ब्रिटिश अखबार डेलीमेल के हवाले से यूके में शरण लेने वाले भारतीयों को लेकर एक बहुत ही चौंकाने वाला समाचार आया है। यूके में आने वाले अवैध प्रवासियों को लेकर यह खुलासा हुआ है कि ब्रिटेन में कई वकील हैं जो अवैध प्रवासियों को यह झूठा दावा करने के लिए बोल रहे हैं कि यदि उन्हें वहां की नागरिकता चाहिए तो उन्हें स्वयं को खालिस्तानी समर्थक कहना होगा।
यह ध्यान देने वाली बात है कि सिखों के लिए अलग देश “खालिस्तान” का दावा करने वाले लोग ब्रिटेन में बढ़ रहे हैं और इसे लेकर कई रिपोर्ट्स पहले भी यह संकेत कर चुकी हैं कि विध्वंसक खालिसतानी समर्थकों द्वारा सिख पन्थ को हाईजैक किए जाने के लगातार प्रयास ब्रिटेन में किए जा रहे हैं। अप्रेल 2023 में ब्रिटिश सरकार के एक प्रमुख स्वतंत्र समीक्षा आयोग ने एक रिपोर्ट प्रकाशित करते हुए खतरे के विषय में चेताया था कि ब्रिटेन में खालिस्तानियों का एक छोटा और आक्रामक समूह है जो लोगों को खालिस्तान स्थापित करने की महत्वाकांक्षा के चलते हिंसा के लिए उकसाते हैं।
और भारत ने भी बार-बार यह कहा है कि ब्रिटेन को खालिस्तानी तत्वों पर नियंत्रण रखना चाहिए। यह पूरी दुनिया ने देखा था कि कैसे कुछ खालिस्तानी समर्थकों ने भारतीय दूतावास में जाकर तिरंगे का अपमान किया था। इस चिंता के विषय में जहाँ भारत लगातार संवाद कर रहा है तो वहीं अब इस रिपोर्ट में यह कहा जाना कि भारत से शरणार्थी लोगों को खालिस्तानी समर्थक कहकर नागरिकता दिलवाना बहुत कुछ प्रश्न उठाता है। डेली मेल से एक अंडरकवर पत्रकार ने कई लॉ फर्म्स का दौरा किया था और उसमें उन्होंने अपनी पहचान एक भारतीय की बताई जो गैर कानूनी रूप से ब्रिटेन में प्रवेश कर चुका है और रोजगार की तलाश में है।
इस पत्रकार ने इस पड़ताल में यह पता लगाया कि कई वकील ऐसे थे जो उनकी इस स्थिति को अपने अनुसार मेनुपुलेट करना चाहते थे और उनसे यह कहने को कहा गया कि जैसे उन्हें अपने देश में जान का खतरा है। और इतना ही नहीं कई तरकीबें भी बताई जैसे कि या तो सरकारी नीतियों का विरोध, या दूसरी जाति में प्रेम प्रसंग या फिर समलैंगिक होना। डेलीमेल के स्टिंग में दिखाया है कि जो सबसे आम सुझाव दिए गए उनमें से एक था कि वह पंजाब से किसान होने की बात कहें और जिसमें उनके यूके में बैठे हुए अंकल खालिस्तानी समर्थक हैं।
वकीलों की फर्म ऐसे सुझाव देने के लिए मनमाने शुल्क भी वसूल कर रही हैं, जैसे एक वकील ने उनसे £5,500 नकद लेकर यह सुझाव दिया कि वह यह कहें कि उन्हें खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह का समर्थन करने के लिए बुलाया था और अब उनके पीछे भारतीय खुफिया एजेंसी पड़ी हुई हैं और उन्हें अपनी जान का डर है।
ऐसा प्रतीत होता है कि खालिस्तानी होने का नाटक करना यूके में नागरिकता हासिल करने के लिए सबसे आम बहाना है, क्योंकि पत्रकार को एक वकील ने यह तक कहा कि यदि वह खालिस्तान का समर्थन नहीं भी करते हैं तो भी यदि यह दावा करते हैं कि वह खालिस्तानी समर्थक हैं तो वह मुकदमा जीत जाएँगे।
जो कैमरे के सामने आए हैं उन्होंने यूके में शरण लेने के लिए जो झूठे उपाय बताए उसके लिए 10,000 यूरो तक की फीस की मांग की।
पत्रकार द्वारा कई कानूनी फर्म्स का दौरा किया गया और हर जगह यही पूछा गया कि वह कैसे यूके की नागरिकता ले सकते हैं तो इन वकीलों द्वारा जो सुझाव दिए गए, उनसे वह हैरान रह गये थे। अब इस स्टिंग को लेकर इनसाइट यूके नामक हैंडल ने यह मांग की है कि पंजाब से आने वाले अवैध शरणार्थियों को ब्रिटेन में शरण के लिए किस प्रकार भारत के विरुद्ध झूठी पट्टी पढ़ाई जाती है, उसके विरुद्ध कानूनी कदम उठाए जाने चाहिए। इस हैंडल में कहा गया कि तथ्य यही है कि भारत जहां पर कुल सिखों में 90% सिख रहते हैं और जो 20 मिलियन से अधिक सिखों का निवास हैं।
इस हैंडल में एक और बात कही गयी है जो भारत के विरुद्ध एक और प्रोपोगैंडा की हवा निकालती है और वह है आजाद कश्मीर। इसमें लिखा है कि डेली मेल द्वारा किए गए इस शरणार्थी खुलासे के बाद कि कैसे गैर कानूनी शरणार्थियों को भारत सरकार के विरुद्ध झूठी कहानियाँ सिखाई जा रही हैं कि वह उनका शोषण कर रही थी और इसी कारण वह लोग शरण मांग रहे हैं, वह ब्रिटेन के गृह मंत्रालय से अनुरोध करते हैं कि वह खालिस्तान या आजाद कश्मीर का समर्थन करने के लिए अत्याचारों का दावा करने वाले तमाम शरणार्थियों के आवेदनों की जाँच करें।
यह चिंता स्वाभाविक ही है कि क्या जिस प्रकार अभी शरणार्थियों को खालिस्तानी समर्थक कहकर शरण दिलवाने की बात कही जा रही है तो क्या पहले आजाद कश्मीर को लेकर यह बातें नहीं कही जाती होंगी? और जिस प्रकार से वकील भारत के विरुद्ध यह सिखाते हुए कैद हुए हैं, उससे ब्रिटेन में कानूनी पेशे के प्रति विश्वास पर तो प्रश्न उठे ही हैं साथ ही यूके की पूरी कानूनी व्यवस्था पर प्रश्न उठे हैं क्योंकि कई वकील यह कहते हुए पाए गए कि उनके बताए गए तरीकों से शरण लेने के लगभग सभी मामले सफल हुए हैं। साथ ही यह उस व्यवस्थागत शोषण की ओर भी दृष्टि डालता है, जो अवैध प्रवासियों से मुनाफे पर आधारित है!
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