एलिफेन्टा जाने पर समुद्री यात्रा का आनन्द तो मिलता ही है, एक ऐतिहासिक धरोहर को देखने का सुख भी प्राप्त होता है।
मुंबई के गेटवे आफ इण्डिया से लगभग 10 किलोमीटर की समुद्री यात्रा कर एलिफेन्टा की गुफाओं को देखना काफी रोमांचक है। एलिफेन्टा जाने पर समुद्री यात्रा का आनन्द तो मिलता ही है, एक ऐतिहासिक धरोहर को देखने का सुख भी प्राप्त होता है। गेटवे आफ इन्डिया से एलिफेन्टा जाने के लिए कुछ निजी छोटे पानी के जहाज जाते हैं और सरकार की ओर से एक बड़ा समुद्री जहाज भी चलता है, जिसका टिकट बाकी साधनों से कम पड़ता है। स्थानीय लोगों के लिए तो यह जगह एक पिकनिक स्थल की तरह है। एलिफेन्टा जाने के लिए पानी के जहाज दोपहर 12 बजे तक ही जाते हैं। शाम होने के साथ ही लोग वहां से लौटना प्रारम्भ कर देते हैं।
एलिफेन्टा को धारापुरी के नाम से भी जाना जाता है। पहले यह कोंकणी मौर्य की द्वीपीय राजधानी रह चुका है। एलिफेन्टा नामकरण के पीछे पुर्तगालियों का योगदान है जिन्होंने पत्थर के हाथी के कारण इसे एलिफेन्टा नाम दे दिया। एलिफेन्टा में पहाड़ियों को काटकर दक्षिण भारतीय मूर्तिकला के प्रभाव से युक्त कई देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाई गई हैं। एलिफेन्टा में कुल सात गुफाएं हैं।
इतिहासकार मानते हैं कि आठवीं शताब्दी के आसपास राष्ट्रकूट राजाओं ने इन गुफाओं में कुछ निर्माण किया था। यह भी माना जाता है कि 1100-1260 के दौरान सिल्हारा वंश के राजाओं ने भी यहां निर्माण कराया था। यहां की मुख्य गुफा 26 स्तम्भों वाली है जिसमें भगवान शंकर की नौ मूर्तियों में विभिन्न भंगिमाएं उकेरी गई हैं। लगभग 24 फुट लम्बी शिव की त्रिमूर्ति वाली प्रतिमा श्रद्धालुओं को मन्त्रमुग्ध कर देती है। इस मूर्ति में भगवान शिव की तीन अलग-अलग भंगिमाओं को उकेरा गया है।
ब्रिटिश काल के समय यहां रखी गई तो तोपों के कारण इसे गन हिल और बौद्ध स्तूप के कारण स्तूप हिल नाम दिया गया है। जब पानी के जहाज से एलिफेन्टा द्वीप पर उतरते हैं तो वहां समुद्र तट से गुफा के पास जाने के लिए छोटी रेलगाड़ी भी चलती है। इस रेलगाड़ी से टिकट लेकर जाया जा सकता है। इस रेलगाड़ी से यात्रा करना भी एक अलग ही अनुभूति प्रदान करता है।
एक अन्य मूर्ति पंचमुखी परमेश्वर की है। अर्धनारीश्वर का रूप दिखाने वाली मूर्ति भी आकर्षण का केन्द्र है। इसके अतिरिक्त सदाशिव, भैरव आदि की मूर्तियां भी बनाई गई हैं। पत्थरों से निर्मित यह मन्दिर परिसर लगभग छह हजार फुट क्षेत्र में फैला है।
यूनेस्को द्वारा 1987 में इसे विश्व धरोहरों की सूची में शामिल किया गया। एलिफेन्टा द्वीप पर दो मुख्य पहाड़ियां हैं जिन्हें गन हिल और स्तूप हिल के नाम से जाना जाता है। ब्रिटिश काल के समय यहां रखी गई तो तोपों के कारण इसे गन हिल और बौद्ध स्तूप के कारण स्तूप हिल नाम दिया गया है। जब पानी के जहाज से एलिफेन्टा द्वीप पर उतरते हैं तो वहां समुद्र तट से गुफा के पास जाने के लिए छोटी रेलगाड़ी भी चलती है। इस रेलगाड़ी से टिकट लेकर जाया जा सकता है। इस रेलगाड़ी से यात्रा करना भी एक अलग ही अनुभूति प्रदान करता है।
शाम को एलिफेन्टा से लौटने पर गेटवे आफ इण्डिया के पास अस्ताचलगामी सूरज और उसके साथ मुंबई के बहुमंजिले भवनों की कतारें एक स्वप्निल दृश्य उपस्थित करती हैं।
(लेखक यायावर,साहित्यकार और फोटोग्राफर हैं)
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