मदनदास जी ने रा.स्व.संघ के निस्पृह कार्यकर्ता के नाते अनेक दायित्वों को निभाया। वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) के राष्ट्रीय संगठन मंत्री लंबे समय तक रहे। इसके बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह का भी दायित्व निभाया।
गत 24 जुलाई की प्रात: 5 बजे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री मदनदास परलोक गमन कर गए। वे पिछले काफी समय से अस्वस्थ थे। बेंगलुरु के राष्ट्रोत्थान अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। वहीं उन्होंने अंतिम सांस ली। वे 81 वर्ष के थे। मदनदास जी ने रा.स्व.संघ के निस्पृह कार्यकर्ता के नाते अनेक दायित्वों को निभाया। वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) के राष्ट्रीय संगठन मंत्री लंबे समय तक रहे। इसके बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह का भी दायित्व निभाया।
मदनदास जी का जन्म 9 जुलाई, 1942 को गांव-करमाला, जिला-सोलापुर (महाराष्ट्र) में हुआ था। विद्यालयीन शिक्षा के बाद उच्च शिक्षा के लिए पुणे के प्रसिद्ध बी.एम.सी.सी. कॉलेज में 1959 में प्रवेश लिया। एम.कॉम. करने बाद उन्होंने आई.एल.एस. लॉ कॉलेज से एल.एल.बी. की उपाधि स्वर्ण पदक के साथ ली। पुणे में पढ़ाई के दौरान ही श्री मदनदास संघ के साथ जुड़े। 1964 में उन्होंने मुंबई में अभाविप का कार्य करना प्रारंभ किया। दो वर्ष बाद यानी 1966 में वे अभाविप, मुंबई के मंत्री बने। इस नाते उन्होंने अभाविप का कार्य-विस्तार किया। यही कारण रहा कि कर्णावती में 1968 में आयोजित अभाविप के राष्ट्रीय अधिवेशन में मदनदास जी का दायित्व बढ़ा दिया गया। उन्हें अभाविप के पूर्णकालिक कार्यकर्ता के साथ ही
पश्चिमांचल क्षेत्र के संगठन मंत्री का दायित्व दिया गया। दो वर्ष बाद ही 1970 में तिरुअनंतपुरम के अधिवेशन में उन्होंने राष्ट्रीय संगठन मंत्री का गुरुतर दायित्व संभाला। इस दायित्व को उन्होंने 22 वर्ष यानी 1992 तक निभाया। इस दौरान उन्होंने कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर अभाविप को देशव्यापी बना दिया। इसके बाद उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह-प्रचारक प्रमुख और फिर 1994 में सह-सरकार्यवाह का दायित्व दिया गया। मदनदास जी की सबसे बड़ी विशेषता थी कि उनके बहुत जल्दी ही कार्यकर्ताओं के साथ आत्मीय संबंध बन जाते थे।
25 जुलाई की सुबह स्व. मदनदास जी का पार्थिव शरीर पुणे लाया गया। मोतीबाग स्थित संघ कार्यालय में उनके अंतिम दर्शन हेतु सैकड़ों कार्यकर्ताओं का तांता लगा रहा। बड़ी संख्या में स्वयंसेवकों और अन्य कार्यकर्ताओं ने उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर मदनदास जी के भाई खुशालदास देवी, बहन और परिवार के अन्य सदस्य उपस्थित थे। इसके बाद वैकुंठ श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनके भतीजे राधेश्याम देवी ने मुखाग्नि दी।
पुणे में पढ़ाई के दौरान ही श्री मदनदास संघ के साथ जुड़े। 1964 में उन्होंने मुंबई में अभाविप का कार्य करना प्रारंभ किया। दो वर्ष बाद यानी 1966 में वे अभाविप, मुंबई के मंत्री बने। इस नाते उन्होंने अभाविप का कार्य-विस्तार किया। यही कारण रहा कि कर्णावती में 1968 में आयोजित अभाविप के राष्ट्रीय अधिवेशन में मदनदास जी का दायित्व बढ़ा दिया गया। उन्हें अभाविप के पूर्णकालिक कार्यकर्ता के साथ हीपश्चिमांचल क्षेत्र के संगठन मंत्री का दायित्व दिया गया।
स्व. मदनदास जी को श्रद्धांजलि देने वालों में प्रमुख थे- संघचालक श्री मोहनराव भागवत, सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले, राष्ट्रीय कार्य कार्यकारिणी के सदस्य श्री सुरेश सोनी, श्री अनिरुद्ध देशपांडे, प्रांत संघचालक श्री नानासाहेब जाधव, केंद्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जे. पी. नड्डा, महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस, बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी, चंद्रकांत दादा पाटील, महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले, जिलाधिकारी डॉ. राजेश देशमुख, नगर निगम आयुक्त विक्रम कुमार, पुलिस आयुक्त रितेश कुमार, सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुरेश गोसावी आदि।
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