सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के मामले की सुनवाई करते हुए बड़ी बात कही है। अदालत ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासियों को विशेष अधिकार देने वाले संविधान के अनुच्छेद 35ए ने भारत के लोगों के तमाम मौलिक अधिकारों को छीन लिया था।
जानकारी के अनुसार भारत के प्रधान न्यायाधीश धनंजय वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ के कहा कि अनुच्छेद 35ए ने, जिसे 1954 में राष्ट्रपति के आदेश से संविधान में जोड़ा गया था, वह लोगों को कम से कम तीन मौलिक अधिकारों से वंचित कर दिया। बेंच में प्रधान न्यायाधीश के साथ ही जस्टिस संजय कृष्ण कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस भूषण आर गवई और जस्टिस सूर्य कांत शामिल हैं।
अनुच्छेद 35ए से छिने थे भारतीयों के ये तीन अधिकार
अनुच्छेद 16(1) के तहत सार्वजनिक नौकरियों में सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता। अनुच्छेद 19(1)(एफ) और 31 के तहत संपत्तियों का अधिग्रहण और तीसरा अनुच्छेद 19(1)(ई) के तहत देश के किसी भी हिस्से में बसने का अधिकार है। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 35ए लागू होने से देश के अन्य राज्यों के नागरिक इन अधिकारों से वंचित रह गए थे।
अनुच्छेद 35ए में क्या है?
अनुच्छेद 35ए के तहत जम्मू-कश्मीर के लोगों को विशेष अधिकार दिए गए थे। राज्य की विधायिका को भी ऐसे कानून बनाने का अधिकार मिला, जिसे दूसरे राज्यों के लोगों के समानता के अधिकार या भारतीय संविधान के तहत किसी अन्य अधिकार के उल्लंघन के आधार पर चुनौती नहीं नहीं दी जा सकती थी। अनुच्छेद 370 तहत मिली शक्तियों का प्रयोग करके अनुच्छेद 35ए को संविधान में जोड़ा गया था। फिलहाल अगस्त 2019 में केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को रद्द कर दिया। इसके साथ ही 35ए भी रद्द हो गया था। बता दें कि अनुच्छेद 370 निरस्त करने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।
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