नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने शुक्रवार को पूर्व राज्यसभा सदस्य बलबीर पुंज द्वारा लिखित पुस्तक नैरेटिव का मायाजाल का लोकार्पण किया। इस मौके पर केरल के राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद खान भी मौजूद थे। सरकार्यवाह ने कहा कि देश में औपनिवेशिक मानसिकता को तोड़कर नए नैरेटिव तैयार करने की आवश्यकता है। अंग्रेजों की गुलामी की मानसिकता से ग्रसित नैरेटिव आज भी चले आ रहे हैं, इसके खिलाफ सघन वैचारिक अभियान चलाने की आवश्यकता है। इन विषयों पर एक नए तरीके से सोचना, समझना आवश्यक है। सत्य की सत्यार्थ के लिए हमे तैयार रहना चाहिए।
दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि बलबीर पुंज ने अपनी पुस्तक के माध्यम से धर्म, इंजीनियरिंग, कानून, प्रशासन सहित कई क्षेत्रों के नैरेटिव को सही दिशा देने के लिए एक बौद्धिक विमर्श की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठाया है। सत्य की खोज करना भारत की परंपरा रही है लेकिन भारत शब्द संस्कृति का होने के कारण अंग्रेजी के शब्द का प्रयोग करना पड़ रहा है। संस्कृति को ब्राह्मणों की भाषा बताकर इससे पीछे रखा गया। आजादी मिलने के 75 सालों बाद भी यही नैरेटिव चलता रहा। संस्कृत को हटाने के प्रयास चलते रहे लेकिन अब इसे बदलने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्य है कि सुशिक्षित कहलाने वाले लोग सब भूल गए हैं कि हम कितने प्रयोगशीलता, बौद्धिक से पूर्ण रहे हैं। हमें अपने बारे में ही घृणा हो गई है। हमने गुलामी के दौर को इस तरह स्वीकार कर लिया कि देश के स्वतंत्रता के बाद भी इससे निकल नहीं पाए और अपने आप को हीन दिखाने में जुट गए। सभी जगह सनातन हिंदू धर्म के बारे में दुष्प्रचार करते रहे। धर्म की बात सिर्फ यह कह कर नहीं करना है कि देश सेक्युलर राष्ट्र है इस नैरेटिव को भी तोड़ने की भी सख्त जरुरत है।
इस मौके पर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि मैं कौन हूं, को जानने की सनातन परंपरा ने सभी पर गहरी छाप छोड़ी है। नवीनतम पुस्तक फिल्मों में ब्राह्मण संस्कृति के गलत प्रस्तुतीकरण पहलुओं पर एक नया दृष्टिकोण प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि इस किताब में इतिहास में हिंदू धर्म के सामने आने वाली चुनौतियों पर एक सूक्ष्म दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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