हिन्दुओं को, हिन्दुओं के आराध्यों को, हिन्दुत्व को और इस देश की संस्कृति को भला-बुरा कहना, नीचा दिखाना, उनके विरुद्ध शाब्दिक-भौतिक हिंसा कांग्रेस के लिए एक सामान्य बात हो चुकी है।
हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने विधानसभा में कहा है कि नूंह में हुई हिन्दू विरोधी हिंसा के संबंध में अब तक चली जांच से पता चला है कि इस हिंसा के पीछे कांग्रेस का हाथ था। संभवत: यह समाचार किसी विशाल जलाशय में तैरते एक तिनके की तरह प्रतीत होता है, क्योंकि हिन्दू विरोधी हिंसा के और उस हिंसा में कांग्रेस की भागीदारी के अब तक असंख्य प्रकरण हो चुके हैं। कांग्रेस पर किसी तरह का भ्रष्टाचार का आरोप लगना भी एक सामान्य सी बात बन चुका है। लेकिन इससे भी बड़ी चिंता की बात यह है कि हिन्दुओं को, हिन्दुओं के आराध्यों को, हिन्दुत्व को और इस देश की संस्कृति को भला-बुरा कहना, नीचा दिखाना, उनके विरुद्ध शाब्दिक-भौतिक हिंसा कांग्रेस के लिए एक सामान्य बात हो चुकी है। हाल ही में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यपाल अजीज कुरैशी ने ‘जय गंगा मैया-जय नर्मदा मैया’ कहने को ‘डूब मरने की बात’ कहा। अपने भाषण में कुरैशी ने हिन्दुओं को जो धमकी दी है, उसे दोहराना भी उचित नहीं है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है।
कांग्रेस पार्टी और उसके नेता कई मौकों पर श्री राम के अस्तित्व पर सवाल उठाकर हिन्दुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाते रहे हैं। कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता राशिद अल्वी को इस बात पर आपत्ति है कि चंद्रयान के अवतरण बिन्दु का नाम ‘शिवशक्ति’ क्यों रखा गया। इतना ही नहीं, राशिद अल्वी ने इसी संदर्भ में यह भी कहा है कि नेहरू की तुलना किसी नाम से नहीं की जा सकती। चाटुकारिता की पुस्तक का यह अध्याय क्या कहना चाहता है? यह केवल कुछ व्यक्तियों की नहीं पूरी कांग्रेस की हिन्दू विरोधी मानसिकता का लक्षण है। पिछले वर्षों में रॉ के पूर्व विशेष निदेशक अमर भूषण की पुस्तक ‘इनसाइड नेपाल’ प्रकाशित हुई थी, इस पुस्तक के अनुसार नेपाल के हिन्दू राष्ट्र को राजीव गांधी ने नष्ट किया था और नेपाल के हिन्दू शाही परिवार को उखाड़कर वामपंथियों और चीन समर्थकों के लिए सत्ता पाने का मार्ग प्रशस्त किया। इससे पुन: न केवल कांग्रेस की हिन्दू विरोधी मानसिकता बल्कि उसकी चीनपरस्ती भी उजागर होती है।
कांग्रेस और उस जैसे तत्व न केवल आग से खेल रहे हैं, बल्कि उन्हें इस देश की जनता की, देश की प्रतिष्ठा की, देश की आत्मा की जरा भी चिंता नहीं है। उन्हें पता होना चाहिए कि हिन्दू और हिन्दुत्व कोई रेत का ढेर नहीं है, जिसे ठोकर मारने पर चोट नहीं लगेगी।
आश्चर्य की बात नहीं कि विदेशों में बैठे खालिस्तानी समर्थक तत्व अपना हिन्दुत्व विरोध जताने के लिए चीन से यह आग्रह करते हैं कि वह अरुणाचल प्रदेश पर कब्जा कर ले। इन तत्वों से भी कांग्रेस का संबंध महसूस किया जा सकता है। कर्नाटक, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार आने के बाद से हिन्दू विरोधी हरकतों में और हिन्दुत्व के अपमान में जितनी तीव्र वृद्धि हुई है, वह चिंताजनक है। यही स्थिति कांग्रेस से प्रेरित समाजवादी पार्टी के नेताओं की है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि हिन्दू नाम का कोई धर्म है ही नहीं। ऐसा प्रतीत होता है कि राजनीति में, मीडिया में एक पायदान ऊपर जाने के लिए हिन्दुओं को भला-बुरा कहना, उनके विरुद्ध हिंसा करना एक फार्मूला बन गया है। इस तरह की घटनाओं को लेकर किसी तरह का अपराध बोध महसूस करना अथवा उसके लिए क्षमा प्रार्थना करना तो दूर, कांग्रेस ऐसा व्यवहार करती है जैसे कहीं कुछ हुआ ही न हो। जिस पार्टी और परिवार ने इतने वर्षों तक भारत पर शासन किया, वे सत्ता में रहते हुए भी भारत-विरोधी और हिन्दू-विरोधी व्यवहार करते रहे और अब सत्ता से बाहर हो कर भी वही कर रहे हैं। हिन्दुत्व विरोधी ये हरकतें भारत से गद्दारी के अलावा कुछ नहीं हैं।
प्रश्न यह नहीं है कि हिन्दुत्व कितने करोड़ लोगों की जीवनशैली अथवा उनकी आस्था है। प्रश्न संख्या का नहीं, आत्म सम्मान का है। यह एक सामान्य सी समझ की बात है कि अगर किसी देश की आत्मा के साथ खिलवाड़ किया जाएगा, तो वह देश भी किसी दिन अपने इस अपमान का प्रतिकार करने के लिए बाध्य होगा। स्पष्ट है कि कांग्रेस और उस जैसे तत्व न केवल आग से खेल रहे हैं, बल्कि उन्हें इस देश की जनता की, देश की प्रतिष्ठा की, देश की आत्मा की जरा भी चिंता नहीं है। उन्हें पता होना चाहिए कि हिन्दू और हिन्दुत्व कोई रेत का ढेर नहीं है, जिसे ठोकर मारने पर चोट नहीं लगेगी।
@hiteshshankar
टिप्पणियाँ