दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी आआपा ने दिल्ली अध्यादेश विधेयक को रोकने के लिए पूरा जोर लगाया, फिर भी वह संसद में पारित हो गया। इसके बाद से केजरीवाल बौखलाए हुए हैं। केजरीवाल आखिर इस अध्यादेश को क्यों रोकना चाहते थे? उनकी बौखलाहट का कारण क्या है? इन सभी विषयों पर पाञ्चजन्य की ओर से तृप्ति श्रीवास्तव ने दिल्ली भाजपा के उपाध्यक्ष कपिल मिश्रा से जो बातचीत की, प्रस्तुत हैं उसके मुख्य अंश-
यहां स्कैन
करके पूरा
साक्षात्कार
सुन सकते हैं
अरविंद केजरीवाल के शीशमहल के बारे में सभी जानते हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी संसद में शीशमहल का जिक्र किया। इस शीशमहल में ऐसा क्या है, जो केजरीवाल को जेल की सलाखें नजर आने लगी हैं?
अरविंद केजरीवाल के साथ भ्रष्टाचार में जो भी सहयोगी रहे, मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन, विजय नायर, सब जेल में हैं। भ्रष्टाचार के तार मुख्यमंत्री के शीशमहल से जुड़ रहे हैं। वह इतने बौखलाहए हुए हैं कि सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आने के बाद, आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता ने रातों-रात विजिलेंस विभाग का ताला तोड़कर शराब घोटाले और शीशमहल से जुड़ी फाइलें गायब कर दीं। इससे स्पष्ट होता है कि डर क्या है? बौखलाहट क्या है? उनके 10 मिनट के साक्षात्कार को देखकर लग रहा था कि वह रो देंगे। भले ही वह हंस रहे थे, लेकिन जिस तरह चोरी पकड़े जाने पर किसी को हथकड़ी पहना कर जेल ले जाया जाता है, केजरीवाल की भाव-भंगिमा वैसी ही थी। शीशमहल के नीचे जनता का आंदोलन, ईमानदारी की बड़ी-बड़ी बातें दफन हैं। याद कीजिए जो इनसान कहता था कि मुझे दो कमरों का घर नहीं चाहिए, उसने कोरोना काल में गैर-कानूनी तरीकों से जनता के पैसों से 16 लाख रुपये की टॉयलेट सीट लगवाई है। मैं 2017 से कह रहा हूं कि मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन और अरविंद केजरीवाल की राजनीति का अंत तिहाड़ जेल के सलाखों के पीछे होगा। दो जेल जा चुके हैं और तीसरे की बारी भी निश्चित है।
केजरीवाल का साथ छोड़ कर जाने वाले कहते हैं कि वह किसी कागज पर हस्ताक्षर नहीं करते हैं, हर काम फूंक-फूंककर करते हैं। आप इसे किस तरह देखते हैं?
बहुत लोगों की यह बात मालूम नहीं कि शीशमहल किसी इंजीनियर ने नहीं, बल्कि एक नोडल अधिकारी और सत्येंद्र जैन के हस्ताक्षर से खड़ा हुआ है। शीशमहल तो एक उदाहरण है। किसी मंत्री या मुख्यमंत्री के पास कोई विभाग न हो तो वह इसे अपना अपमान मानता और इस्तीफा दे देता। लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री बिना किसी पोर्टफोलियो के हैं। यह चालाकी है। भले ही इन्होंने हस्ताक्षर नहीं किए, लेकिन शराब घोटाले में पैसों के लेन-देन के लिए इन्होंने विनय नायर को वीडियो कॉल की थी। केजरीवाल ने आश्वासन देते हुए कहा था कि ‘यह मेरा आदमी है, पैसे दे दो।’ वीडियो कॉल के बाद मोबाइल तोड़ दिया गया। लेकिन इलेट्रॉनिक प्रमाण आसानी से खत्म नहीं होते, इसी कारण आज विजय नायर जेल में है। इसी कारण मनीष सिसोदिया जेल में हैं और अरविंद केजरीवाल से भी पूछताछ हो चुकी है। इसीलिए भगवंत मान का हवाई जहाज लेकर केजरीवाल जगह-जगह पर घूम-घूम कर कह रहे थे कि विधेयक रोको, विधेयक रोको। परंतु विधेयक तो नहीं रुका, इस अध्यादेश से केजरीवाल का भ्रष्टाचार, शीशमहल का धंधा, शराब घोटाला रुका है। इसीलिए यह अध्यादेश विधेयक महत्वपूर्ण है।
दिल्ली दंगों में ताहिर हुसैन का नाम सामने आया था। अब नूह हिंसा में भी आआपा के एक नेता का नाम आया है। देशविरोध के लिए चाहे इनको दंगा करना पड़े, घोटाला करना पड़े, फूट डालनी पड़े, आग लगानी पड़े, देशविरोधियों के समर्थन में खड़ा होना पड़े, भारतीय सेना पर सवाल उठाना पड़े, कश्मीर में सेना के खिलाफ बयान देना पड़े, जो भी करना पड़े, ये वह सब करेंगे, जिससे देश कमजोर हो।
केजरीवाल के करीबी राघव चड्ढा पर आरोप है कि उन्होंने दिल्ली सेवा बिल के लिए जो प्रस्ताव किया, उस पर पांच नेताओं के फर्जी हस्ताक्षर हैं। क्या यह धोखाधड़ी का मामला नहीं?
आरोप नहीं लगा है, बल्कि साबित हुआ है। पांचों सांसदों ने सदन में उसी समय कहा था कि राघव चढ्डा ने बिना उनकी अनुमति हस्ताक्षर किए हैं। आज तक राघव चड्ढा ने यह बात नहीं कही है। हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा है कि ‘नोटिस आएगा तो जबाव दूंगा।’ यह अपराध है। संसद की अवमानना तो है ही। आम आदमी पार्टी के कार्यालय में जो बंदरबांट चल रही है, संसद में भी वे वही काम कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी ने संसद को भी पार्टी का दफ्तर समझ लिया कि राघव चड्ढा कुछ भी लिख देंगे और चल जाएगा। यह अवमानना के साथ भादंसं की धारा 464, 467 और 471 के तहत जालसाजी और धोखाधड़ी का मामला भी बनता है।
आआपा प्रधानमंत्री को अनपढ़ कहती है। क्या इनके नेता संसद का नियम-कानून भी नहीं जानते हैं?
देखिए, जेल जाने का डर इनसान से बड़े-बड़े पाप करवाता है। केजरीवाल को जेल जाने से बचाने के लिए आआपा सभी नियम-कायदे तोड़ने पर उतारू है। इसीलिए सदन के पटल पर झूठे दस्तावेज रखने की बेशर्मी की। इसके पीछे का कारण हैं केजरीवाल। चड्ढा तो एक कठपुतली हैं। केजरीवाल कहते हैं कि मैं जेल जाने वाला हूं, मुझे बचाने के लिए कुछ भी करो। सबूत नष्ट करने के लिए कुछ भी करो। उसी हड़बड़ाहट में उनसे एक के बाद एक गलतियां हो रही हैं।
लोग मानते हैं कि सारे भ्रष्टाचार के मास्टरमाइंड अरविंद केजरीवाल ही हैं। उनसे जुड़े नेताओं को क्या यह बात समझ में नहीं आती है?
देखिए, जो इस गंदगी से बच सकते थे, वे लोग बहुत पहले ही दूर हो गए। अब आम आदमी पार्टी रीढ़विहीन लोगों को एक झुंड है और सभी पाप में भागीदार हैं। उन्हें मालूम है कि उनके सामने अब केवल तिहाड़ का दरवाजा है। इसलिए उनकी मजबूरी है। इन्होंने दिल्ली और देश की आकांक्षाओं के साथ छल किया है, जिसके लिए इन्हें बड़ी सजा मिलेगी। एक बहुत बड़ा मामला है देशविरोधी गतिविधियां। दिल्ली दंगों में ताहिर हुसैन का नाम सामने आया था। अब नूंह हिंसा में भी आआपा के एक नेता का नाम आया है। देशविरोध के लिए चाहे इनको दंगा करना पड़े, घोटाला करना पड़े, फूट डालनी पड़े, आग लगानी पड़े, देशविरोधियों के समर्थन में खड़ा होना पड़े, भारतीय सेना पर सवाल उठाना पड़े, कश्मीर में सेना के खिलाफ बयान देना पड़े, जो भी करना पड़े, ये वह सब करेंगे, जिससे देश कमजोर हो। इन सबकी जड़ में वही मानसिकता है, जिस मानसिकता को लेकर ये शाहीन बाग में खड़े हुए थे।
इतना सब देखने के बाद, क्या लोग ठगा हुआ महसूस नहीं कर रहे होंगे कि लोगों को सत्ता सौंप दी?
निश्चित रूप से लोगों की आंखें खुली है। मुफ्त बिजली-पानी के कारण दिल्ली वालों ने आआपा को वोट दिया। बाढ़ का पानी घरों में घुसने से लोगों को कितना नुकसान हुआ है। हर दिन डीटीसी की बसें जल रही हैं। डीटीसी कर्मचारियों को स्थायी करना तो दूर, उन्हें वेतन भी नहीं मिल रहा। बुजुर्गों, विधवाओं की पेंशन और नए राशन कार्ड बनना बंद हैं। एक भी नया स्कूल, फ्लाईओवर नहीं बना। केजरीवाल को गलतफहमी होगी कि मीडिया को ‘खरीदकर’ अपनी डूबती नैया बचा लेंगे। मैं दावे के साथ कह रहा हूं कि 2025 में दिल्ली की जनता केजरीवाल को सत्ता से उखाड़कर फेंक देगी।
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