दंगों के दाग कांग्रेस का हाथ
May 8, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्लेषण

दंगों के दाग कांग्रेस का हाथ

मुरादाबाद दंगे की जांच रपट से एक बार फिर स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेसी और अन्य सेकुलर नेताओं ने सदैव दंगाइयों के पापों पर पर्दा डालने का अपराध किया। इन लोगों का यह पाप मुंबई में बम विस्फोट करवाने वाले भगोड़े आतंकवादी दाऊद इब्राहिम की करतूतों से कम नहीं है

by प्रेम शुक्ल
Aug 24, 2023, 12:11 pm IST
in विश्लेषण, उत्तर प्रदेश, हरियाणा
1980 में मुरादाबाद में हुए दंगे का एक नजारा

1980 में मुरादाबाद में हुए दंगे का एक नजारा

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

1980 में ईद की नमाज के बाद मुरादाबाद में मुस्लिम दंगाई सड़कों पर उतर आए थे। दंगे के लिए अफवाह फैलाई गई थी कि नमाज के दौरान एक प्रतिबंधित पशु यानी सुअर वहां घुस गया था। इसके बाद दंगाइयों ने हिंदुओं पर हमला कर दिया।

प्रेम शुक्ल
राष्ट्रीय प्रवक्ता, भाजपा

गत 11 अगस्त को उत्तर प्रदेश सरकार ने बड़ी हिम्मत के साथ मुरादाबाद दंगों की जांच रपट को सार्वजनिक कर दिया। इसके लिए वहां के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा हो रही है। बता दें कि 1980 में ईद की नमाज के बाद मुरादाबाद में मुस्लिम दंगाई सड़कों पर उतर आए थे। दंगे के लिए अफवाह फैलाई गई थी कि नमाज के दौरान एक प्रतिबंधित पशु यानी सुअर वहां घुस गया था। इसके बाद दंगाइयों ने हिंदुओं पर हमला कर दिया। देखते ही देखते कई हिंदू मुहल्लों पर हमले हुए। उस समय उत्तर प्रदेश और केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं।

दंगों के लिए तत्कालीन केंद्रीय मंत्री योगेंद्र मकवाना ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी को दोषी बताया था। स्वयं इंदिरा गांधी ने दंगों के पीछे विदेशी शक्तियों के हाथ होने की घोषणा की थी। इसके बाद राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने दंगों की जांच के लिए सक्सेना आयोग का गठन किया। आयोग ने समय पर अपनी रपट भी दे दी थी, लेकिन उस रपट को कभी बाहर नहीं आने दिया गया। उस रपट के अनुसार, मुस्लिम लीग के डॉ. शमीम अहमद और डॉ. हामिद हुसैन उर्फडॉ. अज्जी में वर्चस्व की लड़ाई के कारण दंगे हुए थे। यह भी कहा गया कि दंगों के लिए कोई हिन्दू संगठन जिम्मेदार नहीं था।

43 वर्ष बाद अब पता चला है कि सक्सेना आयोग ने मुरादाबाद दंगों के लिए इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के नेताओं और विश्वनाथ प्रताप सिंह की तत्कालीन राज्य सरकार को दोषी माना था। यही कारण था कि सरकार ने उस रपट को ठंडे बस्ते में डाल दिया। तत्कालीन कांग्रेस नेतृत्व इस आशंका से डर गया कि यदि रपट बाहर आ गई तो मुसलमान उससे नाराज हो जाएंगे। इस डर के मारे उसने सच को सामने नहीं आने दिया। इसे अक्षम्य अपराध ही कहा जाएगा।

मुंबई बम विस्फोट और पवार

हालांकि जो लोग कांग्रेस के चाल-चलन को जानते हैं, उन्हें पता है कि उसने सदैव दंगाइयों को बचाने का कुकर्म किया है। 1992-93 में हुए मुंबई बम विस्फोट के बाद भी महाराष्ट्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने दंगाइयों को बचाने का भरसक प्रयास किया। तत्कालीन मुख्यमंत्री शरद पवार ने हिंदू इलाकों के साथ-साथ मुस्लिम इलाकों में भी बम धमाकों की झूठी खबर फैलवाई थी, जबकि दाऊद गिरोह ने धमाकों के लिए शुक्रवार का वह समय और वे स्थान चुने थे, जहां मुसलमानों की मौजूदगी कम होती है। राज्य सरकार ने इस बम कांड के लिए कहां से पैसे आए, इसकी जांच तक नहीं होने दी।

यह भी कहा जाता है कि तत्कालीन पुलिस उपायुक्त राकेश मारिया को सीधा निर्देश था कि वे सिर्फ बम रखने वालों तक ही अपनी जांच सीमित रखें। यह भी चर्चा रही है कि शरद पवार ने पैसे के पक्ष की जांच संयुक्त पुलिस आयुक्त महेश नारायण सिंह को अकेले करने को कहा, ताकि इसके पीछे के लोगों को बचाया जा सके। यही नहीं, मुंबई दंगों के बाद वामपंथियों ने सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति दाऊद और न्यायमूर्ति सुरेश होस्बेट का एक जांच दल बना कर उसका दोष भाजपा, शिवसेना, विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के माथे मढ़ने का प्रयास किया।

31 जुलाई को हरियाणा के मेवात में हिंदुओं पर हमले हुए। मुसलमानों की भीड़ ने मंदिर को घेरकर हिंदुओं को निशाना बनाया। घंटों बाद पुलिस ने उन्हें वहां से निकाला। जिहादियों ने पुलिस पर भी हमला किया। अब तक पुलिस ने लगभग 250 दंगाइयों को गिरफ्तार किया गया है। इस मामले में एक और गंभीर बात यह है कि किसी भी सेकुलर नेता ने मेवात के हमलावर मुसलमानों की निंदा तक नहीं की। जिहादियों से अधिक खतरनाक सेकुलर सोच है। जब तक यह सोच रहेगी, तब तक दंगे होंगे और दंगाई भी बचाते जाए रहेंगे। 

गोधरा के दंगाइयों को बचाने का प्रयास

ऐसे ही 2002 के उस गोधरा कांड के आरोपियों को बचाने के लिए षड्यंत्र रचा गया, जिसमें 59 रामभक्तों को जिंदा जला दिया गया था। 2004 में जैसे ही संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार आई, सोनिया गांधी के इशारे पर तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने गोधरा कांड की जांच के लिए न्यायमूर्ति उमेश चंद्र बनर्जी समिति बनाई। उस समिति ने अपने आकाओं के इशारे पर आनन-फानन में यह निष्कर्ष निकाला कि साबरमती एक्सप्रेस के कोच एस-6 में आग बाहर से नहीं, भीतर से लगी थी और गोधरा कांड के अभियुक्त निर्दोष हैं। यह हिंदुओं के घावों पर नमक छिड़कने के समान ही था। यही कारण है कि गोधरा कांड में घायल हुए नीलकंठ तुलसीदास भाटिया ने गुजरात उच्च न्यायालय में बनर्जी समिति की रपट को चुनौती दी।

अक्तूबर, 2006 में उच्च न्यायालय ने कहा कि बनर्जी समिति की जांच असंवैधानिक, गैरकानूनी और निरस्त करने योग्य है। न्यायालय ने कहा कि यह साफ तौर पर सत्ता का दुरुपयोग है। यही नहीं, 2002 से 2014 के बीच साम्यवादी-जिहादी-कांग्रेसियों की तिकड़ी ने दर्जनों फिल्में, डाक्यूमेंट्री और फर्जी दस्तावेज तैयार कर दंगों का सारा ठीकरा नरेंद्र मोदी सरकार पर फोड़ा। तीस्ता सीतलवाड, उसके पति जावेद आनंद जैसे सेकुलरों ने गुजरात दंगों के नाम पर जो किया, उसे बताने की आवश्यकता नहीं है। इन लोगों ने गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी का नाम जबरन घसीटने की जीतोड़ कोशिश की, लेकिन सत्य तो सत्य होता है। नरेंद्र मोदी हर जांच में बेदाग निकले। लेकिन गुजरात दंगों को लेकर सेकुलरों ने जो किया, उसका दुरुपयोग आईएसआई ने भारत में जिहादियों के भर्ती अभियान के लिए किया।

गणेश शंकर विद्यार्थी का हुआ कत्ल

सेकुलर नेताओं और सरकारों की नीतियों ने ही दंगाइयों का दुस्साहस बढ़ाया है और इसका दुष्परिणाम हजारों निर्दोष लोगों को भुगतना पड़ा है। कानपुर, मुंबई, सूरत, वडोदरा, भोपाल, मेरठ, चेन्नई, अमदाबाद, अलीगढ़, हैदराबाद, औरंगाबाद, हजारीबाग आदि शहरों में हुए दंगों को याद कर आज भी लोग सिहर उठते हैं। कानपुर के दंगे बड़े कुख्यात रहे हैं। कानपुर में आजादी से पहले और बाद में अनेक दंगे हुए। 23 मार्च, 1931 को शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को अंग्रेजों ने फांसी के फंदे पर लटका दिया। प्रतिक्रिया स्वरूप स्वतंत्रता संग्राम के समर्थकों ने कानपुर बंद का ऐलान किया। जब हड़ताल समर्थक मेस्टन रोड पर दुकानों को बंद करा रहे थे, तब मुस्लिम भीड़ ने उन पर हमला कर दिया।

प्रख्यात स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी जब दंगे शांत कराने के लिए निकले तो जिहादियों ने उनका कत्ल कर दिया। 1989 से 1993 तक की अवधि में भी कानपुर में दंगे हुए। 1989 में भागलपुर में हुए दंगे तो बहुत ही भयानक थे। श्रीरामशिला पूजन यात्रा के दौरान दंगाइयों ने हिंदुओं पर हमले किए। भागलपुर के दंगे लगभग दो महीने चले और इनमें करीब 1,000 लोग मारे गए थे।

50,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए थे। मुख्यमंत्री थे वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सत्येंद्र नारायण सिन्हा। दंगोें के कुछ दिन बाद उन्हें पद छोड़ना पड़ा था। सिन्हा ने अपनी आत्मकथा ‘मेरी यादें, मेरी भूलें’ में दंगों को भड़काने के लिए पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद और बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष शिवचंद्र झा को जिम्मेदार माना है। दंगों की जांच के लिए गठित न्यायमूर्ति सी.पी. सिन्हा और शमसुल हसन आयोग ने सरकार को दोषी पाया था।

नूंह हिंसा में मुस्लिम दंगाइयों द्वारा फूंके गए हिंदुओं के वाहन

1992-93 में हुए मुंबई बम विस्फोट के बाद भी महाराष्ट्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने दंगाइयों को बचाने का भरसक प्रयास किया। तत्कालीन मुख्यमंत्री शरद पवार ने हिंदू इलाकों के साथ-साथ मुस्लिम इलाकों में भी बम धमाकों की झूठी खबर फैलवाई थी।

दंगों में झुलसा देश

ऐसे ही अक्तूबर, 1989 में इंदौर में रामशिला शोभायात्रा पर हुए हमले से भड़के दंगों के कारण 30 लोगों की मौत हो गई। इससे एक महीना पहले कोटा में अनंत चतुर्दशी के दिन हिंदुओं की शोभायात्रा पर हमले के कारण दंगे भड़के थे। इसी वर्ष ओडिशा के भद्रक में रामनवमी के जुलूस पर मुस्लिम भीड़ ने हमला कर दिया। इसमें डेढ़ दर्जन लोगों की मृत्यु हुई थी। 1990 में अप्रैल से दिसंबर के बीच अकेले गुजरात में 1,400 स्थानों पर सांप्रदायिक दंगे हुए थे। इनमें मरने वालों की संख्या 224 थी। 1991 की पहली तिमाही में गुजरात में 120 दंगे हुए, जिसमें 38 लोगों की मृत्यु हुई थी। अक्तूबर, 1990 में देश के विविध क्षेत्रों में हिंदू-मुस्लिम दंगे हुए।

जयपुर में रथयात्रा पर हुए हमले के कारण भड़की हिंसा में 52 और जोधपुर में 20 लोगों की मृत्यु हुई। इसी महीने लखनऊ में भड़के दंगों में 33 और आगरा में 31 लोग मारे गए। दिल्ली में भड़के दंगों में 100 से अधिक लोग मारे गए। असम के हैलाकांडी में काली मंदिर के भूखंड को लेकर हुए विवाद में 37 लोगों की जान गई। पटना में भड़के दंगों में डेढ़ दर्जन लोगों की मृत्यु हुई। नवंबर, 1990 में इंदौर में फिर से दंगे हुए, जिनमें 13 लोग मारे गए। दिसंबर, 1990 में कर्नाटक में अनेक स्थानों पर हुए दंगों में सात से अधिक लोग मारे गए। इसी वर्ष हैदराबाद में हुए दंगों में 94 लोग दंगाइयों के हाथों मारे गए।

मई, 1991 में बनारस में मां काली की शोभायात्रा निकालने पर मुस्लिम समाज को आपत्ति हुई। इसके बाद दंगे हुए और 50 से अधिक लोगों की मौत हो गई। इसी माह गुजरात के वडोदरा में हुए दंगों में 26 लोगों की मृत्यु हुई। अक्तूबर, 1992 में सीतामढ़ी में हिंदू शोभायात्रा पर हुए हमले के कारण 44 लोगों की जान गई। यह भी देखा जाता है कि दंगाइयों को निर्दोष और निर्दोषों को दंगाई सिद्ध करने का खाका पहले से तैयार होता है। उपरोक्त सभी दंगों के वक्त ऐसा ही हुआ। चाहे 1964 का जमशेदपुर दंगा हो या मेरठ, कानपुर या भिवंडी के दंगे, हर जगह एक ही विमर्श खड़ा किया गया कि ‘मुसलमान पीड़ित हैं’। फिर वामपंथी और सेकुलर इस विमर्श को दुनियाभर में फैलाने का काम करते हैं। इसके बाद विश्वभर में यह धारणा बनाने की कोशिश की जाती है कि ‘भारत में मुसलमानों के साथ अन्याय हो रहा है’, जबकि सच सबके सामने है।

2002 से 2014 के बीच साम्यवादी-जिहादी-कांग्रेसियों की तिकड़ी ने दर्जनों फिल्में, डाक्यूमेंट्री और फर्जी दस्तावेज तैयार कर दंगों का सारा ठीकरा नरेंद्र मोदी सरकार पर फोड़ा। तीस्ता सीतलवाड, उसके पति जावेद आनंद जैसे सेकुलरों ने गुजरात दंगों के नाम पर जो किया, उसे बताने की आवश्यकता नहीं है। इन लोगों ने गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी का नाम जबरन घसीटने की जीतोड़ कोशिश की, लेकिन सत्य तो सत्य होता है। नरेंद्र मोदी हर जांच में बेदाग निकले। लेकिन गुजरात दंगों को लेकर सेकुलरों ने जो किया, उसका दुरुपयोग आईएसआई ने भारत में जिहादियों के भर्ती अभियान के लिए किया।

खतरनाक सेकुलर सोच

ऐसे ही गत 31 जुलाई को हरियाणा के मेवात में हिंदुओं पर हमले हुए। मुसलमानों की भीड़ ने मंदिर को घेरकर हिंदुओं को निशाना बनाया। घंटों बाद पुलिस ने उन्हें वहां से निकाला। जिहादियों ने पुलिस पर भी हमला किया। अब तक पुलिस ने लगभग 250 दंगाइयों को गिरफ्तार किया गया है। इस मामले में एक और गंभीर बात यह है कि किसी भी सेकुलर नेता ने मेवात के हमलावर मुसलमानों की निंदा तक नहीं की। जिहादियों से अधिक खतरनाक सेकुलर सोच है। जब तक यह सोच रहेगी, तब तक दंगे होंगे और दंगाई भी बचाते जाए रहेंगे।

Topics: mumbai bomb blastbharatiya janata partyइंडियन यूनियन मुस्लिम लीगहिन्दू संगठननूंह हिंसाNuh violenceमुंबई बम विस्फोटगोधरा के दंगाइराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघGodhra riotsRashtriya Swayamsevak SanghHindu organization riots are stained by Congressभारतीय जनता पार्टी
Share12TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

मौत के बाद भी कई जिंदगियों को जीवन दे गई कुसुम

मणिपुर में सम्पन्न हुआ संघ शिक्षा वर्ग 2025 : 7 जिलों के 71 स्वयंसेवकों ने 15 दिनों तक लिया राष्ट्र सेवा का प्रशिक्षण

पुस्तक का लोकार्पण करते श्री मोहनराव भागवत। साथ में हैं (बाएं से) स्वामी विज्ञानानंद, प्रो. योगेश सिंह और स्वामी कृष्णशाह विद्यार्थी

‘आध्यात्मिक चेतना का सजीव रूप है धर्म’

मुसलमानों का एक वर्ग वक्फ संशोधन कानून के समर्थन में

वक्फ संशोधन विधेयक : रसातल में कांग्रेस!

अभियान के दौरान पौधारोपण करते कार्यकर्ता

किशनगंज में पर्यावरण रक्षा अभियान

अभाविप कार्यालय का उद्घाटन करते श्री मोहनराव भागवत

अभाविप के कार्यालय ‘यशवंत परिसर’ का उद्घाटन

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

S jaishankar

उकसावे पर दिया जाएगा ‘कड़ा जबाव’ : विश्व नेताओं से विदेश मंत्री की बातचीत जारी, कहा- आतंकवाद पर समझौता नहीं

पाकिस्तान को भारत का मुंहतोड़ जवाब : हवा में ही मार गिराए लड़ाकू विमान, AWACS को भी किया ढेर

पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर से लेकर राजस्थान तक दागी मिसाइलें, नागरिक क्षेत्रों पर भी किया हमला, भारत ने किया नाकाम

‘ऑपरेशन सिंदूर’ से तिलमिलाए पाकिस्तानी कलाकार : शब्दों से बहा रहे आतंकियों के लिए आंसू, हानिया-माहिरा-फवाद हुए बेनकाब

राफेल पर मजाक उड़ाना पड़ा भारी : सेना का मजाक उड़ाने पर कांग्रेस नेता अजय राय FIR

घुसपैठ और कन्वर्जन के विरोध में लोगों के साथ सड़क पर उतरे चंपई सोरेन

घर वापसी का जोर, चर्च कमजोर

‘आतंकी जनाजों में लहराते झंडे सब कुछ कह जाते हैं’ : पाकिस्तान फिर बेनकाब, भारत ने सबूत सहित बताया आतंकी गठजोड़ का सच

पाकिस्तान पर भारत की डिजिटल स्ट्राइक : ओटीटी पर पाकिस्तानी फिल्में और वेब सीरीज बैन, नहीं दिखेगा आतंकी देश का कंटेंट

Brahmos Airospace Indian navy

अब लखनऊ ने निकलेगी ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल : 300 करोड़ की लागत से बनी यूनिट तैयार, सैन्य ताकत के लिए 11 मई अहम दिन

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान की आतंकी साजिशें : कश्मीर से काबुल, मॉस्को से लंदन और उससे भी आगे तक

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies