नई दिल्ली। दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कर और उसके दो बच्चों की हत्या के तीन दोषियों को मौत की सजा सुनाई है। महिला के बेटे की उम्र 7 वर्ष और बेटी की उम्र 6 साल थी। दोषियों ने पेचकस से महिला की हत्या की और फिर उसका गला घोंट दिया। इसके बाद उसके दो बच्चों की हत्या कर घर में लूटपाट की। घटना ख्याला इलाके में वर्ष 2015 में हुई थी। महिला के पति ने एक नाबालिग समेत चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। जिन्हें फांसी की सजा सुनाई गई है उनके नाम शाहिद, अकरम और रफत अली उर्फ मंजूर अली हैं।
तीस हजारी कोर्ट की विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट की न्यायाधीश आंचल ने धारा 302 (हत्या) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत अपराध के लिए शाहिद, अकरम और रफत अली उर्फ मंजूर अली को मौत की सजा सुनाई। उन्हें सामूहिक बलात्कार और डकैती के अपराध में आजीवन कारावास की भी सजा सुनाई गई है। कोर्ट ने प्रत्येक दोषी पर 35000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है। अदालत ने 22 अगस्त को तीनों को दोषी करार दिया था।
न्यायाधीश ने कहा कि मामले में कई साक्ष्य हैं। तीन आरोपियों को घटनास्थल पर ऊपर जाते देखा गया और उसके बाद तीन हत्या, बलात्कार और डकैती का जघन्य अपराध हुआ। इसके बाद बाद तीन आरोपियों और किशोर सहित चारों ने एक के बाद एक दिल्ली छोड़ दी। दोषी 23 सितंबर 2015 को अलीगढ़ में मिले, जहां लूटा गया पैसा बांटा गया। पेचकस, टी-शर्ट और हथियार पर खून के धब्बे पाए गए। कोर्ट ने कहा कि शाहिद, रफत अली और अकरम ने इस अपराध की साजिश रची थी। कॉल रिकॉर्ड भी उचित आधार है। घटना वाले दिन, 19 सितंबर 2015 से लेकर 23 सितंबर 2015 तक, जब तक उनके बीच लूटी गई रकम नहीं बांट ली गई, बातचीत जारी रही।
अदालत ने यह भी कहा कि अपराध में एक पैटर्न दिखा। कोई भी कॉल बैक-टू-बैक नहीं की गई थी बल्कि कुछ मिनटों या घंटों के अंतराल के बाद कॉल की गई थी। रफ़त अली 21 सितंबर 2015 को सुबह लगभग 10 बजे दिल्ली से रवाना हुआ और उसके बाद शाहिद उसी दिन दिल्ली छोड़ने के लिए रात 10:29 बजे आनंद विहार पहुंचा। दोषियों की लोकेशन 22 सितंबर सुबह 10:34 बजे अलीगढ़ में थी।
नाबालिग 22 सितंबर 2015 की सुबह 08:20 बजे से रोमिंग नेटवर्क में था और अकरम 23 सितंबर की सुबह 08:20 बजे भी दिल्ली के नेटवर्क से बाहर था, लेकिन दिल्ली छोड़ने वाले और शाहिद के बीच हमेशा एक कॉल होती थी। शाहिद और रफत अली के बीच कॉल इसी तरह की कॉल तब हुई, जब दोषी दिल्ली छोड़कर अपने गंतव्य पर पहुंचा।
शाहिद और अकरम द्वारा इस्तेमाल किए गए सिम के बीच लगातार कॉल होती रही, जो तीन हत्याओं समय से मेल खाती है। अपराध करने की तारीख और चारों जब अलीगढ़ में थे, उनके बीच कई कॉल हईं। उनके कॉल रिकॉर्ड बहुत ही असामान्य हैं, जो तीन हत्याओं, बलात्कार और डकैती के अपराध में उनकी संलिप्तता का संकेत देते हैं। अपराध की गुत्थी सुलझाने में यह महत्वपूर्ण कड़ी है।
यूपी के कासगंज का था परिवार
महिला, उसके पति और बच्चे दिल्ली के रघुबीर नगर में रह रहे थे। महिला और दोनों बच्चे घर की दूसरी मंजिल पर मृत पाए गए थे। पति ने पुलिस को बताया था कि उसका परिवार पिछले तीन साल से उसी पते पर किराए पर रह रहा था। वह मूल रूप से यूपी के कासगंज जिले के रहने वाले हैं। वह पुरानी जीन्स पैंट बेचने का काम करते थे और इसके लिए हर शनिवार को जयपुर जाते थे। इसी तरह वह 19 सितंबर 2015 को रात लगभग 09.30 बजे अपनी कार छोड़कर जयपुर चले गये। इसके बाद यह दिल दहला देने वाली घटना हुई।
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