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देश विभाजन का दर्द : पहली बार एक-दूसरे से मिले 68 साल की बहन और 80 वर्षीय भाई

जन्म के बाद से सकीना ने अपने भाई गुरमेल सिंह को सिर्फ तस्वीर में ही देखा था, पहली बार सामने देख दोनों एक-दूसरे के आंसू ही पोछते रहे

by राकेश सैन
Aug 7, 2023, 09:13 pm IST
in पंजाब
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यूं तो देश विभाजन का दर्द पूरे देशवासियों ने अपने शरीर का अंग कटने के दर्द की भांति सहन किया, परंतु पंजाब व बंगाल के लोगों को सर्वाधिक संताप भोगना पड़ा। लाखों लोग मारे गए, करोड़ों का पलायन हुआ और कितने ही परिवार इस तरह बिछड़े कि जीवन के अंतिम पड़ाव में आकर उनका मिलन हो रहा है। यह कहानी है 68 साल की सकीना की, जिसने पहली बार अपने 80 वर्षीय भाई गुरमेल सिंह का चेहरा देखा है। पहली बार वह अपने भाई के गले से लग कर रोई और भाई भी अपने आंसुओं को नहीं रोक पाया। रक्षाबंधन का पर्व चाहे अभी लगभग एक महीना दूर है, परंतु इस भाई-बहन की जोड़ी तो आज ही इस पर्व के प्रेमभरे रस में सराबोर दिखाई दे रही है।

पाकिस्तान के शेखपुरा में रहने वाली 68 साल की सकीना पहली बार अपने 80 साल के भाई गुरमेल सिंह से श्री करतारपुर साहिब में मिलीं। जन्म के बाद से उसने अपने भाई को सिर्फ तस्वीर में ही देखा था। पहली बार सामने देख दोनों एक-दूसरे के आंसू ही पोछते रहे। साल 1947 में बंटवारे के समय सकीना का परिवार लुधियाना के जस्सोवाल में रहता था। बंटवारे के समय सकीना का परिवार पाकिस्तान आ गया। पिता का नाम वली मोहम्मत व दादा का नाम जामू था। परिवार पाकिस्तान आ गया, लेकिन बच्चों की मां भारत में ही रह गई।

आजादी के समय दोनों देशों में समझौता हुआ कि लापता लोगों को एक-दूसरे को लौटा दिया जाए। जिसके बाद पिता ने पाकिस्तान सरकार से मदद मांगी। पाकिस्तान सेना के लोग उसकी मां को लेने जस्सोवाल गांव पहुंच गए। जिस समय सेना मां को लेने पहुंची, 5 साल का भाई घर में नहीं था। मां ने भाई खूब तलाशा, लेकिन वह आसपास भी नहीं था। पाक सेना ने कहा कि वे अब ज्यादा इंतजार नहीं कर सकते और भाई भारत में ही रह गया।

आजादी के बाद 1955 में पाकिस्तान में सकीना का जन्म हुआ। अभी वह ढाई साल की थी, तो उसकी मां का देहांत हो गया। धीरे-धीरे भाई के खत आने भी बंद हो गए। होश संभाली तो पिता ने बताया कि उसका भाई भी है। उसकी तस्वीर उसे दिखाई। उसके पास भाई की यही निशानी थी। पिता बताते थे कि भाई लुधियाना में रहता है। सकीना ने बताया कि उसने बड़े होकर भाई को खोजने की कोशिश की, लेकिन असफल रही। माता-पिता के देहांत के बाद यही एक रिश्ता बचा था। उसकी ना कोई मौसी थी और ना ही कोई चाचा। उसका मकसद सिर्फ भाई को खोजना था।

बेटी के पति को जब सकीना की कहानी का पता चला तो उन्होंने प्रयास शुरू किए। पाकिस्तान में यू-ट्यूब चैनल ने सकीना के पास रखे कुछ खतों की मदद से भारत के पंजाब में संपर्क साधना शुरू किया। बीते साल के अंत में सकीना की पहली बार अपने भाई से वीडियो कॉल पर बात हुई। इसके बाद सकीना और उसके भाई गुरमेल के परिवार ने करतारपुर साहिब में मिलने की योजना बनाई। करतारपुर साहिब में गुरमेल अपनी बहन से पहली बार मिला। दोनों गले मिलकर खूब रोए। दोनों एक दूसरे की आंखें पोंछ रहे थे। उनकी अब आस है कि दोनों देशों की सरकारें उन्हें वीजा दें, ताकि दोनों भाई-बहन जिंदगी के कुछ दिन एक-दूसरे के साथ गुजार सकें।

सकीना के भाई गुरमेल सिंह ग्रेवाल लुधियाना के गांव जस्सोवाल में रहते हैं। उनकी एक बेटी और पत्नी है। अब उनकी उम्र 80 साल हो चुकी है। बीते साल जब उन्हें पता चला कि उनकी कोई बहन भी है तो उनकी खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं रहा। उन्हें लगा कि शुक्र है, कोई उनका अपना भी इस दुनिया में है।

Topics: brother and sister meeting in punjabgurmail singhsakinaपंजाब समाचारPunjab Newspain of Partitionपंजाब में भाई-बहन की मुलाकातगुरमेल सिंहसकीनादेश विभाजन का दर्द
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