झारखंड के डुमरी में उपचुनाव होने वाला है और यहां यूपीए की प्रत्याशी बेबी देवी और एनडीए की प्रत्याशी यशोदा देवी आमने-सामने हैं। मुकाबला भी कड़ा दिखाई दे रहा है। यही कारण है कि सभी नेता सक्रिय हो गए हैं। इसी क्रम में 17 अगस्त को बेबी देवी के नामांकन बाद आयोजित जनसभा में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि 2019 से पहले यानी रघुबर दास के कार्यकाल में चौक-चौराहे पर मुस्लिमों की हत्या कर दी जाती थी। 2019 के बाद जब से उनकी सरकार आई है मॉब लिंचिंग की एक भी घटना नही हुई है। मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद वार पलटवार का दौर शुरू हो गया।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि जब आदिवासी कार्ड नहीं चला तो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मुस्लिम कार्ड खेलने में जुट गए। आंकड़े बताते हैं कि हेमंत सरकार में अब तक मॉब लिंचिंग की 12 घटनाएं हुईं हैं। 5 मुसलमान इसके शिकार हुए हैं। दलितों और आदिवासियों पर अत्याचार में तो आप टॉप पर हैं ही।
जब आदिवासी कार्ड नहीं चल रहा तो मुख्यमंत्री @HemantSorenJMM मुस्लिम कार्ड खेलने में जुट गए। आपके सरकार के ही आंकड़े बताते हैं कि आपकी सरकार के दौरान मॉब लिंचिंग की 12 घटनाएं हुईं हैं। 5 मुसलमान इसके शिकार हुए हैं। दलितों और आदिवासियों पर अत्याचार में तो आप टॉप पर हैं ही। pic.twitter.com/okOHpUxLj3
— Babulal Marandi (@yourBabulal) August 18, 2023
इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी आंकड़े जारी करते हुए हेमंत सरकार के कार्यकाल में हुई मॉब लिंचिंग की घटनाओं को विस्तार से बताया है। इन आंकड़ों के साथ रघुवर दास ने सोशल मीडिया पर लिखा, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी कब क्या कहते हैं लगता उन्हें भी इसका ध्यान नहीं रहता। मॉब लिंचिंग पर दिया गया मुख्यमंत्री जी का यह गैर जिम्मेदार बयान उनकी जानकारी और समझ पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है। रघुवर दास ने आगे लिखा कि कभी झारखंड को लिंचिंग पैड कहकर पूरे देश में बदनाम करने वाले हेमंत सोरेन के राज में मॉब लिंचिंग की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने बताया कि रूपेश पांडे और संजू प्रधान की मॉब लिंचिंग को पूरा देश अभी नहीं भूला है। हेमंत सोरेन के कमजोर नेतृत्व के कारण झारखंड की कानून व्यवस्था की स्थिति चौपट हो गई है। इस तरह की अनर्गल बयानबाजी करने और मुस्लिम समाज को भड़काने से पहले उन्हें पुलिस-प्रशासन से अपने शासनकाल के मॉब लिंचिंग के आंकड़े मांग लेने चाहिए थे।
इसके बाद रघुवर दास ने 2020 से लेकर 2023 के कुछ आंकड़े दिए-
- 11 मई 2020 को बकरी चोरी के आरोप में सुभान अंसारी की पीट पीट कर हत्या।
- जनवरी 2022 में सिमडेगा में मॉब लींचिंग में संजू प्रधान की हत्या।
- जून 2020 में गोड्डा में बकरी चोरी के आरोप में बबलू शाह की हत्या, उचित यादव को घायल किया।
- मार्च 2021 में रांची में सचिन कुमार वर्मा को ट्रक चोरी के आरोप में पीट-पीट कर मार दिया गया।
- मार्च 2021 में रांची के अनगड़ा में मुबारक खान की हत्या।
- मार्च 2021 में गुमला में रामचंद्र उरांव को भीड़ ने पीटकर मार डाला।
- फरवरी 2022 में रुपेश पांडे की सरस्वती पूजा के विसर्जन के दौरान हत्या।
- अक्टूबर 2022 में गुमला में एजाज खान की हत्या।
- मई 2023 में लातेहार के चंदवा में सिबल गंझू और बोनी देवी की हत्या।
- मई 2023 में रांची के ओरमांझी में मिथुन सिंह खरवार की भीड़ द्वारा हत्या।
- फरवरी 2023 में रांची में शिवांश की उन्मादी भीड़ द्वारा हत्या कर दी गई।
- रघुवर दास ने इन आंकड़ों को पेश करने के बाद कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपराधियों का मनोबल बढ़ाने वाले बयान दे रहे हैं।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी कब क्या कहते हैं लगता उन्हें भी इसका ध्यान नहीं रहता। मॉब लिंचिंग पर दिया गया मुख्यमंत्री जी का यह गैर जिम्मेदाराना बयान उनकी जानकारी और समझ पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।
कभी झारखंड को लिंचिंग पैड कहकर पूरे देश में बदनाम करने वाले हेमंत जी के राज में… pic.twitter.com/xOMbxuYLEn
— Raghubar Das (@dasraghubar) August 18, 2023
आपको बता दें कि झारखंड में वर्ष 2017 के दौरान मॉब लिंचिंग की कुछ घटनाएं हुई थीं । उसके बाद पूरे देश भर में झारखंड को मॉब लिंचिंग का गढ़ बना कर बदनाम करने की कोशिश की गई थी। इसके बावजूद 2019 में सरकार बदलने के बाद इन घटनाओं में कमी नहीं देखी गई । यहां तक कि पिछले वर्ष 2022 में विधानसभा के बजट सत्र के दौरान सीपीआई एमएल के विधायक विनोद सिंह ने इस मामले को विधानसभा में भी उठाया था। उन्होंने बताया था कि वर्ष 2016 से 2021 के बीच राज्य में मॉब लिंचिंग की 46 घटनाएं हुईं. 2022 की बात करें तो भीड़ हिंसा की तकरीबन एक दर्जन वारदातें सामने आ चुकी हैं।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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