भारत ने इतिहास रच दिया है। चंद्रयान-3 शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा पर लैंड कर गया। आज दुनियाभर की निगाहें भारत के चंद्रयान-3 पर टिकी हुई थीं। इस मून मिशन के सफलता के साथ ही एक बार फिर दुनियाभर में भारत का डंका बज गया है। अब विक्रम लैंडर से 6 पहियों वाला प्रज्ञान रोवर बाहर आएगा और ISRO की कमांड मिलते ही चांद की सतह पर चलेगा।
चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के साथ ही चांद पर उतरने वाला भारत चौथा देश बन गया है, जबकि चांद के साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश है। करीब 40 दिनों की लंबी यात्रा के बाद चंद्रयान-3 का लैंडर चंद्रमा की सतह पर उतरकर इतिहास रच दिया है। इस मून मिशन पर ISRO लगातार नजर बनाए हुए है।
चांद की सतह पर कैसे काम करेगा प्रज्ञान रोवर
विक्रम लैंडर के चांद की सतह पर लैंड हो गया है। अब उसमें से प्रज्ञान रोवर बाहर आएगा। प्रज्ञान रोवर आयताकार यानी रेक्टेंगुलर आकार का है और इसका वजन 26 किलो का है। चंद्रयान-3 के रोवर में लगी सोलर प्लेट प्रज्ञान को चांद की सतह पर घूमने के लिए ऊर्जा देगा। इतना ही नहीं प्रज्ञान रोवर चंद्रमा पर भारत के निशान भी छोड़ेगा। रोवर में कुल छह पहिए हैं, जिनमें से आखिरी दो पहियों में इसरो और देश का राष्ट्रीय चिह्न अंकित किया गया है। रोवर चलते वक्त चांद की सतह पर देश का निशान छोड़ेगा। प्रज्ञान रोवर में लगा आधुनिक सेंसर चंद्रमा की सतह पर घूमने के लिए ऊर्जा देगा। प्रज्ञान रोवर 14 दिनों तक चंद्रमा की सतह पर घूमेगा और वहां की भौगोलिक जानकारी इसरो को भेजेगा।
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