गीता प्रेस की स्थापना अप्रैल 1923 को हुई थी। तब से यह सनातन धर्म की सेवा करती आ रही है। यह हिंदू धर्मग्रंथों के साथ ही महिला एवं बालोपयोगी पुस्तकें, भक्तचरित्र, भजनमाला आदि का प्रकाशन कर रही है। इसने लगभग 72 करोड़ पुस्तकें प्रकाशित की हैं। मासिक पत्रिका ‘कल्याण’ का भी नियमित प्रकाशन हो रहा है।
देश-दुनिया में ऐसे लोग जो सिर्फ अंग्रेजी जानते हैं, लेकिन हिंदी या संस्कृत में धर्म ग्रंथों को पढ़ना चाहते हैं, उनके लिए गीता प्रेस हनुमान चालीसा, श्रीरामचरितमानस, श्रीमद्भगवद्गीता आदि का प्रकाशन रोमन लिपि में करती है, जो अंग्रेजी अनुवाद के साथ भी उपलब्ध हैं।
बीते 100 वर्षों में गीता प्रेस की पुस्तकों में सर्वाधिक लोकप्रिय श्रीमद्भगवद्गीता रही है। अब तक इसकी 16 करोड़ से अधिक प्रतियां प्रकाशित हो चुकी है। इसके बाद गीता प्रेस द्वारा प्रकाशित हनुमान चालीसा का स्थान है, जिसकी दस करोड़ से अधिक प्रतियां छपी हैं। तीसरे स्थान पर श्रीरामचरितमानस है, जिसकी तीन करोड़ से अधिक प्रतियां प्रकाशित हो चुकी हैं।
गीता प्रेस की पुस्तकों एवं ‘कल्याण’ की बिक्री 21 निजी थोक दुकानों, लगभग 50 रेलवे स्टेशन-स्टॉल और हजारों पुस्तक विक्रेताओं के माध्यम से होती है। इन पुस्तक विक्रेताओं को नए प्रकाशनों की जानकारी देने के लिए गीता प्रेस पिछले लगभग 9 वर्ष से एक मासिक पत्रिका निकाल रहा है- ‘युग-कल्याण’। गीता प्रेस के लगभग 1800 से अधिक प्रकाशनों में से लगभग 750 हिंदी और संस्कृत में हैं। शेष प्रकाशन मुख्यत: गुजराती, मराठी, तेलुगु, असमिया, बांग्ला, ओंडिया, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, उर्दू, अंग्रेजी आदि भारतीय भाषाओं में हैं। श्रीरामचरितमानस आदि कुछ पुस्तकें नेपाली भाषा में भी प्रकाशित हुई हैं।
वर्ष 2021 में पुस्तक प्रेमियों और तीर्थयात्रियों के लिए गीता प्रेस ने ‘अयोध्या-दर्शन’ का प्रकाशन किया। 128 पृष्ठों वाली इस पुस्तक में अनेक सुंदर रंगीन चित्रों के साथ अयोध्या के प्रमुख स्थानों का संक्षिप्त परिचय दिया गया है। साथ ही, इसमें अयोध्या के शास्त्रीय महत्व और इतिहास संबंधी जानकारी भी संक्षेप में दी गई है। इसमें सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राम मंदिर मामले में दिए गए निर्णय और उसकी पृष्ठभूमि की भी संक्षेप में जानकारी दी गई है।
(इनपुट पाञ्चजन्य आर्काइव)
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