चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उनकी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के बीच दूर से भले सब सुहाना दिख रहा हो, लेकिन अंदरखाने हालात कुछ ठीक नहीं दिख रहे हैं। चीन के अनेक विश्लेषकों को वहां के वातावरण में कुछ तनाव होने की गंध आ रही है। हाल ही में चौंकाने वाली दो चीजें हुई हैं। एक, चीनी सेना की ताकतवर रॉकेट यूनिट के वरिष्ठ अधिकारी की मौत होना, और दो, उसके फौरन बाद, उसी इकाई के कमांडरों का लापता होना। और इससे भी बढ़कर जिस तरह चीन के निवर्तमान विदेश मंत्री देखते देखते नजरों से ओझल हुए हैं। इन सब घटनाक्रमों से आभास हो रहा है कि शी जिनपिंग और पीएलए में शायद दरार पढ़ रही है। कुछ विशेषज्ञों को तो यहां तक अंदेशा है कि चीन की सेना बगावत न कर दे।
हैरानी की बात है कि ये तमाम घटनाएं गत माह ऐसे मौके पर हुई हैं जब चीन के आजकल निकट माने जा रहे देश रूस में वैगनर ग्रुप ने राष्ट्रपति पुतिन के विरुद्ध विद्रोह की नाकाम कोशिश की थी। इधर चीन में भी कुछ ऐसी ही घटनाओं के बाद राष्ट्रपति जिनपिंग ने परिस्थितियों को अपने हाथ में लिया है। शी जिनपिंग ने रॉकेट यूनिट में एक नए अध्यक्ष को नियुक्त किया है। ऐसी अन्य कई बातें भी हैं जिनको देखते हुए लगता है चीन की सेना में अंदरखाने काफी उठापटक चल रही है।
चीन की सेना पीएलओ के अनेक वरिष्ठ कमांडरों को हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ की जा रही है। रॉकेट यूनिट की भी जांच चल रही है। चीनी सेना के वर्तमान परिदृश्य पर भारत के एक रक्षा विशेषज्ञ का कहना है कि ये घटनाक्रम इशारा करते हैं कि चीनी सेना में अंदरखाने कुछ बड़ी उठापटक चल रही है।
सूत्रों के अनुसार, भारत की गुप्तचर एजेंसियां चीन में जो कुछ चल रहा है उस पर नजदीकी नजर बनाए हुए हैं। भारत की एजेंसियों के अनुसार, पीएलए की रॉकेट यूनिट में उप कमांडर वू गुओहुआ की गत 4 जुलाई को जिन परिस्थितियों में मौत हुई उससे अनेक लोगों के मन में संदेह पैदा हुआ था। लेकिन वू की मृत्यु पर सेना ने चुप्पी ओढ़ ली। किसी को भी यह नहीं बताया गया कि आखिर वू की मौत कैसे हुई। यह चीज पीएलए की रॉकेट यूनिट में किसी तनाव की तरफ इशारा करती है।
बताया जाता है कि पीएलए की यह यूनिट ऐसी मिसाइलों पर नियंत्रण रखती है जो रणनीतिक तथा सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हैं। इनमें परमाणु मिसाइलें भी हैं। सूत्रों के अनुसार, चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग 2028 तक 1000 इंटरकोंटिनेंल मिसाइलें तैयार करना चाहते हैं। हैरानी की बात है कि वू के मरने के बाद उनके वरिष्ठ अधिकारी तथा पीएलए की रॉकेट यूनिट के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल ली यूचाओ भी जून में हुए प्रोन्नति कार्यक्रम से ही लापता हैं। बहुत से लोगों को मानना है कि उनके साथ गुप्त पूछताछ चल रही है।
एक चर्चा यह भी है कि ली यूचाओ को गिरफ्तार करके पूछताछ की जा रही है। चीन के निवर्तमान विदेश मंत्री किन गांग भी लगभग उसी समय लापता हुए थे, इससे अटकलों का बाजार गर्म है। बहुत से लोगों को लगता है कि रॉकेट यूनिट में तनाव तथा चीन के विदेश मंत्री, इन दोनों के बीच कोई संबंध तो है। पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल याओ चेंग के अनुसार, रॉकेट यूनिट के मौजूदा कमांडर को उनके दफ्तर से ले जाया जा चुका है। एक समाचार यह भी है कि ली यूचाओ के अमेरिका में पढ़ रहे बेटे ने शायद चीनी सेना के राज बेचें हैं।
इतना ही नहीं, चीन की सेना पीएलओ के अनेक वरिष्ठ कमांडरों को हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ की जा रही है। रॉकेट यूनिट की भी जांच चल रही है। चीनी सेना के वर्तमान परिदृश्य पर भारत के एक रक्षा विशेषज्ञ का कहना है कि ये घटनाक्रम इशारा करते हैं कि चीनी सेना में अंदरखाने कुछ बड़ी उठापटक चल रही है। ऐसी अफवाहें हैं कि पीएलए चीन के वरिष्ठ नेताओं के विरुद्ध बगावत का झंडा उठा सकती है।
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