इस्लामी कट्टरपंथियों ने हिंदू आस्था वाले पर्वों और शोभायात्राओं पर हमले का कोई मौका नहीं छोड़ा है। मस्जिदों में पहले से भाड़े के पत्थरबाजों की भीड़ जुटाकर निहत्थे कांवड़ियों पर हमले कराए जा रहे हैं।
हरियाणा में नूंह-मेवात जैसे जिहादी षड्यंत्र हाल के दिनों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई शहरों में भी देखने को मिले हैं। इस्लामी कट्टरपंथियों ने हिंदू आस्था वाले पर्वों और शोभायात्राओं पर हमले का कोई मौका नहीं छोड़ा है। मस्जिदों में पहले से भाड़े के पत्थरबाजों की भीड़ जुटाकर निहत्थे कांवड़ियों पर हमले कराए जा रहे हैं। यही नहीं, मस्जिद के मौलाना के साथ मिलकर बरेली में बवाल कराने को लेकर जब समाजवादी पार्टी के एक नेता के खिलाफ कार्रवाई हुई तो कट्टरपंथियों ने अगली बार महिलाओं को आगे कर शांत शहर को सुलगाने की साजिश रची। एक ओर मोहर्रम पर जगह-जगह नई परंपराएं डालने की कोशिश हुई, वहीं रुहेलखंड से मेरठ-सहारनपुर और अलीगढ़-मथुरा तक शायद ही कोई गांव-शहर हो, जहां मुस्लिम बहुल इलाकों में कांवड़ियों का रास्ता बेवजह नहीं रोका गया हो।
मस्जिद के अंदर से पत्थरबाजी
कांवड़ियों पर हमले के कारण रुहेलखंड के सबसे बड़ा शहर बरेली में कई दिन से तनाव है। सावन के तीसरे सोमवार से एक दिन पहले 23 जुलाई को बरेली के मुस्लिम बहुल जोगी नवादा इलाके में कांवड़ियों पर पथराव किया गया। कांवड़ियों का जत्था हमेशा की तरह जिस रास्ते से गुजरने वाला था, वहां बीच में पड़ने वाली शाह नूरी मस्जिद में इस्लामी कट्टरपंथियों ने पहले से ही सैकड़ों पत्थरबाजों की फौज जुटा रखी थी। आसपास के मकानों की छतों पर ईंट, पत्थर, कांच की बोतलों का ढेर जमा किया गया था। जैसे ही कांवड़ियों जत्था मस्जिद के सामने से गुजरा, कट्टरपंथियों ने चारों तरफ से पथराव शुरू कर दिया।
जिहादियों ने कांवड़ियों की सुरक्षा में नैतान पुलिसबल और पुलिस के वाहनों को भी निशाना बनाया। इस सुनियोजित हमले में कई कांवड़िये और पुलिसकर्मी घायल हो गए। इसके बाद पुलिस ने सपा के पूर्व पार्षद उस्मान अल्वी और शाह नूरी मस्जिद के मौलाना सहित 100-150 उपद्रवियों के विरुद्ध मामला दर्ज गया। पथराव में शामिल उस्मान व उसके साथियों को तो पुलिस ने घटनास्थल से ही गिरफ्तार कर लिया था। इन सभी को जेल भेज दिया गया है, जबकि पथराव में शामिल अन्य आरोपियों की तलाश जारी है।
सड़क पर महिलाएं, गलियों में पुरुष
इसके बाद सावन के चौथे सोमवार यानी 31 जुलाई से एक दिन पहले इस मुस्लिम बस्ती जोगी नवादा में जो हुआ, वह चौंकाने वाला है। कांवड़िये जब गंगाजल लेने बदायूं के कछला गंगा घाट के लिए रवाना हुए, तो जिस शाहनूरी मस्जिद के सामने पथराव हुआ था, उसी जगह मुसलमानों ने कांवड़ियों के जत्थे का रास्ता रोक दिया। कट्टरपंथियों के सुनियोजित षड्यंत्र का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस बार मुस्लिम पुरुषों की भीड़ गलियों में जमा थी, जबकि मुस्लिम महिलाओं को सड़क पर बिठाकर रास्ता बंद कर दिया गया था।
मुस्लिम महिलाएं अल्लाह-हू-अकबर के भड़काऊ नारे लगाकर कट्टरपंथियों के लिए रास्ता आसान कर रही थीं। सुबह से शाम तक हंगामा होता रहा, लेकिन कट्टरपंथियों ने कांवड़ियों को आगे बढ़ने नहीं दिया। बवाल बढ़ने पर पुलिस-प्रशासन के अधिकारी आए और किसी तरह कांवड़ियों के लिए रास्ता बनाकर उन्हें रवाना किया। इस पूरे प्रकरण में स्थिति को संभालने में नाकाम रहे बरेली के एसएसपी प्रभाकर चौधरी का स्थानांतरण कर दिया गया और उनकी जगह तेजतर्रार आईपीएस घुले सुशील चंद्रभान को जिले की कमान सौंपी गई। कार्यभार संभालते ही नए एसएसपी ने उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई में जुट गए। अभी भी बरेली का माहौल तनावपूर्ण है और विवादग्रस्त इलाके में पुलिस, पीएसी के साथ आरएएफ के जवान तैनात हैं।
उपद्रवियों की पैरोकारी में जुटा विपक्ष
समाजवादी पार्टी, कट्टरपंथी मौलाना तौकीर रजा खां की पार्टी इत्तहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (एमआईसी) और ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम बरेली में खुलकर उपद्रव में शामिल उस्मान अल्वी और शाह नूरी मस्जिद के मौलाना की पैरोकारी में जुटी हुई है। आईएमसी ने तो मुसलमानों की भीड़ जुटाकर जुलूस तक निकाला है। लेकिन कांवड़ियों पर हमले के खिलाफ इन राजनीतिक दलों के मुंह से अभी तक एक शब्द नहीं निकला है। मुस्लिम बहुल होने के कारण पुराना शहर हमेशा से संवेदनशील रहा है। शायद ही ऐसा कोई हिंदू त्योहार होगा, जब इस इलाके में मुसलमानों ने उत्पात नहीं किया हो। वैसे तो 2017 में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद से बरेली ही नहीं, पूरे प्रदेश में शांति का माहौल है, लेकिन इस्लामी कट्टरपंथी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं और लगातार माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
पीलीभीत में भी बवाल
पीलीभीत भी कट्टरपंथियों के उत्पात से अछूता नहीं है। मोहर्रम पर जुलूस के बहाने हाइवे से गुजरने वाले कांवड़ियों का रास्ता रोकना तो आम बात है। इस कारण अक्सर बरेली-पीलीभीत मार्ग पर तनाव का माहौल बन जाता है। इस बार भी मोहर्रम के जुलूस में शामिल ताजियेदारों ने हाइवे से कांवड़ियों को आगे नहीं जाने दिया। इसके बाद तनाव हुआ और पथराव शुरू हो गया। इसमें सदर क्षेत्राधिकारी डॉ. प्रदीप दहिया सहित कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। उन्मादियों ने पुलिस-प्रशासन की कई गाड़ियां तोड़ दीं। बाद में बरेली से मंडलायुक्त सौम्या अग्रवाल और रेंज के आईजी डॉ. राकेश सिंह ने पीलीभीत पहुंचे और हालात पर काबू पाया। बरेली, पीलीभीत ही नहीं, रुहेलखंड के बदायूं, मुरादाबाद, रामपुर, संभल, अमरोहा जिलों के मुस्लिम बहुल इलाकों से भी लगातार कांवड़ियों का रास्ता रोके जाने के मामले आ रहे हैं।
मथुरा में विशेष सतर्कता
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मथुरा, नोएडा, बागपत, शामली और सहारनपुर जिलों की सीमाएं हरियाणा से सटी हुई हैं। इनमें मथुरा के कोसीकलां और बरसाना क्षेत्र से मेवात का बड़ा हिस्सा लगता है, जहां कट्टरपंथी उपद्रव करते रहते हैं। मेवात-नूंह में विश्व हिंदू परिषद की ओर से निकाली जा रही ब्रज मंडल यात्रा पर सुनियोजित हमले के बाद से मथुरा के सीमावर्ती क्षेत्रों में आक्रोश है। हरियाणा की आंच उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों तक न पहुंचे, इसलिए इन जिलों की सीमाओं को सील कर चौकसी बरती जा रही है। मथुरा के एसएसपी शैलेष पांडेय के साथ आगरा रेंज के आईजी दीपक कुमार हालात पर नजर बनाए हुए हैं और लगातार हरियाणा से सटे क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं।
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