देहरादून : आचार्य बालकृष्ण पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति के साथ महासचिव पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट, महासचिव पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन, महासचिव पतंजलि ग्रामोध्योग ट्रस्ट, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक पतंजलि आयुर्वेद हरिद्वार, मुख्य संपादक योग संदेश, प्रबंध निदेशक पतंजलि बायो अनुसंधान संस्थान, प्रबंध निदेशक वैदिक ब्रॉड कास्टिंग लिमिटेड, प्रबंध निदेशक पतंजलि फूड एंड हर्बल पार्क भी हैं। अमेरिका की स्टेन फोर्ड यूनिवर्सिटी एवं यूरोपियन पब्लिशर्स एल्सेवियर की ओर से जारी विश्व के अग्रणी वैज्ञानिकों की सूची में पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण को शामिल किया गया है। योग गुरु स्वामी रामदेव के अनुसार आचार्य बालकृष्ण ने विश्व के अग्रणी और ख्याति प्राप्त वैज्ञानिकों में स्थान प्राप्त कर बॉटनी बेस्ड मेडिसिन सिस्टम, योग, आयुर्वेद चिकित्सा और चिकित्सा के परिणामों को वैश्विक स्तर पर गौरवान्वित किया है। इनकी योजना जड़ी-बूटी पर आधारित चिकित्सीय शिक्षा का विस्तार विश्वस्तर करने की है। वह पतंजलि योगपीठ से एक भी रुपए की सैलरी नहीं लेते हैं। आचार्य बालकृष्ण प्रतिदिन सुबह 7 से रात 10 बजे तक 15 घंटे काम करते हैं और कोई छुट्टी भी नहीं लेते हैं। रविवार को भी वह काम करते हैं। बालकृष्ण हमेशा ही शुद्ध हिंदी में बाद करते हैं। उनके ऑफिस में कंप्यूटर नहीं है, वह प्रिंट आउट से पढ़ना पसंद करते हैं। बालकृष्ण का पहनावा सफेद रंग की धोती और कुर्ता है। वह पतंजलि योगपीठ के मुख्यालय की मुख्य इमारत में बने अस्पताल की पहली मंजिल पर स्थित साधारण से दफ्तर से काम करते हैं। आचार्य बालकृष्ण के जन्म दिवस को पतंजलि योगपीठ प्रति वर्ष जड़ी-बूटी दिवस के रूप में मनाता है।
आचार्य बालकृष्ण का जन्म 4 अगस्त सन 1972 को देवभूमि उत्तराखंड की देवनगरी हरिद्वार में हुआ था। उनके पिता का नाम जय बल्लभ और माता का नाम सुमित्रा देवी है। बालकृष्ण के जन्म के समय उनके पिता उत्तराखंड के हरिद्वार में एक चौकीदार के रूप में काम करते थे। बालकृष्ण के माता-पिता मूल रूप से नेपाल के रहने वाले हैं और वर्तमान समय में नेपाल स्थित अपने पुश्तैनी मकान में ही रहते हैं। बालकृष्ण ने अपना बचपन पश्चिमी नेपाल के सियांग्जा जिले में बिताया था। बालकृष्ण नेपाल में पांचवी तक की पढ़ाई करने के बाद भारत आ गए थे. उन्होंने हरियाणा राज्य में स्थित खानपुर के एक गुरूकुल में शिक्षा प्राप्त की थी. उन्होंने संस्कृत में आयुर्वेदिक औषधियों और जड़ी-बूटियों में ज्ञान अर्जित किया और इसका प्रचार-प्रसार करने लगे थे। शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने पौधों के औषधीय मूल्यों का अध्ययन करने के लिए सम्पूर्ण भारत की यात्रा की और आयुर्वेदिक औषधियों और जड़ी-बूटियों के क्षेत्र में निपुणता हासिल की थी।
गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त करते समय वह सन 1988 में बाबा रामदेव के मित्र बन गए थे और सन 1993 में उन्होंने बाबा रामदेव के साथ हिमालय की गुफाओं में रह कर साधना अध्ययन किया था तत्पश्चात बाबा रामदेव के सहयोग में उन्होंने आयुर्वेदिक दवाओं और उपचार के संगठनों को स्थापित करना शुरू कर दिया था। दोनों के अथक प्रयास और परिश्रम से हरिद्वार में “दिव्य फार्मेसी” का निर्माण साकार हुआ तत्पश्चात आचार्य बालकृष्ण और बाबा रामदेव ने मिलकर ‘पतंजलि आयुर्वेद’ की स्थापना की थी। उन्होंने पतंजलि योगपीठ के आयुर्वेद केंद्र के जरिए पारंपरिक आयुर्वेद पद्धति को आगे बढ़ाने का अहम काम किया है। पतंजलि योगपीठ देश भर में करीब 5000 पतंजलि क्लीनिक का संचालन करती है और एक लाख से ज्यादा योग कक्षाओं का संचालन करती है। पतंजलि आयुर्वेद के ब्रांड एम्बेसडर बाबा रामदेव हैं और वह ही योग के जरिए इसके उत्पादों का प्रचार-प्रसार करते हैं। उनका कथन हैं कि “कंपनी की संपत्ति किसी की निजी संपत्ति नहीं है, यह समाज और समाज सेवा के लिए है”। रामदेव और बालकृष्ण ने मिलकर हरिद्वार में “आचार्यकुलम” की स्थापना भी की है, इसके अलावा दोनों “स्वच्छ भारत” कार्यक्रम से भी जुड़े हैं।
आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार के साथ-साथ आचार्य बालकृष्ण ने लोगों को योग के प्रति जागरुक करने का काम किया। वह वेद, आयुर्वेद, संस्कृत भाषा, सख्य योग, पाणिनि, उपनिषद और भारतीय दर्शन के प्रकाण्ड विद्वान हैं। उन्होंने योग और आयुर्वेद पर लगभग 41 शोध पत्र लिखे हैं। सभी शोधपत्र योग, आयुर्वेद और चिकित्सा से संबन्धित हैं। आचार्य बालकृष्ण ने आयुर्वेद से संबंधित कुछ पुस्तकों आयुर्वेद सिद्धान्त रहस्य, आयुर्वेद जड़ी-बूटी रहस्य, भोजन कौतुहलम्, आयुर्वेद महोदधि, अजीर्णामृत मंजरी, विचार क्रांति नेपाली ग्रंथ आदि की भी रचना की है। वह ‘योग संदेश’ नामक पत्रिका के मुख्य संपादक भी हैं। वर्तमान में वह उसी गुरुकुल के कुलाधिपति हैं, जहां से उन्होंने अध्ययन किया था। उनका लक्ष्य स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाना है। वह पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति भी हैं। पतंजलि विश्वविद्यालय योग, कंप्यूटर विज्ञान, आयुर्वेद, पंचकर्म और पीएचडी में विभिन्न डिग्री और डिप्लोमा प्रदान करता है।
आचार्य बालकृष्ण को योग, प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूएनएसडीजी ने विश्व के 10 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया है। उन्हें जेनेवा में यूएनएसडीजी हेल्थकेयर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। प्राइमरी हेल्थ केयर, नॉन कम्युनिकेबल डिजीज कंट्रोल और डिजिटल हेल्थ को बढ़ाने देने के लिए बड़े पैमाने पर वित्त पोषण करना यूएनएसडीजी का लक्ष्य है। बालकृष्ण ने भारतीय चिकित्सा पद्धति योग व आयुर्वेद को सम्पूर्ण विश्व में फिर से स्थापित किया है। आचार्य बालकृष्ण को योग और आयुर्वेद के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए दुनिया भर की विभिन्न सरकारों द्वारा 13 प्रशंसापत्र, प्रमाण पत्र व अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया हैं। 23 अक्टूबर सन 2004 को योग शिविर के दौरान राष्ट्रपति भवन में भारत के पूर्व राष्ट्रपति डा.अब्दुल कलाम के द्वारा सम्मान दिया गया था। अक्टूबर सन 2007 में नेपाल के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और कैबिनेट मंत्रियों की उपस्थिति में योग, आयुर्वेद, संस्कृति और हिमालयी जड़ी–बूटी के छिपे ज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए उनके योगदान के लिए उन्हें सम्मान प्रदान किया गया। सन 2012 में योग और औषधीय पौधों के क्षेत्र में शानदार योगदान के लिए वीरंजनया फाउंडेशन द्वारा “सुजाना श्री” पुरस्कार प्रदान किया गया था। अन्य सम्मान, पुरस्कार ब्लूमबर्ग स्पेशल रिकॉग्निशन पुरस्कार, कनाडा इंडियन नेटवर्क सोसाइटी द्वारा सम्मान, भारत गौरव पुरस्कार इत्यादि भी प्रदान किए गए हैं।
पतंजलि योगपीठ आज दुनियाभर में अपनी पहचान बना चुकी है। पतंजलि योगपीठ के उत्पाद आज दुनियाभर में अपनी पहचान और पकड़ बना चुके हैं। आयुर्वेद से जुड़ी पतंजलि योगपीठ की सफलता इतनी व्यापक है कि उससे मुकाबला करने में आज न सिर्फ भारतीय कंपनियों बल्कि विदेशी मल्टीनेशनल कंपनियों के भी पसीने छूट रहे हैं। हरिद्वार में दिव्य फार्मेसी के रूप में शुरू किए गए पतंजलि ग्रुप के प्रमुख आचार्य बालकृष्ण को फोर्ब्स की रईसों की सूची में भी शामिल किया गया है।
रिपोर्ट- संकलन पंकज चौहान
टिप्पणियाँ