प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा 25 दिसंबर, 2000 में शुरू की गई थी महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना। इसे गरीबी दूर करने के कदम के रूप में परिकल्पित किया गया था।
योजना के तहत देश के लगभग सभी गांवों को शहरों, अस्पतालों व महत्वपूर्ण स्थानों से जोड़ा गया। देश का हर गांव, शहर, जिला व राज्य एक-दूसरे से सड़क से जुड़ने से कृषि बाजारों तक किसानों की पहुंच आसान हो गई, ग्रामीण क्षेत्रों में शहरों जैसी सुविधाएं मिलने लगीं। गांव और शहर के बीच दूरी घटने से युवाओं के लिए भी उन्नति के रास्ते खुले।
समय की बचत के साथ दूरस्थ ग्रामीण इलाकों से शहर तक पहुंचने में लागत भी कम हो गई है। जो गांव सड़क से जुड़ चुके हैं, वहां ग्रामीणों की जीवनशैली में बदलाव आया है और विकास भी हो रहा है। पहले चरण में 2,25,000 किमी सड़कें बनीं, जबकि दूसरे चरण में 50,000 किमी सड़कों को अपग्रेड किया गया।
केंद्र द्वारा वित्त पोषित योजना थी, लेकिन दूसरे चरण में केंद्र और राज्यों की भागीदारी क्रमश: 75 प्रतिशत और 25 प्रतिशत सुनिश्चित की गई। इस योजना का पूरा प्रबंधन ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और नगरपालिका के माध्यम से किया जाता है। योजना के तहत सड़क के अलावा, देश के मैदानी इलाकों में 150 मीटर तक तथा पर्वतीय इलाकों में 200 मीटर तक लंबे और मजबूत पुलों का निर्माण भी शामिल है।
तीसरा चरण 2019 में शुरू हुआ। इसमें मैदानी इलाकों के 500 से अधिक आबादी वाले तथा पहाड़ी, वनवासी और रेगिस्तानी इलाकों की 250 से अधिक आबादी वाली 1,78,000 बस्तियों को जोड़ा जाना है। इसके तहत 2024-25 तक 1.25 लाख किमी. सड़कों का चौड़ीकरण और पुनर्निर्माण किया जाना है। इसमें केंद्र व राज्यों की भागीदारी क्रमश: 60 प्रतिशत व 40 प्रतिशत तथा 8 पूर्वोत्तर व तीन हिमालयी राज्यों के लिए अनुपात 90:10 होगा।
पहले यह पूरी तरह केंद्र द्वारा वित्त पोषित योजना थी, लेकिन दूसरे चरण में केंद्र और राज्यों की भागीदारी क्रमश: 75 प्रतिशत और 25 प्रतिशत सुनिश्चित की गई। इस योजना का पूरा प्रबंधन ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और नगरपालिका के माध्यम से किया जाता है। योजना के तहत सड़क के अलावा, देश के मैदानी इलाकों में 150 मीटर तक तथा पर्वतीय इलाकों में 200 मीटर तक लंबे और मजबूत पुलों का निर्माण भी शामिल है।
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