देहरादून। पिछले कई दिनों से टोंस वन प्रभाग जौनसार बावर आदि क्षेत्रों में हजारों की संख्या में देवदार केल के स्लीपर बरामद होने की खबरें आ रही हैं। डीएफओ चकराता कल्याणी के नेतृत्व में ये अभियान चल रहा है। जानकारी के मुताबिक हजारों की संख्या में हरे पेड़ों पर वन तस्करों ने आरी चला दी है। वन विभाग के छोटे, बड़े अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके ये खेल पिछले कई महीनों से खेला जा रहा था।
जानकारी के मुताबिक टोंस वन प्रभाग पुरोला तहसील के अंतर्गत हजारों की संख्या में देवदार केल प्रजाति के हरे पेड़ों पर वन माफिया ने आरी चला कर तकरीबन 10 हजार स्लीपर बनाकर छुपा दिए। ऐसा बताया गया है कि वन विभाग द्वारा वन निगम को गिरे हुए पेड़ों को उठाने की अनुमति दी जाती है। निगम ठेकेदार के जरिए गिरे हुए पेड़ों को वहीं काटकर स्लीपर बनाकर निगम के डिपों तक पहुंचाने का काम करता है। इस अनुमति की आड़ लेकर वन कर्मियों और ठेकेदार ने खड़े हुए ऊंचे हरे पेड़ भी काट डाले और उन्हें वहीं आसपास और पछुवा देहरादून में छुपा दिया और धीरे-धीरे इन्हें ठिकाने लगाने का काम चलता रहा।
इस मामले की भनक जब डीएफओ कल्याणी को हुई तो उन्होंने खुद जाकर मौके पर हालात को देखा और फिर अपनी विश्वसनीय टीम को लगाकर, छुपाकर रखी गई पेड़ों की लकड़ी (स्लीपर) को बरामद करना शुरू किया है। जानकारी के मुताबिक चार हजार से अधिक स्लीपर बरामद किए जा चुके हैं। अभी और बरामदगी जारी है।
इस बरामदगी से वन विभाग में ऊपर से लेकर नीचे तक हड़कम मच गया। यहां तक कि मामला मुख्यमंत्री कार्यालय ने भी संज्ञान में लिया है। इस मामले में वन तस्करों, वन विभाग के अधिकारियों का गठजोड़ सामने आया है, जिसके बाद वन विभाग के मुखिया पीसीसीएफ अनूप मलिक ने इस प्रकरण की जांच यमुना वृत के कंजरवेटर फॉरेस्ट डॉ विनय भार्गव को सौंप दी। डॉ भार्गव तेज तर्रार आईएफएस माने जाते हैं। उन्होंने जांच पड़ताल पूरी करके फाइल पीसीसीएफ को भेज दी है।
जानकारी के मुताबिक इस वन तस्करी में वन विभाग के अधिकारी वन निगम के अधिकारी, विभाग के ठेकेदार की मिलीभगत सामने आई है। इसके अलावा कई सफेदपोशों का भी नाम आया है। ऐसा बताया गया है कि वन तस्करों ने अवैध कटान का माल सफेदपोशों के यहां छुपाकर रखा था। स्वाभाविक है इस मामले में आरोप उनपर भी लगेंगे।
सांद्रा, देवता, कोटियाड़ वन रेंज में काटे गए पेड़
जानकारी के मुताबिक हजारों की संख्या में पुरोला क्षेत्र में सांद्रा, देवता और कोटियाड़ वन क्षेत्र में हरे पेड़ काटे गए हैं, जिनकी पुष्टि हो चुकी है। यह खेल बहुत समय से चल रहा था इसमें पूर्व डीएफओ, एसडीओ और अन्य रेंज अधिकारियों के अलावा वन निगम के वरिष्ठ अधिकारियों को भी उनके कर्मचारियों, ठेकदार के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई किए जाने के लिए पत्र लिखा गया है।
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