गीता प्रेस के योगदान का दस्तावेजीकरण किया जाएगा। भारत सरकार ने इसके लिए इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च (आईसीएचआर) को इसका जिम्मा सौंपा है। आईसीएचआर के सदस्य एवं गोरखपुर विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के आचार्य प्रो. हिमांशु चतुर्वेदी को यह दायित्व दिया गया है। अब गीता प्रेस के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पुनर्जागरण के योगदान को जन-जन तक पहुंचाया जा सकेगा। गीता प्रेस के योगदान अब पूरी दुनिया के सामने लाया जाएगा। औपनिवेशिक काल में भारत की संस्कृति पर कई वैचारिक आक्रमण किये गए। उन सभी आक्रमण का उल्लेख भी किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि प्रो. हिमांशु चतुर्वेदी की कुछ समय पूर्व ‘गीता प्रेस’ पर किताब आ चुकी है। इस किताब ‘गीता प्रेस और भाईजी हनुमान प्रसाद पोद्दार’ की लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें गीता प्रेस से जुड़े दस्तावेज जुटाने के साथ तथ्यों पर कार्य करने का दायित्व सौंपा गया है।
भारतीय संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने में गीता प्रेस की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। आजादी के बाद प्रकाशित हुए कल्याण के वह अंक बेहद महत्वपूर्ण हैं। कल्याण में महात्मा गांधी, पंडित मदन मोहन मालवीय सरीखे बेहद महत्वपूर्ण लोगों के लेख प्रकाशित हुए थे।
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