नूंह। कट्टरपंथी जिहादियों ने 31 जुलाई को नूंह में ब्रजमंडल जलाभिषेक यात्रा पर प्राणघातक हमला किया। पहाड़ी पर चढ़कर प्राचीन नल्हड़ महादेव मंदिर को चारों तरफ से घेर लिया और गोलियां चलाईं। प्रत्यक्षदर्शियों ने वहां के जो हालात बताए हैं वे बहुत खौफनाक हैं।
ब्रजमंडल जलाभिषेक यात्रा में शामिल और जिहादियों से बचे एक प्रत्यक्षदर्शी ने वहां के हालात के बारे में बताया। उनका वीडियो वायरल हुआ है। उन्होंने बताया कि अगर प्रशासन इस बात पर अमल नहीं करेगा तो चंद दिन बाद मुसलमानों का राज होगा और हमारी बहन-बेटियों की इज्जत हमारे सामने लूटी जाएगी। इसमें कोई भी दो राय नहीं है। वहां चारों ओर से गोलियां बरस रही थीं और प्रशासन का कोई भी व्यक्ति वहां मौजूद नहीं था। आधे घंटे में अंधेरा हो जाता, हमारा कत्लेआम होता, हमारी बहन-बेटियों की इज्जत हमारे सामने लुटती और उनको कत्ल किया जाता। वे पहाड़ पर ऊपर चढ़े थे और हम करीब छह हजार मंदिर में नीचे थे। बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग मंदिर में थे। वे चारों तरफ से फायर कर रहे थे। जब हम महिलाओं को बाहर निकालने की कोशिश करते तो वे फायरिंग तेज कर देते। वहां कम से कम तीन सौ गाड़ियों में आग लगाई गई और उन्हें पलटा गया। मैंने वहां लोगों का कत्ल होते देखा। वे फरसे से काटे जा रहे थे। लाश कहां जा रही थीं, कौन ले जा रहा था इसके बारे में नहीं पता क्योंकि हमें खुद अपनी सुरक्षा कर रहे थे। मेरी नजरों में कम से कम 50 अंदर मारे गए हैं।
ब्रजमंडल जल अभिषेक यात्रा में शामिल एक श्रद्धालु ने बताया कि सबकुछ शांतिपूर्ण चल रहा था। हमारे साथ हजारों महिलाएं थीं, बच्चे थे। जैसे ही यात्रा शुरू हुई। जैसे ही गाड़ी आगे चली तो पथराव हो गया। किसी ने कहा कि पथराव हो गया है। हमने कहा कि पथराव नहीं होगा क्योंकि तीन साल से यह यात्रा चल रही है। लेकिन जब थोड़ा आगे चला तो आग के गुबार देखे। इस पर बच्चे और महिलाएं कांप उठे। सभी साथियों को किसी तरह पीछे लाए। धीरे-धीरे सभी नल्हड़ महादेव मंदिर पहुंचे। दो किलोमीटर दूर से आग के गुबार दिख रहे थे। एक घंटे के बाद उपद्रवी मंदिर के पास आने लगे। उपद्रवियों ने गाड़ियों में आग लगानी शुरू कर दी। इसी बीच एक गोली हमारे साथी को लगी। वहां पर तीस गाड़ियों में आग लगाई। इसके बाद वे पहाड़ी पर तीनों तरफ चढ़ गए। उनके हाथों में हथियार थे। उनकी गोली मंदिर के प्रांगण में आई। करीब 500 मीटर की दूरी थी। दो साथियों को गोली लगी। वहां का मंजर खतरनाक था। अल्लाह हू अकबर के नारे लगा रहे थे। हमें लग रहा था कि हम पाकिस्तान में आ गए, हमें लग रहा था कि आज जलियांवाला बाग नरसंहार दोबारा होगा। अगर पुलिस 15 मिनट में न आती तो हालात और बुरे होते। पता नहीं क्या होता।
चश्मदीद की जुबानी।#मेवात_हिंसा pic.twitter.com/UcpMkQcUAB
— Hitesh Shankar (@hiteshshankar) August 3, 2023
एक अन्य श्रद्धालु ने बताया कि हमने देखा कि हजारों लोगों की भीड़ आ गई थी। आगजनी शुरू हो गई थी। हमने भागकर मंदिर में शरण ली। मंदिर को घेर लिया गया था। उपद्रवी पेट्रोल बम का इस्तेमाल कर रहे थे। ऐसा लग रहा था पूरा षड्यंत्र रचा गया।
शक्ति सिंह को दंगाइयों ने घेर लिया और मार डाला
भादस गांव के शक्ति सिंह नगीना में हलवाई की दुकान पर काम करके अपने घर जाने के लिए शाम को निकले। वह शोभायात्रा का हिस्सा भी नहीं थे। मुसलमानों ने उसे घर वापस जाने से पहले ही रास्ते में दबोच लिया और पीट-पीटकर मार डाला। शव को सड़क किनारे झाड़ियों में फेंक दिया। पुलिस को झाड़ियों से शक्ति का शव मिला। परिजनों ने बताया कि शक्ति सिंह घर में कमाने वाले अकेले थे। उनके 4 बच्चे हैं और नगीना में एक हलवाई की दुकान पर वह काम करते थे। रात को जब वह दुकान से वापस आ रहे थे तो गांव भादस के पास ही मुस्लिम समुदाय के दंगाइयों ने घेर लिया और जान से मार दिया। परिजन ने पूछा कि आखिर शक्ति का क्या दोष था?
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