कोलकाता। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि एक त्योहार के रूप में दुर्गा पूजा सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि विभिन्न संस्कृतियों को जोड़ने वाला एक व्यापक धर्मनिरपेक्ष माध्यम भी है। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य की एकल पीठ ने एक सामुदायिक दुर्गा पूजा आयोजक की याचिका पर सुनवाई करते हुए की। इसमें राज्य सरकार के स्वामित्व वाली भूमि पर पूजा आयोजित करने की अनुमति मांगी गई थी।
राज्य-नियंत्रित न्यू टाउन डेवलपमेंट अथॉरिटी के नियंत्रण वाली संपत्ति, न्यू टाउन फेयर ग्राउंड में पूजा आयोजित करने की अनुमति देने से इंकार किए जाने के बाद, सामुदायिक पूजा आयोजक ने इस मामले में उच्च न्यायालय का रुख किया था। अथॉरिटी ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत कानून का हवाला देते हुए अनुमति देने से इंकार कर दिया, जो सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक आयोजनों की अनुमति नहीं देता है। न्यायमूर्ति भट्टाचार्य ने न्यू टाउन डेवलपमेंट अथॉरिटी के उस तर्क को खारिज कर दिया और कहा कि दुर्गा पूजा को सिर्फ एक धार्मिक आयोजन के रूप में पहचानना अनुचित होगा।
न्यायमूर्ति भट्टाचार्य ने यह भी कहा कि अनुमति देने से इंकार करना उचित नहीं है क्योंकि पूजा के लिए प्रस्तावित भूमि का भूखंड सड़क, फुटपाथ या खेल के मैदान की श्रेणी में नहीं आता है। कोर्ट ने कहा कि प्रत्येक भारतीय नागरिक को बिना हथियारों के शांतिपूर्ण सभा करने और भारतीय क्षेत्र के भीतर स्वतंत्र रूप से घूमने का अधिकार है। इस अधिकार की गारंटी भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत दी गई है।
पूजा आयोजक वकील तरूणज्योति तिवारी ने तर्क दिया था कि याचिकाकर्ता आयोजन के लिए सक्षम प्राधिकारी को अपेक्षित शुल्क का भुगतान करने को तैयार थे, लेकिन अनुमति से इंकार करना तर्कसंगत नहीं था। सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद पीठ ने याचिकाकर्ताओं को मेला मैदान में पूजा आयोजित करने की अनुमति दे दी।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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