भारत में इसी वर्ष आईसीसी वनडे विश्व कप का आयोजन होना है तो क्रिकेटप्रेमियों के बीच धीरे-धीरे क्रिकेट का बुखार चढ़ना तय है। वास्तव में इसकी शुरुआत हो चुकी है। विराट कोहली ने वेस्ट इंडीज के विरुद्ध दूसरे टेस्ट में शानदार शतकीय पारी खेली जो एक तरह से उनके शानदार करिअर का दूसरा भाग शुरू होने के रूप में देखा जा रहा है। चूंकि विराट ने अपने 500वें अंतरराष्ट्रीय मैच में शतक ठोक इतिहास रचा है, इसलिए एक चर्चा जन्म लेने लगी है कि क्या वह भारतीय क्रिकेट के ‘‘शिखर पुरुष’’ का दर्जा हासिल कर चुके हैं। इसमें कोई शक नहीं कि विराट के आंकड़े इस चर्चा को जन्म देने के लिए काफी हैं। इस क्रम में विराट की तुलना भारत के महानतम बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर से होना भी काफी हद तक तय है। वह इसलिए कि सचिन खुद को भारतीय क्रिकेट के शिखर पर स्थापित कर चुके हैं तो विराट उस दिशा में तेजी से अग्रसर हैं।
महानता में सचिन और विराट
सचिन और विराट के बीच तुलना का सवाल उठने पर विराट ने एक इंटरव्यू में बड़ी विनम्रता के साथ कहा था, ‘‘सचिन के साथ मेरी क्या, किसी भी समकालीन क्रिकेटर की तुलना नहीं हो सकती है। सचिन ने वो कीर्तिमान बनाए या क्रिकेट के स्तर को उस स्तर तक उठाया, जहां से हम जैसे क्रिकेटर उनसे सीख लेकर इस खेल को अपनाया। आज हम जो भी कामयाबी हासिल कर रहे हैं, सचिन वहां पहले से पहुंचे हुए हैं। इसलिए हमारी उनसे तुलना ही नहीं हो सकती।’’ वास्तव में, भारत के इन दो दिग्गजों की तुलना कतई आसान नहीं है क्योंकि दोनों ने एक तरह से दो युगों में भारतीय क्रिकेट के लिए महान योगदान दिया है। सचिन ने टेस्ट क्रिकेट के साथ जहां वनडे मैचों में भारत को एक महाशक्ति बनाने में बड़ा योगदान दिया तो विराट ने टेस्ट और वनडे के साथ टी 20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में भी देश का मान बढ़ाया। सचिन और विराट दोनों ने ही अपने दमदार प्रदर्शनों के बल पर तमाम विपक्षी टीमों को अहसास कराया कि जब तक वे क्रीज पर हैं, भारतीय टीम हार नहीं सकती। दोनों ने ही अलग-अलग समय में अपना लोहा मनवाया और विश्व क्रिकेट में स्टारडम हासिल की। खेलप्रेमियों ने एक को ‘‘क्रिकेट का भगवान’’ कहा, तो दूसरे को रन मशीन के रूप में ‘‘किंग कोहली’’ का सम्मान दिया। इन दोनों की प्रसिद्धि का ही नतीजा है कि जब वो क्रीज पर होते तो पूरा स्टेडियम कभी ‘‘सचिन—–सचिन’’ गुंजायमान रहता था तो अब ‘‘कोहली—-कोहली’’ के नाम का डंका बज रहा होता है।
संपूर्ण क्रिकेटर
सचिन और विराट की महानता को तय करने से पहले भारतीय क्रिकेट के इतिहास पर गौर करना जरूरी है। विश्व क्रिकेट में वर्ष 1983 में भारत को एक महाशक्ति तब माना गया जब कपिलदेव के नेतृत्व में भारत ने वेस्ट इंडीज की अजेय माने जानी वाली टीम को हराकर पहली बार विश्व कप जीता। इसके बाद टेस्ट सहित वनडे मैचों में भारतीय टीम का नाम सम्मान से लिया जाने लगा। 1989 में क्रिकेट में पदार्पण के बाद सचिन ने भारतीय क्रिकेट को एक नई ऊंचाई दी और जिस युग में गेंदबाजों से बल्लेबाज खौफ खाते थे, उस युग में सचिन वेस्ट इंडीज सहित आस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान और इंग्लैंड के गेंदबाजों पर कहर बनकर टूट पड़ते थे। कोर्टनी वाल्श, कर्टली एम्ब्रोस, वसीम अकरम, एलेन डोनाल्ड, ग्लेन मैकग्रा, शेन वार्न, शोएब अख्तर और जिमी एंडरसन जैसे कुछ बेहतरीन गेंदबाजों के उदाहरण हैं जब दिखने लगा कि सचिन तेंदुलकर को सामने पाकर उन जैसे महान गेंदबाज भी खुद को सहज नहीं पाते थे। गेंदबाज जितनी खतरनाक गेंदें डालते थे, सचिन उतना ही करारा प्रहार करते हुए उन्हें जवाब देते थे। विकेट के चारों ओर शॉट लगाते हुए सचिन ने रनों का अंबार लगा दिया और गेंदबाजों को मैच-दर-मैच उनके लिए नई रणनीति बनानी ही पड़ती थी। बड़े स्कोर को शतक में बदलने की सीख सचिन तेंदुलकर ने विश्व क्रिकेट को दी। प्रतिभा, एकाग्रता, निडरता और एक बेहतर रणनीति के साथ क्रिकेट खेलते हुए सचिन ने खुद को एक संपूर्ण क्रिकेटर के रूप में बदला। टेस्ट क्रिकेट में खुद को विश्व का नंबर एक बल्लेबाज साबित करते हुए तमाम उपलब्धियां हासिल कीं और अंततः महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व में 2011 आईसीसी वनडे विश्व चैंपियन टीम का हिस्सा बनकर खुद को एक संपूर्ण क्रिकेटर के रूप में स्थापित कर दिया। सचिन ने भारतीय क्रिकेट को शिखर पर पहुंचाने और शीर्ष पर बने रहने का सुंदर उदाहरण पेश किया। उन्होंने सर्वाधिक अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने से लेकर शतक-अर्धशतक मारने, रनों का अंबार लगाने, टीम को जीत दिलाने तक में सबसे लंबे समय तक सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। कीर्तिमानों का ढेर लगाते हुए सचिन ने बल्लेबाजी से जुड़ी हर उपलब्धियों को सबसे पहले हासिल एक नया आयाम स्थापित किया। सचिन ने बल्लेबाजी का वह पैमाना तय किया जिसके पार जाने या पास आने पर किसी भी बल्लेबाज को सुखद अनुभूति का अहसास होगा।
स्मार्ट टीम को दिया मूर्त रूप
कुछ इसी तरह की परंपरा को विराट कोहली ने आगे बढ़ाया। आईपीएल की शुरुआत के बाद फटाफट क्रिकेट की धूम मचनी शुरू हुई। वर्ष 2008 के बाद भारतीय क्रिकेट में विराट के रूप में एक नए सितारा का जन्म हुआ। विराट ने क्रिकेट के तीनों प्रारूप में बने रहने के लिए अथक परिश्रम किया, हर प्रारूप के लिए अलग-अलग रणनीति बनायी और हर दिग्गज टीमों पर करारा प्रहार करने की क्षमता विकसित की। सौरव गांगुली ने भारतीय टीम में एक विश्वास भरा कि विदेशी टीमों को उनकी धरती पर भी हराया जा सकता है और भारतीय टीम को लोग घर का शेर समझने की भूल न करें। एक चतुर रणनीतिकार महेंद्र सिंह धोनी ने इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए भारतीय टीम को क्रिकेट के तीनों प्रारुपों में जीतना सिखाया। चूंकि विराट कोहली सौरव गांगुली और धोनी को करीब से देखा था तो उन्होंने इन दोनों महान खिलाड़ियों से सीख लेते हुए भारतीय क्रिकेट को एक नई ऊंचाई दी। विराट ने फिटनेस के स्तर को इतनी ऊंचाई दे दी कि विदेशी टीमें भारतीय टीम का अनुसरण करती दिखी। विराट ने टी 20 क्रिकेट में धमाल मचाते हुए 2014 व 2016 विश्व कप का प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का पुरस्कार जीता और खुद को फटाफट क्रिकेट का बादशाह साबित किया। यही नहीं, विराट 2018-19 सत्र में भारत व एशिया के पहले ऐसे कप्तान बने जिन्होंने आस्ट्रेलिया की धरती पर उन्हें मात दी। विराट की टीम में उपस्थिति का ही नतीजा था कि भारतीय टीम वर्ष 2016 से लेकर 2021 तक लगातार पांच वर्षों तक विश्व की नंबर एक टेस्ट टीम बनी रही।
करिश्मा अब भी है बरकरार
पिछले दो-तीन वर्षों से क्रिकेट विशेषज्ञों के एक वर्ग ने विराट कोहली को चूका हुआ मान लिया था। यहां तक कि विराट का भारतीय एकादश में शामिल किए जाने के औचित्य पर भी सवाल उठने शुरू हो गए थे। लेकिन इस वर्ष विराट ने अपनी प्रतिभा और प्रसिद्धि के अनुरूप प्रदर्शन करते हुए दमदार वापसी की। उन्होंने चुपचाप सारी आलोचनाएं झेलीं और उनके बल्ले ने जवाब दे दिया कि अब भी उनमें देश के लिए खेलने का माद्दा है। खैर, अनिश्चितताओं के खेल क्रिकेट में अभी दावा नहीं किया जा सकता कि विराट जब अपने करिअर को विराम देंगे तो वह किन-किन उपलब्धियों को हासिल कर चुके होंगे या देश के किन महान बल्लेबाजों से बेहतर स्थिति में होंगे या किनसे कमतर रह जाएंगे। सचिन या किसी भी खिलाड़ी से उनकी तुलना अभी नहीं की जा सकती। सच यही है कि सचिन बल्लेबाजी की करीबन हर उपलब्धियां हासिल कर चुके हैं, विराट कोहली उस ओर अग्रसर हैं.
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