देहरादून। वन्य जीवों के संसार से जुड़ा बड़ा शुभ संकेत ये सामने आया है कि देश में बाघों की संख्या लगातार बढ़ रही है। विश्व बाघ दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने राज्यवार गणना 2022 के आंकड़े जारी कर दिए हैं। इसमें देश के अंदर बाघों की संख्या अब 3167 दर्ज की गई है, जो कि 2018 की गणना के मुकाबले 200 ज्यादा है। बाघों की संख्या के मामले में टॉप-3 राज्यों में मध्यप्रदेश, कर्नाटक, उत्तराखंड हैं। उत्तराखंड में बाघों की संख्या 560 रिपोर्ट की गई है, जो कि पिछली बार के मुकाबले 118 अधिक है। वर्तमान में भारत में दुनिया की लगभग 75 प्रतिशत जंगली बाघ हैं।
देश में बाघों की गणना हर चार साल बाद की जाती है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण सभी राज्यों के वन विभाग, भारतीय वन्यजीव संस्थान और एनजीओ के साथ मिलकर यह काम करता है। बाघों की गणना ज़मीनी- सर्वेक्षण, कैमरा फुटेज के जरिए नमूना पद्धति का उपयोग करके की जाती है। ताजा आंकड़ों में मध्य प्रदेश के अंदर देश में सबसे ज्यादा 785 बाघ मौजूद हैं, जहां 2018 में टाइगर संख्या 526 थी। दूसरे स्थान पर कर्नाटक है, जहां इस बार 563 बाघ पाए गए हैं। पिछली बार कर्नाटक में बाघों की आबादी 524 थी। उत्तराखंड में बाघों की संख्या पिछली बार की अपेक्षा 442 से बढ़कर 560 हो गई है। 444 बाघ संख्या के साथ महाराष्ट्र का स्थाना चौथा है।
केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने शनिवार को बाघ गणना 2022 के राज्यवार आंकड़े जारी करते हुए बाघों की बढ़ोत्तरी पर खुशी जताई है। उत्तराखंड के कॉर्बेट नेशनल पार्क में आयोजित ग्लोबल टाइगर डे के कार्यक्रम के दौरान अपडेट रिपोर्ट सामने रखी गई है। टाइगर स्टेट का दर्जा एक बार मध्य प्रदेश के हिस्से में आया है। उत्तराखंड की बात करें तो पिछली बार कार्बेट पार्क में 252 बाघ रिपोर्ट हुए थे जबकि पश्चिम वृत्त के अधीन आने वाले रामनगर, हल्द्वानी, तराई पश्चिमी, तराई केंद्रीय और तराई पूर्वी वन प्रभाग में 140 से अधिक बाघ मिले थे। राजाजी नेशनल पार्क से लेकर चंपावत और नैनीताल वन प्रभाग में बाघ मिले थे। इस बार भी भीमताल जैसे इलाकों में बाघ का मूवमेंट मिला है। उम्मीद की जा रही है कि उत्तराखंड बाघों की संख्या के मामले में आगे और सुधार के साथ कर्नाटक को पीछे छोड़ सकता है, जहां अभी यहां के मुकाबले तीन बाघ ज्यादा पाए गए हैं।
पीएम नरेन्द्र मोदी पहले ही यह बात कह चुके हैं कि देश में बाघों के संरक्षण और उनकी सुरक्षा में प्रोजेक्ट टाइगर ने अग्रणी भूमिका निभाई है। प्रकृति की रक्षा, भारतीय संस्कृति का हिस्सा है। प्रोजेक्ट टाइगर की सफलता ना सिर्फ भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए गर्व का विषय है। भारत ने आजादी के 75 साल पूरे कर लिए हैं और उसी समय दुनिया के 75 प्रतिशत बाघ भारत में निवास करते हैं। दुनिया में एशियाई शेरों का इकलौता घर भारत है। भारत में दशकों पहले चीते विलुप्त हो गए थे लेकिन हम चीतों को दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से लेकर आए और चीतों को एक देश से दूसरे देश में लाकर बसाने में हमें सफलता मिली है।
विस्तृत आंकड़ों में देखें बाघ गणना 2022
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