सूचना प्रौद्योगिकी एवं सॉफ्टवेयर क्षेत्र में भारत वैश्विक शक्ति बनता जा रहा। देश से सेवाओं के निर्यात में आईटी-बीपीओ कंपनियों का 60 प्रतिशत से अधिक योगदान है। आज पूरे विश्व में सभी देशों व बड़े निगमों के लिए आईटी सेवाओं में भारतीय प्रतिभाएं आशा का एकमात्र केन्द्र बनी हैं
भारत का सूचना प्रौद्योगिकी व सॉफ्टवेयर उद्योग एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभर रहा है। सूचना प्रौद्योगिकी व बिजनेस प्रॉसेस आउटसोर्सिंग सेवाओं के वैश्विक निर्यातकों में आज भारत का अत्यन्त प्रतिष्ठित स्थान है। देश की अर्थव्यवस्था में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) एवं सूचना प्रौद्योगिकी सक्षम (आईटी एनेबल्ड) सेवाओं का योगदान आज 8 प्रतिशत से अधिक है। 2022-23 में आईटी-बीपीओ सेवाओं का अर्थव्यवस्था में 245 अरब डॉलर अर्थात 57.5 लाख करोड़ रुपये का योगदान रहा।
इसमें निर्यात प्राप्तियों का योगदान 194 अरब डॉलर व घरेलू बाजार से हुई प्राप्तियों का योगदान 51 अरब डॉलर रहा। भारत के ये 194 अरब डॉलर के आईटी निर्यात संयुक्त अरब अमीरात एवं इराक के कच्चे खनिज तेल के संयुक्त निर्यात के तुल्य हैं। विश्व के हरित ऊर्जा की ओर बढ़ने से खनिज तेल का व्यापार अब अस्ताचल की ओर ही जाएगा और द्रुत डिजिटलीकरण के चलते आईटी के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय व्यापार तेजी से बढ़ेगा। इसका सर्वाधिक लाभ भारत को मिलेगा।
भारत के वस्तुओं में हो रहे विदेश व्यापार घाटे की पूर्ति में सबसे बड़ा योगदान आज सेवाओं के निर्यात का है और इसमें 60 प्रतिशत से अधिक योगदान आईटी-बीपीओ सेवाओं का है। वर्ष 2030 तक हमारे सेवाओं के निर्यात के 10 खरब डॉलर (1 ट्रिलियन डॉलर) होने का अनुमान है, जिसमें 70 प्रतिशत योगदान आईटी सेवाओं का ही होगा। सेवाओं का निर्यात देश के वस्तु व्यापार का लगभग 75 प्रतिशत हो गया है।
देश के 442 अरब डॉलर के वस्तु निर्यात की तुलना में सेवाओं का निर्यात आज 332 अरब डॉलर है। नयी विदेश व्यापार नीति 2023 के अंतर्गत तो वर्ष 2030 तक वस्तु व सेवा निर्यात, दोनों ही के 10-10 खरब डॉलर डॉलर होने का लक्ष्य निर्धारित किया जा चुका है। नैसकाम के अनुसार आईटी उद्योग का निर्यात 2025-26 तक 350 अरब डॉलर से आगे निकल जाएगा।
भारतीय तकनीकी व अभियांत्रिकीय प्रतिभाओं का लाभ उठाने के लिए आज विश्व की प्रमुख आईटी कंपनियां अपने ग्लोबल कैपेसिटी केन्द्र (जीसीसी) भारत में स्थापित कर उनका द्रुत विकास कर रही हैं। आज के उच्च कौशल-गहनता व द्रुत डिजिटलीकरण के दौर में पूरे विश्व में भारतीय प्रतिभा सभी देशों व बड़े निगमों के लिए आईटी सेवाओं का एकमात्र आशा का केन्द्र बन रही है।
भारत आज विश्वभर की प्रसिद्ध कंपनियों के लिए आफ शोरिंग गंतव्य अर्थात सीमा पार सॉफ्टवेअर विकास केन्द्रों के लिए आकर्षक बन कर उभर रहा है। एचपी, आईबीएम, इंटेल, एएमडी, माइक्रोसॉफ्ट, आरेकल कॉर्पोरेशन, एमएडी, बीईए, सिस्को जैसी प्रसिद्ध कंपनियां भारत को एक प्रमुख आफ शोरिंग गंतव्य अर्थात अपने उन्नत सेवा प्रदाता केन्द्र के रूप में देख रही हैं।
लागत में मितव्ययता से आकृष्ट हुए सॉफ्टवेयर सेवा केन्द्र आज उच्च गुणवत्ता वाली सेवा के प्रमुख स्रोत बन रहे हैं। भारतीय प्रतिभाओं के महत्व को पहचानते हुए, वैश्विक निगमों ने सितम्बर 2022 तक भारत में 1,500 से अधिक जीसीसी स्थापित किये हैं।
सभी जीसीसी केन्द्रों ने कुल मिलाकर लगभग 17.5 लाख लोगों को रोजगार दिया है और 2025 तक 30 लाख तक और लोगों को रोजगार मिल सकता है। सभी प्रमुख वैश्विक निगमों के लिए, भारत में सबसे बड़ा या दूसरा सबसे बड़ा कार्यबल नियुक्त है। उनके देश के बाहर विश्व में 45 प्रतिशत से अधिक जीसीसी भारत में हैं। आज 50-70 प्रतिशत वैश्विक प्रौद्योगिकी और उनके संचालन कर्त्ता कर्मचारी भारतीय जीसीसी पर आधारित हैं।
आईटी और आईटीईएस सहित सॉफ्टवेयर और सॉफ्टवेयर सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, देश में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन बड़ी संख्या में सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क आफ इंडिया (एसटीपीआई) की स्थापना की गई थी। इससे आईटी-आईटीईएस निर्यात, प्रौद्योगिकी और नवाचार और सॉफ्टवेयर उत्पाद विकास को बढ़ावा मिल रहा है। और दो दशक में एसटीपीआई से निर्यात लगभग तीस गुना हो गया।
उच्च ‘‘निष्पादक क्षमता’’ वाले ये केन्द्र वैश्विक उद्यम रणनीति निर्धारण से लेकर अत्याधुनिक समाधान जैसे क्लाउड, डेटा एनालिटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस/मशीन लर्निंग, चिप-डिजाइन, सिस्टम डिजाइन और सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट से लेकर अधिक प्रशासनिक और प्रक्रियात्मक कार्यों से संबंधित सेवाओं के केन्द्र बन कर उभर रहे हैं। जीसीसी में निरंतर निवेश और विकास से ये नवाचार सहित कुशल और प्रतिस्पर्धी सेवाएं देने में सक्षम हैं।
सूचना सुरक्षा के क्षेत्र में भारत के अभिलेख को अन्य अधिकांश देशों से बेहतर माना जा रहा है। भारतीय प्राधिकारी व कंपनियां देश में सूचना सुरक्षा के परिवेश को और मजबूत करने पर सघन बल दे रही हैं। भारत की अधिकांश कंपनियों ने आईएसओ, सीएमएम, सिक्स सिगमा जैसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ अपनी आंतरिक प्रक्रियाओं और व्यवहारों को पहले ही संयोजित कर लिया है, जिस कारण भारत एक भरोसेमंद सोर्सिंग गंतव्य बन गया है। भारत की बड़ी कंपनियों ने पांच सौ से ज्यादा गुणवत्ता प्रमाण-पत्र प्राप्त किये हैं जो विश्व के किसी भी देश से अधिक हैं।
आईटी और आईटीईएस सहित सॉफ्टवेयर और सॉफ्टवेयर सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, देश में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन बड़ी संख्या में सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क आफ इंडिया (एसटीपीआई) की स्थापना की गई थी। इससे आईटी-आईटीईएस निर्यात, प्रौद्योगिकी और नवाचार और सॉफ्टवेयर उत्पाद विकास को बढ़ावा मिल रहा है। और दो दशक में एसटीपीआई से निर्यात लगभग तीस गुना हो गया।
देश भर में 63 एसटीपीआई इकाइयां स्थापित हैं। इनके अतिरिक्त 22 एसटीपीआई केंद्र भारत सरकार द्वारा अनुमोदित हैं। एसटीपीआई पंजीकृत आईटी/आईटीईएस इकाइयों का कुल निर्यात 2000-01 में 20,051 करोड़ रुपये था जो 2009-10 में 2,05,505 करोड़ रुपये रहा और 2021-22 में बढ़कर 6,28,330 करोड़ रुपये हो गया। एसटीपीआई पंजीकृत इकाइयों द्वारा सॉफ्टवेयर निर्यात में कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना और तमिलनाडु सबसे ऊपर हैं। भारत के कुल सॉफ्टवेयर निर्यात में एसटीपीआई का संचयी योगदान 80 प्रतिशत से अधिक है।
भारतीय अर्थव्यवस्था में सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र का रोजगार, निर्यात, आर्थिक वृद्धि व राष्ट्रीय आय में वृद्धि पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। इन केन्द्रों में नियोजित कार्यबल वस्तुओं और सेवाओं का भी बड़ा उपभोक्ता है और भारतीय अर्थव्यवस्था में बचत और निवेश में भी योगदान देता है। जीसीसी भी त्वरित आर्थिक विकास को बल देने की सामर्थ्य रखते हैं। सूचना प्रौद्योगिकी, सॉफ्टवेयर उद्योग संगठित क्षेत्र में आज सबसे बड़े व उच्च आय वाले नियोक्ताओं में से एक है। इस उद्योग द्वारा प्रदान किया गया कुल प्रत्यक्ष रोजगार 2012-13 में 29.6 लाख व्यक्ति से बढ़कर आज 51 लाख व परोक्ष रोजगार 1.5 करोड़ तक हो गया है।
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