण करने और समान नागरिक संहिता के लिए राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांत के संबंध में भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 के साथ मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) अधिनियम, 1937 का विश्लेषण करना था।

-डॉ. हिमंत बिस्व सरमा

इसी बीच, राज्य के ज्यादातर लोगों ने इस नये प्रस्तावित विधेयक का समर्थन किया है। हालांकि राज्य के अल्पसंख्यक समुदाय के बीच नये प्रस्तावित विधेयक को लेकर मायूसी देखी जा रही है। खासकर ऐसे लोगों के बीच, जो इस प्रकार के किसी कानून के नहीं होने का नाजायज फायदा उठाकर मनमाने तरीके से महिलाओं से निकाह करके उसका जीवन बर्बाद करते हैं। खासकर पूर्वोत्तर राज्यों में इस कानून की सख्त आवश्यकता है। अपराधी किस्म के लोग स्थानीय भोले-भाले गरीबों की छोटी-छोटी लड़कियों के साथ विवाह करके उन्हें बाहर ले जाकर बेच देते हैं। विवाह तो उनके लिए यहां से जाने का वीजा और पासपोर्ट जैसा काम करता है। यही वजह है कि राज्य के मुस्लिम बहुल जिलों धुबरी, ग्वालपाड़ा, नगांव, बरपेटा आदि में लड़कियों को फुसला कर उनसे शादी करके उन्हें बाहर ले जाने की घटनाएं बहुत होती है। बीते वर्षों में बोडोलैंड और कार्बी आंगलोंग जिलों से भी बड़ी संख्या में लड़कियों को बाहर ले जाने के मामले सामने आते रहे हैं।

Topics: मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमाअसमबहुविवाहPolygamyपूर्वोत्तर राज्यAssamChief Minister Dr. Himanta Biswa SarmaNorth Eastern Stateबहुविवाह पर प्रतिबंध
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