देहरादून। हरियाणा के मेवात जिले की तरह देहरादून के पछुआ यानि पश्चिम क्षेत्र विकासनगर परगने में भी कट्टर मुस्लिम संगठनों की सक्रियता भविष्य के लिए चिंता पैदा करने के लिए काफी है। मस्जिद-मदरसों की बढ़ती संख्या और वहां चल रही जमीयत की गतिविधियां शासन प्रशासन के लिए सिरदर्द बन रही हैं।
हिमाचल, यूपी और हरियाणा के साथ लगे उत्तराखंड के पछुवा देहरादून इलाके में मुस्लिम आबादी असामान्य तरीके से बढ़ रही है और कट्टर मुस्लिम संगठनों की सक्रियता कहीं नूंह या मेवात जैसे हालात न पैदा कर दें।
कांवड़ यात्रा के दौरान पथराव, नाबालिग लड़कियों के साथ मुस्लिम युवकों की हरकतों के मामलो में जिस तरह से मुस्लिम सेवा संगठनों और मुस्लिम युवकों ने इस्लामिक मजहबी नारे लगाए उससे ये बात कही जा रही है कि यहां अब मुस्लिम कट्टरपंथी अपना स्थान बना रहे हैं। हिंदू यहां अल्पसंख्यक हो रहे हैं।
पछुवा देहरादून विकास नगर परगना क्षेत्र के गांव उत्तराखंड बनते वक्त हिंदू बहुल थे जोकि अब मुस्लिम बहुल हो गए हैं। यहां ढकरानी, सहसपुर हरबर्टपुर रामपुर मंडी सेलाकोई जैसे बड़े-बड़े गांवों में मुस्लिम समुदाय का राजनीतिक, सामाजिक और मजहबी वर्चस्व हो चुका है। ये मुस्लिम जनप्रतिनिधि बनकर अपने मजहब के लोगों को यूपी से लाकर यहां ग्राम समाज की भूमि, वन भूमि, नदी श्रेणी की भूमि और अन्य सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे करवा कर बसा रहे हैं, जिनकी जांच हुई तो उसके प्रमाण जिला प्रशासन और विकास नगर प्रशासन को भी मिले हैं। फर्जी दस्तावेजों से आधारकार्ड बना कर इन्हें सरकारी जमीनों पर कब्जे दिलाए जा रहे हैं।
ये वही क्षेत्र हैं, जहां से मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाए जाने की मांग उठी थी। जानकारी के मुताबिक कांग्रेस के शासनकाल में यहां की डेमोग्राफी ही बदल गई है। यहां के विधायकों, ब्लाक प्रमुखों के कार्यकाल में मुस्लिम तुष्टिकरण, वोट बैंक की राजनीति ने यहां मुस्लिम आबादी को बढ़ने दिया और अब हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। खनन, भू संपत्ति कब्जाने, ड्रग्स और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों में लगे मुस्लिम युवाओं को राजनीतिक संरक्षण बेखौफ मिल रहा है।
पछुवा देहरादून के 28 गांव ऐसे है जो 2011 तक हिंदू बहुल थे और अब मुस्लिम बहुल हो चुके हैं। इनमें ढकरानी, ढालीपुर, कुंजा, कुँजा ग्रंट, कुल्हाल, धर्मावाला, तिमली, बैरागीवाला, जमनीपुर, केदारा वाला, बुलाकीवाला, मेहूवाला खालसा, जीवनगढ़, नवाब गढ़, जसोवाला, माजरी, आमवाला पौंधा, जाटों वाला, सभावाला, कल्याणपुर हसनपुर, शेरपुर, सिंहनीवाला, शीश मबाडा, खुशहालपुर, ढाकी, सहसपुर, लक्ष्मी पुर, रामपुर कलां, शंकर पुर शामिल हैं।
इनमें ढकरानी का एक उदाहरण ले तो 1991 में यहां हिंदू आबादी 80 फीसदी थी और 20 प्रतिशत मुस्लिम आबादी थी, 2023 में यहां 60 फीसदी मुस्लिम और 40 प्रतिशत हिंदू और अन्य की बसावट हो गई है। जो हिंदू नाम के गांव थे और वहां हिंदू ही ज्यादा रहते थे जैसे शंकरपुर, लक्ष्मी पुर, रामपुर ये अब मुस्लिम बहुल गांव हैं।
इन 28 गांवों के अलावा मुख्य शिमला बाई पास मार्ग, आसन बैराज मार्ग के दोनों तरफ सरकारी जमीनों पर मुस्लिम आबादी ने अवैध कब्जे कर रखे हैं। अमलावा ,नौरा, जमुना, कालसी, टोंस आदि नदियों के किनारे जमीनों पर मुस्लिमो के अवैध कब्जे चिन्हित हुए हैं। मानसिक अस्पताल, फ्लाईओवर के नीचे की सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे करने वाले सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बिजनौर आदि जिलों से आए मुस्लिम लोगों ने स्थानीय जन प्रतिनिधियों के संरक्षण में कब्जे किए हैं। जनप्रतिनिधियों का नाम इसलिए लिया जा रहा है क्योंकि इनके ग्राम प्रधानों ने ग्राम समाज की भूमि पर अवैध रूप से बसावट करवाई है। इनमे से दो ग्राम प्रधानों की प्रशासनिक जांच भी चल रही है।
100 से ज्यादा मस्जिद, 46 मदरसे
पछुवा देहरादून में सौ से ज्यादा मस्जिदें, 46 मदरसे पिछले कुछ सालों में खड़े हो गए हैं। इनकी न तो प्रशासन से अनुमति है और न ही प्रशासन ने इन्हें रोकने के लिए कोई जरूरी कदम उठाए हैं। जबकि सुप्रीम कोर्ट के ये आदेश हैं कि 2009 के बाद बिना जिलाधिकारी के कोई भी नया धार्मिक स्थल नहीं बनाया जा सकता और यदि किसी पुराने की मरम्मत भी होगी तो भी उसके लिए अनुमति आवश्यक है। लेकिन यहां बिना किसी रोक-टोक के आलीशान इमारतें, मस्जिद और मदरसों की बनाई जा रही हैं।
सड़क पर लगाए गए जिहादी नारे
यहां इस्लामिक कट्टरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मस्जिदों में परिवार रजिस्टर रखे हुए हैं, जिनमें जुमे के दिन आने वालों की हाजिरी लगाई जाती है और जो नहीं आया तो उसकी पूछताछ की जाती है। पिछले दिनों लव जिहाद की घटनाओं में जिस तरह से यहां के मुस्लिम जिहादियों की तरह पेश आए उसे देख पुलिस महकमा भी अचंभित था। खुलेआम पुलिस के अधिकारियों के सम्मुख रॉड तलवार डंडे लेकर मस्जिद में और बाहर सड़क पर जिहादी नारे लगाए गए। इसके बाद निकल रही कांवड़ यात्रा में पत्थर फेंके गए। पुलिस ने अपनी जांच पड़ताल मे राशिद कबाड़ी और उसके गिरोह की संलिप्तता पाई। यहां मुस्लिम सेवा संगठन ने अपनी जड़ें जमा ली हैं। बरहाल पछुवा देहरादून में मेवात की तरह हालात बन रहे हैं, जिसे लेकर हिंदू संगठन बार-बार पुलिस प्रशासन को भी चेता रहे हैं कि यहां अवैध रूप से बसे लोगों को तुरंत हटाया जाए, नहीं तो शासन-प्रशासन को पछताना न पड़े।
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