भारत के आर्थिक माहौल को देखकर चकित प्रसिद्ध पत्रकार फरीद जकारिया ने वाशिंगटन पोस्ट में एक लेख लिखा कि जहां अमेरिका और यूरोप में मुद्रास्फीति और संभावित मंदी के चलते चिंता का वातावरण है, वहीं भारत के लोग अपने भविष्य को लेकर रोमांचित हैं।
अपनी पिछली भारत यात्रा के बाद भारत के आर्थिक माहौल को देखकर चकित प्रसिद्ध पत्रकार फरीद जकारिया ने वाशिंगटन पोस्ट में एक लेख लिखा कि जहां अमेरिका और यूरोप में मुद्रास्फीति और संभावित मंदी के चलते चिंता का वातावरण है, वहीं भारत के लोग अपने भविष्य को लेकर रोमांचित हैं। जकारिया की दृष्टि में, ऐसा इसलिए कि भारत तमाम चुनौतियों और रुकावटों के बावजूद तरक्की के रास्ते से भटका नहीं है और भले ही उसकी विकास दर बीस साल पहले के नौ प्रतिशत की अपेक्षा आज 5.9 प्रतिशत पर आ गई हो
(वास्तव में यह इससे अधिक रहेगी) लेकिन वह चीन के बाद सर्वाधिक प्रगति करने वाली दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है। जकारिया की नजर में भारतीय अर्थव्यवस्था तीन बड़ी क्रांतियों के कारण प्रगति कर रही है— आधार नामक 12अंकों वाली व्यक्तिगत पहचान प्रणाली क्रांति, रिलायंस जियो क्रांति और स्ट्रक्चर क्रांति जिसके चलते भारत में दनादन नयी सड़कें, पुल, इमारतें, मेट्रो लाइनें, सुरंगें आदि बन रही हैं।
भारत के बदलावों को लेकर विदेशी मीडिया का आकलन अमूमन नाकाफी रहा है और उसकी दृष्टि में समग्रता का अभाव है, लेकिन फिर भी जकारिया यह संदेश देने में सफल रहे हैं कि भारत के लिए आईटी की अहमियत क्या है।
जकारिया ने अपनी भारत यात्रा में जिन तीन क्रांतियों का जिक्र किया, उनमें से दो सीधे-सीधे आईटी और दूरसंचार से जुड़ी हैं। तीसरी क्रांति में भी आईटी की भूमिका है, हालांकि जकारिया डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर का जिक्र करना भूल गए जो कि भारत की इन्फ्रास्ट्रक्चर क्रांति का महत्वपूर्ण हिस्सा है। हालांकि भारत के बदलावों को लेकर विदेशी मीडिया का आकलन अमूमन नाकाफी रहा है और उसकी दृष्टि में समग्रता का अभाव है, लेकिन फिर भी जकारिया यह संदेश देने में सफल रहे हैं कि भारत के लिए आईटी की अहमियत क्या है।
उनके अनुसार यह देखकर खुशी होती है कि आधुनिक तकनीकों के प्रति भारत में उत्साह, स्वीकार्यता और सकारात्मकता का माहौल है और स्थितियां लगातार बेहतर हो रही हैं। आखिर लंबे समय तक गुलामी में रहे उस देश में, गरीबी, निरक्षरता और सामाजिक विषमताओं के खिलाफ युद्ध अभी जारी है।
भारत की इन्फ्रास्ट्रक्चर क्रांति का महत्वपूर्ण हिस्सा है। हालांकि भारत के बदलावों को लेकर विदेशी मीडिया का आकलन अमूमन नाकाफी रहा है और उसकी दृष्टि में समग्रता का अभाव है, लेकिन फिर भी जकारिया यह संदेश देने में सफल रहे हैं कि भारत के लिए आईटी की अहमियत क्या है
आईटी के क्षेत्र में हमारी सबसे बड़ी सफलता यही है कि भारत ने उसे अपनी प्राथमिकता बना लिया है। देश के डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन का लक्ष्य अगर हासिल होगा तो इसलिए कि उसकी शुरुआत हमारी सोच के ट्रांसफॉर्मेशन से हुई है। यह सोच जुलाई 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत के समय की गयी टिप्पणी से जाहिर होती है- ‘मैं ऐसे डिजिटल इंडिया का सपना देखता हूं, जहां तेज-रफ़्तार डिजिटल हाइवे देश को एक कर रहे हों, 1.3 अरब कनेक्टेड भारतीय नवाचार में जुटे हों और टेक्नॉलॉजी यह सुनिश्चित कर रही हो कि नागरिकों और सरकार के बीच संपर्क का माध्यम भ्रष्ट न किया जा सके।’
जकारिया ने अपनी बात को सिर्फ तीन क्रांतियों तक सीमित रखा- आधार क्रांति, रिलायंस जियो क्रांति और इन्फ्रास्ट्रक्चर क्रांति। किंतु प्रधानमंत्री मोदी की उपरोक्त टिप्पणी हमारी सोच को अधिक समग्रता से स्पष्ट करती है। वे डिजिटल इंडिया का जिक्र करते हैं, जिसका उद्देश्य देश में आईटी का व्यापक ईको-सिस्टम (पारिस्थितिकी तंत्र) तैयार करना है। फिर वे डिजिटल हाइवे का जिक्र करते हैं जिसका एक हिस्सा रिलायंस जियो हो सकता है किंतु वह गांव-गांव में ब्रॉडबैंड, 4जी-5जी, मोबाइल कनेक्शनों के प्रसार, दूरसंचार उपग्रहों के संजाल, सक्षम इंटरनेट तथा दूरसंचार सेवा प्रदाताओं की मौजूदगी आदि की ओर संकेत करता है।
मोदी की इसी टिप्पणी में 1.3 अरब कनेक्टेड भारतीयों का जिक्र है, यानी तकनीक का फल हर व्यक्ति तक पहुंचने के लिए जरूरी तंत्र की स्थापना। आज भारत में इंटरनेट के प्रयोक्ताओं की संख्या एक अरब बीस करोड़ और मोबाइल कनेक्शनों की संख्या 114 करोड़ हो गयी है। शायद ही कोई और सुविधा इतने बड़े पैमाने पर आम भारतीयों तक पहुंची हो।
(लेखक माइक्रोसॉफ्ट एशिया में डेवलपर मार्केटिंग के प्रमुख हैं)
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