डॉ. मोहनचंद्र पंत, जिन्होंने कैंसर के इलाज के लिए आजीवन किया काम, कैंसर पर दर्जनभर से अधिक लिखी हैं किताबें
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डॉ. मोहनचंद्र पंत, जिन्होंने कैंसर के इलाज के लिए आजीवन किया काम, कैंसर पर दर्जनभर से अधिक लिखी हैं किताबें

भारत सरकार ने कैंसर क्षेत्र में अहम योगदान के लिए डॉ. मोहनचंद्र पंत को 2008 में पद्मश्री से सम्मानित किया था।

by पंकज चौहान
Aug 13, 2023, 03:28 pm IST
in उत्तराखंड
फाइल फोटो

फाइल फोटो

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डॉ. मोहनचंद्र पंत जिन्होंने संपूर्ण देश के साथ–साथ उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्य में न सिर्फ भयानक असाध्य बीमारी कैंसर के इलाज की इबारत ही नहीं लिखी वरन कैंसर के प्रति जागरुकता अभियान चलाने पर हमेशा उनका ध्यान रहता था। कैंसर के आधुनिक इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में उन्होंने हर संभव प्रयास किया था। कैंसर इलाज की पहली मशीन से लेकर लखनऊ में चक गंजरिया स्थित अत्याधुनिक कैंसर संस्थान की परिकल्पना तैयार करने में उनकी बहुत बड़ी भूमिका रही। लखनऊ के जियामऊ में लखनऊ कैंसर इंस्टीट्यूट, उत्तराखंड के डॉ.सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज, डॉ. स्वामी राम इंस्टीट्यूट में कैंसर संस्थान की स्थापना डॉ. मोहनचंद्र पंत के अथक प्रयासो से ही संभव हो पाई थी। उन्होंने विभिन्न प्रकार के असाध्य रोग कैंसर पर दर्जनभर से अधिक किताबें भी लिखीं थी।

डा.मोहनचंद्र पंत का जन्म तत्कालीन अविभाजित उत्तर प्रदेश वर्तमान उत्तराखंड के रानीखेत के एक छोटे से गाँव कुनकोली में माता लीला पंत, पिता पंडित प्रयागदत्त पंत के घर 31 अक्टूबर 1956 को बेहद सीमित वित्तीय साधनों वाले परिवार में हुआ था। उनका प्रारम्भिक जीवन बेहद कष्ट अभाव में व्यतीत हुआ था, उन्होंने पढ़ाई के लिए दिन में मजदूरी तक की थी। उनकी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा गांव के स्कूल में हुई थी, जिसके बाद सन 1974 में कुमाऊं विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के बाद उन्होंने किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस की शिक्षा प्राप्त की थी। यहीं से उन्होंने सन 1979 में एमडी की उपाधि प्राप्त की और फिर वहीं रेडियोथेरेपी विभाग में डॉक्टर बन गए थे। सन 1986 में टोक्यो विश्वविद्यालय में सीटी स्कैन में उन्नत प्रशिक्षण के लिए वह टोक्यो चले गए थे। उनका विवाह लखनऊ कैंसर संस्थान की निदेशक निर्मला पंत से हुआ था।

भारत लौटकर वह पुन: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में शामिल हो गए और संस्थान में सीटी स्कैन इकाई की स्थापना की, जो राज्य में सार्वजनिक क्षेत्र की पहली इकाई थी। उन्होंने जर्मनी में चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग तकनीक और यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल जिनेवा, कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी, टेक्सास विश्वविद्यालय के एमडी एंडरसन कैंसर सेंटर में विकिरण ऑन्कोलॉजी में भी प्रशिक्षण प्राप्त किया था। वह सन 2007 में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में रेडियोथेरेपी विभाग के निदेशक बने और सन 2010 तक इस पद पर बने रहे। सितंबर सन 2010 में वह डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ में निदेशक के रूप में चले गए। जहां उन्होंने सितंबर 2013 तक काम किया था। वह देहरादून में हेमवती नन्दन बहुगुणा उत्तराखंड मेडिकल एजुकेशन यूनिवर्सिटी की स्थापना से जुड़े रहे और जब 2014 में संस्थान प्रारम्भ हुआ तो उन्हें इसके संस्थापक कुलपति के रूप में नियुक्त किया गया था।

वह सन 2015 तक उत्तराखंड के हेमवंती नंदन बहुगुणा मेडिकल विश्वविद्यालय के कुलपति रहे। सन 2014-15 में उन्हें भारत के विकिरण कैंसर चिकित्सा विज्ञानियों की रेडियोथेरेपी एसोसिएशन का अध्यक्ष चुना गया। उन्होंने टोक्यो विश्वविद्यालय, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, टेक्सास विश्वविद्यालय के एमडी एंडरसन कैंसर सेंटर, डिचिन बार्ज विश्वविद्यालय, जर्मनी, हांगकांग के चीनी विश्वविद्यालय में विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में भी कार्य किया था। उन्होंने विदेशों में कैंसर रोग से संबंधित तमाम शोधपत्र प्रस्तुत किए थे। उनके शोध जिनमें तम्बाकू के उपयोग के कारण आनुवंशिक परिवर्तन शामिल है, को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित 89 चिकित्सा पत्रों, 5 पुस्तकों और 5 अन्य पुस्तकों के अध्यायों द्वारा प्रलेखित किया गया है। उन्होंने एक स्कूल-आधारित कैंसर शिक्षा परियोजना के आयोजन किया था, जिसमें राज्य के 13 जिलों में 297 शिक्षक और लगभग 60,000 छात्र सम्मिलित हुए थे। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के 100 वर्षों के इतिहास को कवर करने वाली एक पिक्चर गैलरी की स्थापना में भी उन्होंने योगदान दिया था।

डॉ. मोहनचंद्र पंत को इंडिया टुडे द्वारा 20 महान भारतीयों में सूचीबद्ध किया गया था। उन्हें प्रो. केबी कुंवर मेमोरियल अवार्ड सन 1986, 88 और सन 1989, इंडियन रेडियोलॉजी एंड इमेजिंग एसोसिएशन के प्रसाद मेमोरियल अवार्ड सन 1987, यूनियन के इंटरनेशनल कैंसर टेक्नोलॉजी ट्रांसफर अवार्ड जैसे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। पीके हलदर मेमोरियल अवार्ड सन 1990, अंतर्राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण के लिए 1993, 1996 में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल, 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, रोटरी इंटरनेशनल के लखनऊ चैप्टर का सर्वश्रेष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता पुरस्कार 2001, हुकुम चंद जैन मेमोरियल अवार्ड सन 2003 और सन 2005 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा मेडिकल क्षेत्र के सबसे सर्वश्रेष्ठ सम्मान डॉ. बीसी रॉय से सम्मानित किया गया था। सन 2006 में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने उन्हें कैंसर क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया था। 2008 में भारत सरकार ने कैंसर क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्मश्री से विभूषित किया था। इसी वर्ष कुमाऊँ विश्वविद्यालय ने उन्हें डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि से सम्मानित किया और इसी वर्ष उन्हें प्रतिष्ठित बीरबल साहनी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। 13 अगस्त सन 2015 को लखनऊ कैंसर इंस्टीट्यूट में लिवर कैंसर के कारण उनका देहावसान हुआ था।

1980 के दशक में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में उत्तर प्रदेश राज्य में गैर-निजी क्षेत्र की पहली सीटी स्कैन यूनिट स्थापित करने के अलावा कई संस्थानों की स्थापना के पीछे भी उनका अविस्मरणीय योगदान बताया जाता है। लखनऊ कैंसर संस्थान, जहां अंततः 2015 में उनकी मृत्यु हुई थी, उन संस्थानों में से एक था जिसे स्थापित करने में उन्होंने अथक प्रयास किए थे। उनके अथक प्रयासों से ही स्वामी राम मेमोरियल कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर और डॉ. सुशीला तिवारी मेमोरियल कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, मेडिकल कॉलेज, हल्द्वानी और ग्रामीण कैंसर अस्पताल, मैनपुरी की स्थापना हुई थी। हेमवती नन्दन बहुगुणा उत्तराखंड मेडिकल एजुकेशन यूनिवर्सिटी के तहत एक संस्थान निदेशक के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में एक उच्च खुराक दर ब्रैकीथेरेपी इकाई और एक रेडियोथेरेपी सिम्युलेटर स्थापित किए गए थे। डॉ.राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज का नेतृत्व करते समय उनके प्रयासों से लिथोट्रिप्सी, कैथ लैब और पैथोलॉजी और साइटोपैथोलॉजी सुविधाओं वेब संगत डिजिटल एक्स-रे प्रणाली सहित कई चिकित्सा प्रणालियों और उपकरणों को स्थापित करके अस्पताल के आधुनिकीकरण में मदद मिली थी। उत्तराखण्ड राज्य में कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम में डॉ.मोहनचंद्र पंत की भागीदारी से राज्य भर में 10 कैंसर जांच केंद्रों की स्थापना में मदद मिली थी।

Topics: कैंसर और डॉ. मोहनचंद्र पंतडॉ. मोहनचंद्र पंत का जीवनDr. Mohanchandra PantContribution of Dr. Mohanchandra PantDr. Mohanchandra Pant's contribution to cancer treatmentCancer and Dr. Mohanchandra PantLife of Dr. Mohanchandra Pantडॉ. मोहनचंद्र पंतडॉ. मोहनचंद्र पंत का योगदानडॉ. मोहनचंद्र पंत का कैंसर इलाज में योगदान
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