सीरिया जैसे इस्लामी देश में दस साल से भी ज्यादा वक्त से चले आ रहे गृह युद्ध के बीच धीरे धीरे एक सकारात्मक आयाम देखने में आया है। युद्ध से बर्बाद सीरिया में एक बदलाव हो रहा है, लोगों में फिर से उम्मीदें जगने लगी हैं। और इसके पीछे है भारतीय संस्कृति और योग। युद्ध से टूट चुके लोगों को अब योग समाज जीवन में एक बदलाव ला रहा है। वहां की सरकार हिन्दू धर्म के मर्म के प्रसार पर रोक नहीं लगा रही है और यह ऐसी बात है जिसने सीरिया को अब नई स्फूर्ति देनी शुरू की है।
अनेक वर्षों से चले आ रहे गृहयुद्ध से त्रस्त हो चुके सीरियावासी जैसे अपना सब कुछ गंवा बैठे हैं। वहां न कारोबार बचा है, न ही रोजगार के कुछ खास साधन। मायूसी अंदर तक पैठ चुकी है। इस देश के लोगों को लगता है जैसे उनका सब कुछ छीन लिया गया है। पैसे की तंगी और शारीरिक बदहाली के साथ ही उनके दिल टुट चुके हैं।
ऐसी संकट की घड़ी में भारत की संस्कृति में रचा—बसा योग उनको सहारा दे रहा है। इस बारे में ब्रिटेन से प्रकाशित होने वाली पत्रिका ‘इकोनॉमिस्ट’ में एक विस्तृत रिपोर्ट छपी है। इसमें लिखा है कि सीरिया में आज खुले मैदानों, जंगलों, खेल स्टेडियमों में हर उम्र के लोग, बच्चे से बुजुर्ग तक योग करते दिख रहे हैं। सूर्य नमस्कार किए जा रहे हैं। इससे लोगों की मानसिक शांति धीरे धीरे लौट रही है।
दिलचस्प बात है कि सीरिया में योग प्रशिक्षक भगवा वेष पहनकर योग प्रशिक्षण दे रहे हैं। ऐसी ही सीरिया के एक योग शिक्षक ने पत्रिका को बताया है कि योग के जरिए वे लोगों को तमाम तरह के तनाव से छुटकारा दिलाने में मदद कर रहे हैं। सीरिया से आज से करीब 20 साल पहले माजेन ईसा नाम का योग प्रेमी भारत की तीर्थनगरी ऋषिकेश से योग सीखकर लौटा था। सीरिया वापस लौटने पर उसने अपने देश में भी एक योग केन्द्र शुरू किया। उस इस्लामी देश में आज बहुत बड़ी संख्या में ध्यान केंद्र चल रहे हैं जहां ध्यान साधना का नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है।
एक और मजेदार बात यह है कि सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद भी ईसा का समर्थन करते हैं। इस वजह से भी उनके योग केन्द्र की अच्छी—खासी पहुंच बनी है। सीरिया में 50 से ज्यादा साल से असद के परिवार ने ही शासन संभाला हुआ है। यहां सुन्नी मुस्लिम आबादी है। असद ने सीरिया में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए पांथिक अल्पसंख्यकों को अपने पंथ के प्रसार की सुविधा दी हुई है। इसमें शिया मुस्लिम और दूसरे कई फिरकों की मान्यताएं भी शामिल
पिछले कुछ समय से असद अनेक मतों को यह सहूलियत दे रहे हैं कि वे इस देश में फल—फूल सकते हैं। हिन्दू धर्म की योग शिक्षा को भी इसी तरह बढ़ावा देने का काम किया गया है। एंजिल मत के ईसाई भी अपने लिए घरों में चर्च बना सकते हैं। इन चर्चों में कन्वर्टिड मुस्लिम भी जा सकते हैं। राष्ट्रपति असद ने मूलत: सीरियाई यहूदियों को राजधानी दमिश्क में घूमने आने दिया था। ईसाई मत को मानने वाले असद के मित्र ऐयमन अब्देलनूर कहते हैं कि असद को लगता है कि ऐसा करने से अल्पसंख्यक वर्ग के लोग उनकी सत्ता को विस्तृत करने में मदद करेंगे और दुनिया के साथ मिल—बैठ सकेंगे। अभी सीरिया का वैश्विक दायरा बहुत सीमित है।
सीरिया में योग प्रशिक्षक भगवा वेष पहनकर योग प्रशिक्षण दे रहे हैं। ऐसी ही सीरिया के एक योग शिक्षक ने पत्रिका को बताया है कि योग के जरिए वे लोगों को तमाम तरह के तनाव से छुटकारा दिलाने में मदद कर रहे हैं। सीरिया से आज से करीब 20 साल पहले माजेन ईसा नाम का योग प्रेमी भारत की तीर्थनगरी ऋषिकेश से योग सीखकर लौटा था। सीरिया वापस लौटने पर उसने अपने देश में भी एक योग केन्द्र शुरू किया।
पत्रिका इकोनॉमिस्ट लिखती है कि युद्धग्रस्त सीरिया को पांथिक तरीके से सुकून देने की इस कोशिश में योग एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। सीरिया में 12 वर्ष से ज्यादा समय से जारी गृहयुद्ध में अब तक लगभग साढ़े तीन लाख से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। बहुत बड़ी तादाद में यहां के लोग पलायन कर चुके हैं। वहां आज जितनी भी आबादी है उसमें 90 प्रतिशत लोग गरीबी झेल रहे हैं। वहां सरकार के विरुद्ध आवाज उठाने की छूट न के बराबर रही है।
सीरिया में समंदर किनारे बसे लताकिया शहर में चल रहे योग और ध्यान केंद्र में 2011 के मुकाबले आज चार गुना ज्यादा योग प्रेमी हैं। देश के खेल मंत्रालय ने भी स्थानीय मैदान योग के लिए उपलब्ध कराकर इसके प्रचार—प्रसार में मदद की है।
इस बदलाव की वजह से आज अरब के देश असद से दूरी कम कर रहे हैं। असद को लगता है उनका ये पंथों के लिए ‘बड़ा दिल’ रखना उनके प्रति शेष दुनिया की दृष्टि में सकारात्मक बदलाव लाएगा।
इकोनॉमिस्ट पत्रिका में छपा है कि सीरिया में पंथों को दी जा रही यह छूट गृहयुद्ध से बर्बाद हुए से तबाह हुए देश में सांप्रदायिक राहत देने वाले माने जा रहे हैं। एक अंदाजे के अनुसार गृहयुद्ध में पिछीले करीब 12 साल में लगभग साढ़े तीन लाख से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। बड़ी संख्या में लोग वहां से दूसरे देशों में जा बसे हैं। आज जितनी भी आबादी उस देश में है, उसमें से 90 प्रतिशत लोग गरीबी में पिस रहे हैं। सीरिया में समंदर किनारे बसे लताकिया शहर में चल रहे योग और ध्यान केंद्र में 2011 के बाद से अब तक योग प्रेमियों की संख्या चार गुना बढ़ चुकी है। सीरिया के खेल मंत्रालय ने अपनी तरफ से मदद करते हुए योग के लिए अपने खेल के मैदान उपलब्ध कराए हुए हैं।
आज अरब जगत में असद से नजदीकी बढ़ाई जा रही है। मगर उन्हें उम्मीद है कि विभिन्न पंथों के प्रति उनका ये ‘बड़ा दिल’ रखना उन्हें शेष दुनिया के भी नजदीक लाएगा। इसी योग की वजह से उनके भारत के साथ मधुर रिश्ते बनाने में बहुत मदद मिली है। वे मानते हैं कि यहूदियों को सहूलियत देकर उनके अमेरिका और इस्राएल से भी बेहतर संबंध बन सकते हैं। ऑस्ट्रेलिया के बिशप पिछले दिनों सीरिया गए थे। उन्होंने दुनिया के तमाम नेताओं से अपील की है कि सीरिया से प्रतिबंध हटा लें जिससे कि उस देश में तरक्की हो सके।
इसमें संदेह नहीं कि भारतीय धर्म, संस्कृति ने दुनिया भर में अपना एक गौरवशाली स्थान बनाया है। लोग इसकी तरफ आकर्षित होकर इसे अपना रहे हैं और ध्यान तथा योग साधना से आत्मिक शांति पा रहे हैं।
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