ऑस्ट्रेलिया की राजधानी सिडनी में एक शिव मंदिर में बुर्का पहने महिला ने घृणापूर्ण कृत्य किया है। मुस्लिम महिला ने प्रयोग किया गंदा मासिक पैड और मूत्र की दुर्गन्ध से भरे गीले टिशु एक मंदिर में शिवलिंग पर डाले। यह भी ध्यान दिए जाने की बात है कि महिला और उसकी बेटी को यह कुकृत्य करते हुए सीसीटीवी में देखा जा सकता है।
यह वीडियो लगभग हर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है। इस वीडियो को एक टिकटॉक यूजर @eshana_autar ने twitter पर साझा किया था।
Our neighbour put a menstrual pad on our Shiva Linga and was caught on camera. #Hinduphobic #racism #racist #neighbours #HateCrime #TikTok #Australia pic.twitter.com/kgTkmY8Kr4
— Eshana Autar (@Eshana_Autar) August 6, 2023
इसके बाद इस वीडियो को बहुत लोगों ने साझा किया। और लगभग सभी ने इस घटना पर क्रोध और क्षोभ व्यक्त किया। यह किसी भी कल्पना से बाहर है कि कौम की कोई महिला दूसरे धर्म के आराध्य से इस सीमा तक घृणा से भरी हो सकती है कि वह इस प्रकार की गंदगी लगा दे और उसके चेहरे पर किसी भी प्रकार का कोई डर नहीं है कि वह क्या कर रही है?
क्या कट्टरपंथ इस सीमा तक सोच विकृत कर देता है और सबसे बढ़कर यह प्रश्न उठता है कि वहां पर तो कुछ भी ऐसा हुआ नहीं था, जिसकी प्रतिक्रिया में उस महिला ने इस घटना को अंजाम दिया। जो यह बोलते रहते हैं कि चूंकि भारत में शोभायात्रा निकालकर हिन्दू उकसाते हैं, इसलिए भारत में हिंसा होती हैं। परन्तु एक मंदिर, वह भी विदेश में और वह भी मुस्लिम देश में नहीं है, उस मंदिर में क्या और कैसे किसी ने उकसाया कि वह महिला अपने यूज्ड पैड को लेकर शिवलिंग तक ला सकती है और मल जैसी गंदगी से मंदिर को विरूपित कर सकती है।
आखिर घृणा का वह कौन सा पैमाना है, जिसे लेकर हिन्दुओं के प्रति इस घृणा को मापा जाए। पूरा सोशल मीडिया इस घटना से स्तब्ध है। क्योंकि कोई सोच ही नहीं सकता है, कि ऐसा भी कोई कर सकता है? वैसे मंदिरों को विकृत और विरूपित करने की घटना भारत में भी होती रहती हैं, जब मंदिर के आसपास कोई मांस के टुकड़े डाल जाता है। हाल ही में दिल्ली में एक मंदिर के बाहर एक भैंसे का कटा सिर किसी अजीम ने डाला था। पुलिस के अनुसार वह मानसिक रूप से कमजोर था।
ऐसी घटनाएं हिन्दुओं के साथ आम हैं। हिंदुओं के मंदिर एक अजीब सी घृणा का शिकार होते हैं। और ऑस्ट्रेलिया में तो वैसे भी हिन्दू मंदिर घृणात्मक हमलों का केंद्र रहे हैं। काफी दिनों से हिन्दुओं के मंदिरों को खालिस्तानी तत्वों द्वारा विकृत किया जा रहा था। सोशल मीडिया पर हिन्दुओं के प्रति इस घृणा की सीमा नहीं दिखती है, जबकि धार्मिक घृणा का सबसे अधिक हिन्दू ही शिकार होते है। लीसेस्टर में भी हिन्दुओं के मंदिर को पिछले वर्ष निशाना बनाया गया था।
परन्तु अब तक ऐसा होता आया था कि ऐसी घटनाएं पुरुषों द्वारा होती थी, और महिलाओं को संवेदना एवं करुणा से परिपूर्ण माना जाता है और यह भी माना जाता है कि उनमें सहिष्णुता का भाव होता है। फिर भी सोशल मीडिया यह देखकर ही शर्मसार है कि एक महिला इस सीमा तक जा सकती है। यह महिला की सहज प्रवृत्ति के विरोध में है। ये घटना ये भी सवाल उठाती है कि क्या महिलाएं अधिक कट्टरपंथी बनकर उभर रही हैं? जैसा आईएसआईएस से प्रेरित होकर अपना देश छोड़कर आई महिलाओं के उदाहरण से देखा जा सकता है।
azzat alsaleem नामक यूजर ने लिखा कि ऑस्ट्रेलिया में एक मुस्लिम महिला शिव मंदिर में घुसी और अपने गंदे मासिक पैड फेंके और भी गंदगी लगाई। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह कहां रहते हैं, वह लोग ऐसे ही रहते हैं, और हिजाब में उसके शैतान चेहरे को देखें और कैसे कि यह वह एक शैतान की तरह काम कर रही हैं
यह हमला इसलिए और हैरान करने वाला है कि यह व्यक्तिगत हमला है, यह ऐसा नहीं है कि कोई समूह बनाकर आए और मंदिर पर हमला करे जैसा खालिस्तानी वाले मामले में देखा गया था, जहां वह राजनीतिक कारणों से हमला था, इस महिला का यह कृत्य पूरी तरह से उस घृणा पर आधारित है जो उसके दिल में गैर-मजहबी धार्मिक समूह के प्रति है, और जो कहती है कि उसके मजहबी समूह के अतिरिक्त और किसी भी धार्मिक समूह को रहने की आजादी नहीं है।
यह व्यक्तिगत धार्मिक स्वतंत्रता के प्रति वैयक्तिक घृणा का उदाहरण है, जो इस महिला के कृत्य से सामने आया है। आशा की जानी चाहिए कि वहां की सरकार इस पर कदम उठाएगी!
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