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उत्तराखंड : सालों से चल रही है हरे पेड़ों पर आरी, क्या सफेदपोश दे रहे वन माफिया को संरक्षण ?

वन विभाग और तस्करों की सांठगांठ से चल रहा गोरखधंधा, डीएफओ ने की जांच लेकिन दर्ज नहीं हुई कोई रिपोर्ट। सीएम धामी ने कहा- "बक्शे नही जाएंगे आरोपी"

by उत्तराखंड ब्यूरो
Aug 21, 2023, 02:16 pm IST
in उत्तराखंड
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देहरादून | जौनसार बावर, के चकराता, कनासर ,कालसी, टोंस आदि वन प्रभागो में हरे देवदार और केल प्रजाति के पेड़ो को अवैध रूप से काटने का मामला सुर्खियो में है। ये सिलसिला आज का नही बल्कि पिछले कई सालों से चल रहा है, सफेदपोश,वन तस्कर और वन विभाग के भ्रष्ट कर्मियों के गठजोड़ से हजारों पेड़ काट डाले गए है।

ये सबूत अब सेटलाइट तस्वीरों से साफ देखे जा सकते है कि उत्तराखंड की हिमाचल सीमा से लगे टोंस चकराता कालसी और अन्य वन प्रभागों से हजारों की संख्या में हरे पेड़ों को काटे जाने के मामले सामने आने से कई प्रभावशाली लोग सक्रिय हो गए है। मामले को दबाने के लिए हर कोशिश हो रही है। वन विभाग में ही अपने अधिकारियो और कर्मचारियों को बचाने के लिए कवायद चल रही है।

डीएफओ कल्याणी द्वारा चलाए गए अभियान पर अब विभाग के अधिकारी ही सवाल उठा कर उन्हे ही इस अवैध कटान का आरोपी बनाया जा रहा है जबकि हकीकत ये है कि ये वन तस्करी उनके कार्यकाल से पहले से चली आ रही थी और डीएफओ कल्याणी के संज्ञान में आने के बाद उन्होंने इस बारे में सर्च अभियान चला कर देवदार के स्लीपर जब्त करवाए। सफेदपोश, वन तस्कर और वन कर्मियों का गठजोड़ इतना मजबूत है कि वो बेखौफ होकर अपना काम करते रहे है।

इस मामले की जांच जब पीसीसीएफ अनूप मलिक ने यमुना वृत के कंजरवेटर डा विनय भार्गव को दी है। बताया जाता है कि उनके द्वारा इस सारे प्रकरण में सुनियोजित वन सम्पदा की तस्करी के लिए न सिर्फ वन कर्मियों, वन निगम कर्मियों बल्कि अन्य उच्च अधिकारियो को भी आरोपी बनाया है। डा भार्गव की इस रिपोर्ट के बाद वन महकमे में हड़कंप मचा हुआ है और अब इस जांच रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डालने के लिए राजनीतिक दबाव बनाए जाने लगे है।

ऐसा भी जानकारी में आया है कि चोरी की देवदार की लकड़ी स्लीपर का हिस्सा बांट, वन विभाग के उच्च अधिकारियों शासन के उच्च अधिकारियो ,राजनीतिज्ञों के घरों तक पहुंचा हुआ है।

ऐसा जानकारी में आया है कि जौनसार बावर के इन जंगलों  की तस्करी में कांग्रेस के बड़े बड़े नेताओं का हाथ है उनके समर्थक ठेकेदार ही हरे पेड़ों के अवैध कटान में लिप्त है और इनका वहा क्षेत्र में खासा दबदबा चल रहा है।चोरी का माल पछुवा देहरादून की आरा मशीनों में खपाया जाता रहा है जहां से चिरान होने के बाद फर्जी रवने या बहती से बाजार में बेच दिया जाता है।

बरहाल उत्तराखंड के सबसे बड़े महकमे वन विभाग की कारगुजारिया सामने आने से कई तरह के सवाल उठ रहे है। अभी जौनसार बावर ही नहीं देहरादून के आसपास भी जंगल के जंगल साफ होने की खबरे सामने आ रही है जिनके बारे में जल्द ही तथ्य सामने आयेंगे।

जंगल काटने में सबसे आगे वन कर्मी

क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता राकेश तोमर उत्तराखंडी का कहना है कि हमने इस बारे में डीएफओ कल्याणी को शिकायत दर्ज करवाई थी और उनके द्वारा एक्शन लिया गया, इतना भी जरूर कहना है कि फॉरेस्ट के लोग ही जंगल कटवा रहे है, चार गिरे पेड़ काटने की अनुमति में चालीस पेड़ काट कर ले जा रहे है, ऐसा कई महीनों से चल रहा है।

जहां माल बरामद उन पर कोई एक्शन नहीं

वन विभाग की रिकवरी टीम ने जहां जहा से तस्करी का माल बरामद किया  उन पर अभी तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। जिससे पता चलता है कि वन विभाग में अपनो को बचाने का खेल चल रहा है, कुछ वन कर्मी तबादले पर भेज दिए गए है तो कुछ निलंबित भी किए गए है।

बीजेपी नेता राम शरण नौटियाल का बयान

जौनसार बावर के बीजेपी नेता राम शरण नौटियाल ने  जंगलों के काटे जाने का वीडियो जारी किया था और सीएम धामी से इस मामले की सीबीआई जांच कराने का निवेदन भी किया है। उन्होंने कहा कि वन तस्करी के खेल में बहुत लोग बेनकाब होंगे।

सीएम धामी ने कहा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पीसीसीएफ अनूप मलिक को इस सारे प्रकरण की जांच कर रिपोर्ट देने को कहा है। उन्होंने कहा है कि वन पर्यावरण से खिलवाड़ करने वालो को बख्शा नहीं जाएगा।

Topics: उत्तराखंड के जंगलउत्तराखंड वन विभागforests of uttarakhandUttarakhand Forest Departmentउत्तराखंड में वन माफिया को संरक्षणProtection of forest mafia in Uttarakhanduttarakhand newsउत्तराखंड समाचार
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