इंदौर। देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर का नाम एक बार फिर ‘इंडिया बुक्स ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हो गया है। शहर की दिविशा राठी ने मात्र दो साल 10 महीने की उम्र में सबसे तेज 3 मिनट 33 सेकंड में हनुमान चालीसा का पाठ कर यह रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज करवाया है। दिविशा को यह रिकॉर्ड उनके यानी (2 से 3 साल) के एज ग्रुप के बच्चों में सबसे तेज हनुमान चालीसा का पाठ करने के लिए दिया गया है। यह जानकारी विदिशा के पिता मनोज राठी ने सोमवार को मीडिया के साथ साझा की।
इंदौर के रेस कोर्स निवासी उद्योगपति जगदीशचंद्र राठी की पोती दिविशा को राज्यों की राजधानियों के साथ कई देशों के झंडे की पहचान है। दिविशा को कई मंत्र, भजन और देश भक्ति गीत भी कंठस्थ हैं। उसने मात्र 2 साल 10 महीने और 29 दिन की उम्र में पूरी हनुमान चालीसा का पाठ करके इंडिया बुक्स ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज करवाया है। दिविशा की सफलता का श्रेय उनकी मां इंदु और पिता मनोज राठी को जाता है। दिविशा के पिता सीए हैं और माता ग्रहणी।
पिता मनोज बताते हैं कि उनकी बेटी ने 3 मिनट 33 सेकेंड में हनुमान चालीसा का पाठ करके यह उपलब्धि हासिल की है। घर में पूजा-पाठ के दौरान सभी से प्रभावित थी। उसने अपने भाई और मामा की बेटी के साथ हनुमान चालीसा सुनकर सीख ली। ढाई साल की उम्र तक उसे आधे से ज्यादा हनुमान चालीसा याद हो गई थी। मगर शब्द साफ नहीं होने के कारण थोड़ा इंतजार करना पड़ा। लगभग 2 साल 5 महीने की थी, तबसे हमने दिविशा को हनुमान चालीसा का पाठ, राज्य के राजधानियों के नाम याद करवाना शुरू करवाया। शुरुआत में 40 में से 30 के आसपास चौपाई याद हो गई थी। बाकी की कुछ चौपाई थोड़ा कठिन होने की वजह से प्रैक्टिस करवाने में समय लगा।
मां इंदु राठी ने बताया कि वह अपने बड़े भाई विवान राठी से प्रेरणा पाती है। 15 अगस्त के दिन बॉर्डर मूवी का गाना संदेशे आते हैं गाकर बिल्डिंग के लोगों का ध्यान आकर्षित की थी। दिविशा में यह कला बचपन से है। इसे हम लोग गॉड गिफ्टेड मानते हैं। इंदु कहती हैं कि हनुमान चालीसा का पाठ जब हम लोग जब घर में करते थे तब यह पीछे बैठकर गुनगुनाती थी। हमें लगा इसका इसमें इंट्रेस्ट है। तभी से दिविशा को हनुमान चालीसा याद कराना शुरू कर दिया था। दिविशा के बड़े भाई विवान को भी शिव तांडव स्तोत्र के लिए इंडिया बुक्स ऑफ रिकॉर्ड्स से एप्रिसिएशन सर्टीफिकेट मिल चुका है।
इंदु बताती हैं कि यह अपने चचेरी बहन मामा की बेटी से सबसे ज्यादा इंस्पायर हुई है उन्हें भी हनुमान चालीसा के पाठ याद है उसी से यह इनफ्लुएंस है और जब हमने याद करवाने की शुरुआत करी तो दिविशा ने खुद आगे रहकर सीखने की जिज्ञासा दिखाई। अगर किसी दिन व्यस्तता के कारण समय नहीं दे पाते तो खुद हमें लेकर बैठ जाती और सिखाने के लिए जिद करती है।
इंदु बताती हैं कि मैं हाउस वाइफ हूं इसलिए मैं अधिकांश समय बच्चों के साथ ही बिताती हूं, स्कूल से आने के बाद 2 से 3 घंटे एक-एक घंटे अंतराल में हनुमान चालीसा की प्रैक्टिस फ्लैश कार्ड और संगीत की थोड़ी-थोड़ी प्रैक्टिस करवाते हैं। जब हमें लगा कि इसे हनुमान चालीसा पूरी याद हो गई है तब टाइम रिकॉर्ड कर देखा और पाया कि इस ऐज ग्रुप में सबसे तेज चालीसा का पाठ करने लगी थी। इसके बाद यही कोशिश रही कि यह खिताब दिविशा के नाम हो और उसने परिवार के साथ इंदौर का नाम भी रोशन कर किया है।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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