बिहार में जातीय जनगणना को लेकर पटना हाई कोर्ट ने आज सुनवाई को दौरान बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने जातीय जनगणना के खिलाफ दायर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इन याचिकाओं में सरकार द्वारा जाति सर्वेक्षण कराने को चुनौती दी गई थी। फिलहाल बिहार में जातीय सर्वेक्षण चलता रहेगा।
दरअसल, राज्य सरकार के जातिगत जनगणना कराने के फैसले के खिलाफ कोर्ट में 6 याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिनमें मांग की गई थी कि जातिगत जनगणना पर रोक लगाई जाए। कोर्ट में राज्य सरकार की तरफ से कहा गया था कि सरकारी योजनाओं का फायदा लेने के लिए सभी अपनी जाति बताने को आतुर रहते हैं।
सरकार ने निकाय एवं पंचायत चुनावों में पिछड़ी जातियों को कोई आरक्षण नहीं दिए जाने का हवाला देते हुए कहा कि पिछड़ा वर्ग को 20%, एससी को 16 और एसटी को एक फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है। अभी भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक 50 फीसदी आरक्षण दिया जा सकता है। सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि राज्य सरकार नगर निकाय और पंचायत चुनाव में 13 प्रतिशत और आरक्षण दे सकती है। इसलिए जातीय गणना जरूरी है।
बता दें कि इस मामले में 3 जुलाई से 7 जुलाई तक पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस पार्थ सार्थी की बेंच ने दलीलें सुनी थी। उसके बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब करीब 25 दिन बाद इस मामले में हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है। इधर याचिका खारिज होने पर एक याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि अब हम सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे।
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