देहरादून। उत्तराखंड के बारे में विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि नदियों किनारे अवैध निर्माण एक बार फिर से किसी बड़ी तबाही का संकेत दे रहा है। हाल ही में हिमाचल और उत्तराखंड में हुई घटनाओं के बारे आंकलन करने के बाद ये चेतावनी दी गई है। विशेषज्ञों की चेतावनी के बाद ही उत्तराखंड सरकार के साथ साथ उत्तराखंड हाई कोर्ट ने भी अतिक्रमण हटाने के लिए सख्ती दिखलाई है।
पिछले एक हफ्ते से उत्तराखंड में एनएच किनारे से वन विभाग, प्रशासन पीडब्ल्यूडी और वन विभाग मिलकर अतिक्रमण हटा रहे हैं और इसकी रिपोर्टिंग सीएम कार्यालय के साथ साथ हाई कोर्ट को भी दे जा रही है। वन विभाग ने भी जंगलों से और नदियों के किनारे से अतिक्रमण हटाने के अभियान को तेज किया है। नदियों किनारे और बाढ़ क्षेत्र में हजारों लोग अवैध कब्जे किए हुए हैं। ऐसा कहा जाता है कि नदियां अपने पुराने मार्ग पर लौटकर आती हैं। ऐसा उदाहरण उत्तराखंड में 2013 में देखा गया और इस साल हिमाचल में भी देखा गया। इसलिए वन विभाग भविष्य में जान-माल के नुकसान से बचने के लिए अतिक्रमण हटाने की ड्राइव तेज कर चुका है।
मुख्यमंत्री कार्यालय से अतिक्रमण हटाओ अभियान की लगातार समीक्षा की जा रही है। खुद वन विभाग के चीफ अनूप मलिक भी दिशा-निर्देश देकर जंगल की भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए सभी प्रभागों को कह चुके हैं। जानकारी के अनुसार 2015 से अभी तक 7750 आपदा की घटनाएं ऐसी हुई हैं जोकि नदियों किनारे और वन भूमि पर जानमाल के नुकसान की असली वजह बनी हैं। जिसके बाद से विशेषज्ञों ने राज्य सरकार को चेताया है कि नदियों किनारे से अतिक्रमण को हटाने का काम किया जाए।
मौसम वैज्ञानिक आनंद शर्मा कहते हैं कि नदियों किनारे पक्के होटल और मकान नहीं बनने चाहिए, इस पर तत्काल रोक जरूरी है और जहां अवैध रूप से बने हैं उन्हें किसी अनहोनी से पहले ही हटा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि सितंबर 2022 को इस बारे में हाई कोर्ट ने निर्देश भी दिया है। पर्यावरण विशेषज्ञ हेमंत ध्यानी कहते हैं कि नदियों किनारे अतिक्रमण हटाना ही जान-माल के नुकसान को बचा सकता है। अब पहाड़ों में कभी भी बादल फटने की घटना हो सकती है। इससे नदियों में बाढ़ आती है और ये तबाही का रूप ले लेती है।
वन विभाग के अतिक्रमण हटाओ अभियान के नोडल अधिकारी डा पराग मधुकर धकाते कहते हैं कि हमने 23 नदियां चिन्हित की हैं, जहां से अतिक्रमण हटाया जा रहा है और जो लोग अवैध रूप से बसे हैं उन्हें नोटिस दिया गया है।
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